Dark fibre case:प्रतिभूति अपील पंचाट (SAT) ने गुरुवार को एनएसई, एक्सचेंज की पूर्व आला अधिकारी चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यन व अन्य के खिलाफ तथाकथित डार्क फाइबर के मामले में बाजार नियामक सेबी के आदेश को निरस्त कर दिया, जहां कुछ ब्रोकरों ने कथित तौर पर एक्सचेंज के इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर का बेजा इस्तेमाल कर उसकी को-लोकेशन सुविधा में तेज गति से कनेक्टिविटी हासिल की।
ट्रिब्यूनल ने 16 अपीलों पर अपना फैसला सुनाया, जो सेबी की तरफ से जून 2022 में जारी कॉमन ऑर्डर के खिलाफ दाखिल की गई थीं। ट्रिब्यूनल ने अगस्त 2023 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य की तरफ से ऐसे ही आरोप पर जारी आदेश को भी पलट दिया था।
सैट ने सेबी के आदेश के तहत एनएसई पर लगाए गए 7 करोड़ रुपये के जुर्माने को भी निरस्त कर दिया। इसके अलावा रामकृष्ण पर लगाए गए 6 करोड़ रुपये के जुर्माने को घटाकर 25 लाख रुपये कर दिया जबकि सुब्रमण्यन पर लगाया गया 4 करोड़ रुपये का जुर्माना टिक नहीं सका।
हालांकि सैट ने संपर्क इन्फोटेनमेंट पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जो स्टॉक ब्रोकरों को पी2पी कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के मामले में अनधिकृत वेंडर थी। सेबी ने 3 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया था, जिसे निरस्त कर दिया गया।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि सेबी के आदेश में एनएसई के खिलाफ लगाए गए नौ आरोपों में से सात नियामक के पूर्णकालिक सदस्य की तरफ से जारी आदेश में समान है। बाकी दो आरोपों को भी सैट के आदेश में निरस्त कर दिया गया।
सैट के आदेश में कहा गया है, हमने पहले ही पाया है कि चित्रा रामकृष्णन ने एनएसई के एमडी व सीईओ के तौर पर अपने कर्तव्य में लापरवाही बरती और संपर्क के लाइसेंस के सत्यापन को लेकर ड्यू डिलिजेंस में नाकाम रही। हमने हालांकि पाया कि 1-1 करोड़ रुपये का जुर्माना मनमाना और अत्यधिक नजर आता है।
पंचाट ने शुरू में समान मामले में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य द्वारा रामकृष्ण पर जारी निषेध आदेश के खिलाफ 9 अगस्त 2023 को आदेश जारी किया था।
आदेश में कहा गया, ‘एओ के निष्कर्ष में कहा गया कि एनएसई के कई विभागों/डिवीजनों द्वारा सीधे तौर पर आनंद सुब्रमण्यन को रिपोर्टिंग की जा रही थी, जो किसी ठोस प्रमाण पर आधारित नहीं थी।’