सुनील मित्तल की अगुआई वाली वन वेब ब्रॉडबैंड सैटेलाइट क्षेत्र में तीन श्रेणियों को लक्ष्य बना रही है। ये तीनों बी2बी क्षेत्र में है। रक्षा, प्रशासन (पंचायत कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा) और दूरदराज के क्षेत्रों में उद्यम इसके शुरुआती प्रमुख बाजार हैं।
इसकी वजह साफ है। देश में वन वेब ब्रॉडबैंड सेवाओं का वितरण करने वाली कंपनी एयरटेल के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है ‘देश की 90 से 95 फीसदी तक की आबादी मोबाइल सेवाओं के दायरे में है, लेकिन स्थलीय भौगोलिक दायरा केवल 75 से 78 फीसदी ही है। इसलिए हमारे प्रवेश के लिए बड़ा बाज़ार है।’
इस उपग्रह सेवा कंपनी को उम्मीद है कि वह अगले साल तक अपनी सेवाओं की वाणिज्यिक रूप से शुरुआत कर देगी और अपने प्रतिस्पर्धियों से आगे निकल जाएगी। उसके पास सेवा संचालित करने के लिए पहले से ही जीएमपीसीएस लाइसेंस है तथा अंतरिक्ष विभाग से जरूरी अधिकार और दो लैंडिंग स्टेशन हैं, जो गुजरात के मेहसाणा और चेन्नई में बनाए जा रहे हैं।
उसे बस पॉइंट टु पॉइंट स्पेक्ट्रम की जरूरत है, जो मंजूर किए गए नए विधेयक के तहत प्रशासनिक कीमत पर पेश किया जाएगा। एयरटेल पहले ही स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा जैसे सरकारी विभागों के समक्ष रिपोर्ट पेश दे चुकी है।
वन वेब इस बात का भी लाभ उठा सकती है कि वह पहले ही यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में सेवाएं शुरू कर चुकी है तथा उड़ान के दौरान सेवा प्रदान करने के लिए यूरोप में कम से कम दो विमानन कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है।
भारतीय अंतरिक्ष संघ के अनुमान के अनुसार उपग्रह ब्रॉडबैंड के मामले में भारतीय बाजार का आकार, जो अभी अपनी शुरुआती अवस्था में है, पांच साल में 1.1 अरब डॉलर से अधिक पहुंचने का अनुमान है। और ऐसे अन्य बाजार भी हैं, जिनमें बढ़ने की क्षमता है, जैसे विमानन क्षेत्र, जहां कई वैश्विक विमानन कंपनियां उड़ान में कनेक्टिविटी मुहैया कराने पर विचार कर रही हैं।
भारत में पांच साल के दौरान इसका बाजार 24 करोड़ डॉलर होने का अनुमान है या फिर समुद्री क्षेत्र (जहाजों या कार्गों पर कनेक्टिविटी) जो इसी अवधि में 19.5 करोड़ डॉलर का अवसर हो सकता है।
लेकिन ईलॉन मस्क की स्टार लिंक जैसी प्रतिस्पर्धी बी2सी की संभावनाओं – जैसे समृद्ध घरों या उनके वाहनों या उनके फार्म हाउसों में इस्तेमाल पर भी विचार कर सकती है। उस बाजार की संभावनाएं दिलचस्प हो सकती हैं।
आखिरकार स्टारलिंक ने साल 2021 में 99 डॉलर के शुल्क पर अपने उपग्रहों से भारत में ब्रॉडबैंड सेवाओं की प्री-बुकिंग के लिए विज्ञापन दिया था और इसे 1,000 संभावित उपयोगकर्ता मिले थे। (उसने पैसे लौटा दिए थे क्योंकि उसके भारत में काम करने का लाइसेंस नहीं था।)