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सवाल-जवाब: ‘कृषि वस्तुओं की मुक्त आवाजाही हो सकती है सुनिश्चित’

नीति आयोग के सदस्य व कृषि अर्थशास्त्री रमेश चंद्र ने कहा कि ताकतवर विश्व व्यापार संगठन कृषि वस्तुओं की बाधारहित आवाजाही सुनिश्चित कर सकता है।

Last Updated- September 11, 2023 | 11:14 PM IST
Principal Commodity export: Now the export of principal commodity started increasing, export of non-basmati rice also improved from before अब बढ़ने लगा प्रमुख कमोडिटी का निर्यात, गैर बासमती चावल का निर्यात भी पहले से सुधरा

जी20 की दिल्ली घोषणा में खाद्य एवं पोषण की सुरक्षा को उल्लेखनीय जगह दी गई है। इसमें खुले और नियम आधारित खाद्य, उर्वरक और कृषि के वैश्विक व्यापार की बात की गई है।

नीति आयोग के सदस्य व कृषि अर्थशास्त्री रमेश चंद्र ने संजीव मुखर्जी से बातचीत में कहा कि ताकतवर विश्व व्यापार संगठन कृषि वस्तुओं की बाधारहित आवाजाही सुनिश्चित कर सकता है। प्रमुख अंश…

दिल्ली घोषणा में खुली, साफ सुथरी और अनुमान लगाए जाने योग्य, कानून पर आधारित कृषि, खाद्य एवं उर्वरक की अबाध
आवाजाही की बात कही गई है, वहीं भारत जैसे देश कृषि जिंसों की मुक्त आवाजाही में व्यवधान डाल रहे हैं। यह प्रतिबद्धता कैसे हासिल होगी?

दोहा दौर में डब्ल्यूटीओ ने उल्लेखनीय प्रगति नहीं की थी। उसके बाद दुनिया संरक्षणवाद और निर्यात व आयातों पर देश विशेष के आधार पर प्रतिबंध लगाए। डब्ल्यूटीओ नियमों में प्रगति न होने और डब्ल्यूटीओ समझौते का अनुपालन कम होने से तमाम देशों ने एकपक्षीय कार्रवाई की। उदाहरण के लिए इंडोशिया ने 2 साल पहले पाम ऑयल पर निर्यात प्रतिबंध लगाया गया। भारत ने गेहूं और चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया। वस्तुओं के सीमा पार मुक्त प्रवाह के लिए डब्ल्यूटीओ को ताकतवर बनाना अहम है और भारत जैसे विकासशील देशों की जरूरतें पूरी करने की जरूरत है।

जी20 ने काला सागर अनाज समझौते को पूरी तरह लागू करने का आह्वान किया है, जिससे रूस बाहर था। इसका वैश्विक खाद्य के दाम पर क्या असर होगा?

जी20 के सदस्य के रूप में रूस जैसे देशों पर समझौते का पालन करने का दबाव होगा और खाद्य, खासकर अनाज के कारोबार में व्यवधान से बचा जा सकेगा। अगर रूस सौदे से बाहर रहने का फैसला करता है तो स्थिति से निपटने के लिए जी20 के अन्य देशों द्वारा सार्वजनिक कार्रवाई हो सकती है।

वैश्विक जैव ईंधन समझौते से भारत के किसानों को कितने लाभ का अनुमान है?

जैव ईंधन के इस्तेमाल से कृषि बायोमास की मांग बढ़ेगी, जिसमें प्राथमिक उत्पाद और सह उत्पाद शामिल हैं। इससे ऊर्जा वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ावा भी मिलेगा। एक ओर इससे अनाज, तिलहन, गन्ने की मांग बढ़ेगी, वहीं दूसरी तरफ इससे जो चीजें खराब हो जाती हैं, उससे बायोमास तैयार हो सकेगा।

कृषि बाजार सूचना व्यवस्था (एएमआईएस) और जियो ग्लोबल एग्रीकल्चरल मॉनिटरिंग से किस तरह का लाभ होगा?

पहले की जी20 बैठकों में एएमआईएस और रैपिड रिस्पॉन्स फोरम जैसी व्यवस्था बनी, जिससे उत्पादन को लेकर पहले से चेतावनी दी जा सके। दिल्ली घोषणा में जी20 ने इन कदमों की पुष्टि और और समर्थन किया है। जयवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं के कारण यह महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है।

आपके मुताबिक दिल्ली घोषणा से भारत के कृषि, खाद्य सुरक्षा और पोषण को कितना लाभ है?

दिल्ली घोषणा के एक समर्पित सेक्शन में टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें कृषि की अहम भूमिका है। 16 में से 11 एसडीजी सीधे या परोक्ष रूप से कृषि व खाद्य सुरक्षा से जुड़े हैं। यह सेक्शन खाद्य सुरक्षा व पोषण के सुधार के महत्त्व पर बल देता है। यह चिंता का विषय है कि भूख और कुपोषण ने वैश्विक रूप से स्थिति खराब की है। खासकर अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण एशिया में स्थिति गंभीर है। खाद्य एवं कृषि संगठन की रिपोर्ट से भी तमाम जी20 देशों में भूख और कुपोषण बढ़ने की सूचना मिलती है।

First Published - September 11, 2023 | 11:14 PM IST

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