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2022 में सड़क हादसे कम हुए मगर मौतें बढ़ीं, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने रिपोर्ट जारी कर बताए आंकड़े

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल देश भर में 4,61,312 सड़क हादसे दर्ज हुए, जबकि 10 साल पहले यानी 2012 में आंकड़ा 4,90,383 पर था।

Last Updated- November 18, 2023 | 8:10 AM IST
Road accidents in India at decade low, but number of fatalities up
उन्नाव में शुक्रवार को बस और डीसीएम के बीच भिड़ंत में 2 लोगों की मौत हो गई तथा कुछ लोग घायल हो गए

वर्ष 2022 में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या दस साल पहले के मुकाबले कम रही मगर इनमें मरने वालों की संख्या काफी बढ़ गई। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट ‘रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया 2022’ के मुताबिक पिछले साल देश भर में 4,61,312 सड़क हादसे दर्ज हुए, जबकि 10 साल पहले यानी 2012 में आंकड़ा 4,90,383 पर था। मगर 2021 के मुकाबले दुर्घटनाओं में 11.9 फीसदी इजाफा रहा।

पिछले साल सड़क हादसे तो 2012 के मुकाबले कम रहे थे मगर उनमें मरने वालों की संख्या बहुत बढ़ गई। 2022 में सड़क हादसों में 1,68,491 लोगों की मौत हुई, जो 2012 की 1,38,258 मौतों से 21.9 फीसदी ज्यादा रही। इन हादसों में 32.9 फीसदी राष्ट्रीय राजमार्गों और 23.1 फीसदी राज्य राजमार्गों पर हुए थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 72 फीसदी सड़क हादसे तेज रफ्तार के कारण हुईं। गलत दिशा में वाहन चलाने या लेन तोड़ने के कारण 4.9 फीसदी दुर्घटनाएं हुईं और 2.2 फीसदी दुर्घटनाएं शराब पीकर या नशे में गाड़ी चलाने के कारण हुईं।

आंकड़े बताते हैं कि सीट बेल्ट नहीं लगाना या हेलमेट नहीं पहनना खतरनाक होता है क्योंकि सड़क हादसों में 40 फीसदी मौतें इन्हीं के कारण हुईं। दुपहिया सबसे जोखिम भरे रहे और उन्हें चलाने वालों के साथ 44.5 फीसदी हादसे हुए। 19.5 फीसदी दुर्घटनाएं पैदल चलने वालों के साथ हुईं।

तकरीबन 61.6 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में हुईं। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर कम ध्यान दिया जा रहा है। क्रिसिल रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में ग्रामीण सड़कों पर केवल 27,000 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि राष्ट्रीय राजमार्गों पर 1.2 लाख करोड़ रुपये और राज्य की सड़कों पर 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। वित्त वर्ष 2016 से अब तक ग्रामीण सड़कों खर्च होने वाली धनराशि केवल 49 फीसदी बढ़ी है, जबकि इसी दौरान राज्य की सड़कों पर खर्च 72 फीसदी और राष्ट्रीय राजमार्गों पर 401 फीसदी बढ़ा है।

दस साल पहले के मुकाबले सड़क दुर्घटनाएं अधिक जानलेवा हो गई हैं। 2022 में हर 100 हादसों में 36.5 लोगों की जान गईं, जबकि 2012 में 28.2 लोगों की ही मौत हुई थी। देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौतों का अनुपात और भी अधिक रहा।

चिंता की बात है कि आधे सड़क हादसे पांच राज्यों में हुए। तमिलनाडु में सबसे अधिक 64,105, मध्य प्रदेश में 54,432, केरल में 43,910, उत्तर प्रदेश में 41,746 और कर्नाटक में 39,762 सड़क दुर्घटनाएं हुईं।

दस लाख या अधिक आबादी वाले 50 शहरों में से सबसे ज्यादा 5,652 सड़क हादसे दिल्ली में दर्ज हुए। इन दुर्घटनाओं में हताहत होने वालों की संख्या भी राजधानी में ही सबसे अधिक रही। रिपोर्ट के अनुसार 67 फीसदी दुघर्टनाएं सीधी सड़कों पर हुईं। रिपोर्ट कहती है कि खुले इलाकों में सीधी सड़कों पर वाहनों की रफ्तार बढ़ जाती है, जिस कारण हादसे भी बढ़ जाते हैं और उनमें लोगों के मरने या घायल होने की संख्या भी अधिक रहती है।

इंटरनैशनल रोड फेडरेशन के अनुसार 2021 में दुनिया भर में सड़क हादसों में हुई मौतों में सबसे अधिक भारत में ही रहीं। इसके बाद चीन में 62,218, अमेरिका में 42,915 और इंडोनेशिया में 25,266 लोगों की मौत हुई। उस साल प्रति 1 लाख में 10.9 फीसदी मौतें भारत में ही हुईं, जो दक्षिण एशिया के 7.6 फीसदी के औसत से बहुत अधिक है।

हालांकि देश में सड़कों पर पहले से ज्यादा चौबंद हो गई है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2022 में यातायात संबंधी चालानों की संख्या बढ़कर 4.73 करोड़ तक पहुंच गई, जो 2019 में 2.05 करोड़ ही थी।

First Published - November 17, 2023 | 11:26 PM IST

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