सरकारी अनुमान के मुताबिक मोहाली की सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लैबोरेटरी (SCL) की आधुनिकीकरण योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी। नए संयंत्र की क्षमता 20,000 वेफर प्रति माह होगी (गुजरात के धोलेरा में टाटा फैब संयंत्र प्रति माह 50,000 वेफर का विनिर्माण करेगा)।
इस योजना में एससीएल की 180 नैनोमीटर (एनएम) के बड़े नोड पर निर्भरता खत्म करके 28 नैनोमीटर और फिर और सूक्षम 14 नैनोमीटर तक ले जाने का भी इरादा जताया गया है। 180 एनएम का उपयोग सीमित होता है। उन्नत नोड पर 300 एमएम वेफर प्रोसेसिंग के साथ अनुसंधान एवं विकास/प्रोटोटाइप उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की भी योजना है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एससीएल केवल एक अनुसंधान एवं विकास केंद्र बनकर नहीं रह सकती। इसीलिए हम प्रति माह 20,000 वेफर वाली उचित क्षमता की वाणिज्यिक फैब इकाई पर भी विचार कर रहे हैं, जिसे स्थापित करने के लिए तकरीबन 20,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इसके अलावा यह 28 नैनोमीटर जैसे सूक्षम नोड की दिशा में बढ़ेगी।’
अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय अब आधुनिकीकरण की शुरुआत के लिए तकनीकी/वाणिज्यिक साझेदार की तलाश कर रहा है। यह कोई वैश्विक कंपनी या किसी भारतीय कंपनी की अगुआई वाला कंसोर्टियम हो सकता है। एससीएल इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त सोसायटी है। इसकी दो फैब्रिकेशन लाइनें हैं और यह सरकारी निकायों को चिप आपूर्ति करती है।
खबरों के अनुसार कम से कम नौ कंपनियों ने इस आधुनिकीकरण के लिए दिलचस्पी दिखाई है। इनमें टाटा और इजराइल की टॉवर सेमीकंडक्टर शामिल हैं। सरकार ने फैब संयंत्र स्थापित करने में रुचि दिखाने वालों के सामने दो मॉडल पेश किए हैं।