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सामयिक सवाल: भारत से जुड़ी संभावनाएं सातवें आसमान पर

एक बार फिर उन बातों पर गौर करते हैं जो बैंकिंग एवं वित्तीय क्षेत्र के दिग्गजों ने भारत से जुड़ी संभावनाओं को लेकर कही हैं।

Last Updated- November 04, 2023 | 8:12 AM IST
Mumbai Trans-Harbour Link Bridge

समुद्र के ऊपर धुंध छाने और निर्माण कार्यों की जद्दोजहद के बीच भी मुंबई का उत्साह देखते ही बनता है। कुछ लोग तो मौजूदा निर्माण कार्यों को मुंबई को एक साथ कई नरीमन पाइंट मिलने की सौगात के रूप में देख रहे हैं।

इसका कारण बिल्कुल स्पष्ट है क्योंकि बैंकों से लेकर बीमा कंपनियों और निजी इक्विटी कंपनियों से लेकर विभिन्न क्षेत्रों के नियामक, सभी भारत से जुड़ी संभावनाओं से उत्साहित हैं और वे आने वाले कल को उम्दा भविष्य के रूप में देख रहे हैं।

हां, मुंबई शहर में इस समय व्याप्त प्रदूषण की चर्चा भी जरूर हो रही है मगर अपने खास जज्बे के लिए मशहूर मुंबई में कारोबारी चर्चा भारत से जुड़ी संभावनाओं एवं सकारात्मक दृष्टिकोण पर केंद्रित है।

इस समाचार पत्र द्वारा इसी सप्ताह बैंकिंग एवं वित्तीय क्षेत्र के बारे में मुंबई में ही आयोजित सम्मेलन में चर्चा, संवाद एवं बातचीत में भी भारत को लेकर बढ़ती उम्मीदों एवं संभावनाओं की स्पष्ट झलक दिखी। इस सम्मेलन के अंतिम सत्र में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जो कहा उससे सभी का उत्साह कई गुना बढ़ गया।

दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) उम्मीद से अधिक रहेगा और यह सबको चौंका देगा। हर तरफ उत्साह का आलम कुछ यूं था कि ऐसा लगा मानो दीवाली समय से पहले ही आ गई है।

एक बार फिर उन बातों पर गौर करते हैं जो बैंकिंग एवं वित्तीय क्षेत्र के दिग्गजों ने भारत से जुड़ी संभावनाओं को लेकर कही हैं। जाने-माने बैंकर के वी कामत ने सम्मेलन के पहले सत्र में मानव संसाधन की कमी पर चल रही बहस से इतर भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था और प्रतिभा पर अपनी टिप्पणी से माहौल खुशनुमा बना दिया।

कामत ने कहा कि भारत जैसे बड़े एवं विविधता वाले देश में मानव संसाधन की कमी किसी संगठन की मात्र विफलता दर्शाती है और इसका अन्य बातों से कोई लेना-देना नहीं है। डिजिटल अर्थव्यवस्था को लेकर उनका मानना है कि यह अगले पांच वर्षों के दौरान संपूर्ण अर्थव्यवस्था का मौजूदा 5-7 प्रतिशत से बढ़कर 20-25 प्रतिशत हो जाएगी।

मशहूर बाजार रणनीतिकार क्रिस वुड ने कहा कि भारत दुनिया में अगला सबसे बड़ा कारोबारी अवसर मुहैया कराएगा। वुड ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था कम से कम 6-7 प्रतिशत दर से वृद्धि करेगी।

उन्होंने कहा, ‘भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे बेहतर घरेलू इक्विटी बाजार है। भारत 2002-2009 का समय एक बार फिर दोहराने जा रहा है जब एशियाई बाजारों में इसका प्रदर्शन लाजवाब रहा था।’

अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण के चेयरमैन के राजारामन ने भारतीय बाजार की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता की तरफ ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा, ‘अब बड़ी संख्या में लोग वित्तीय बाजार में कदम रख रहे हैं। यह निवेशकों का विश्वास तेजी से बढ़ने का संकेत है।’

म्युचुअल फंड निवेशकों ने भी सकारात्मक हाव-भाव दिखाए। आदित्य बिड़ला सन लाइफ के मुख्य निवेश अधिकारी महेश पाटिल ने उन ताकतों का जिक्र किया जिनकी बदौलत भारत 6.5 प्रतिशत दर से वृद्धि कर सकता है।

कारोबारी एवं दिग्गज निवेशक रामदेव अग्रवाल ने यह कहकर सम्मेलन में मौजूद लोगों का उत्साह और बढ़ा दिया कि अगले 5 से 10 वर्षों के दौरान सेंसेक्स क्रमशः 2 गुना और 4 गुना तक छलांग लगाएगा। उन्होंने कहा कि अगले 10 वर्षों में बाजार में भारी तेजी दिखेगी।

मॉर्गन स्टैनली के रिधम देसाई ने विशेषकर स्थिरता का जिक्र किया। देसाई ने कहा कि भारत ने वृहद आर्थिक हालात स्थिर रखने में काफी प्रगति की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 40 वर्षों में सबसे तेज गति से ब्याज दरें बढ़ाई हैं मगर भारत इससे पूरी तरह बेअसर रहा है।

देसाई ने कहा कि भारत में अगले 30-40 वर्षों तक तेजी बनी रहेगी और बाजार में मौजूदा मूल्यांकन को शंका की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए। वित्तीय सेवा उद्योग के धुरंधर ऐंड्रयू हॉलैंड ने कहा कि भारत इस समय बेहतरीन स्थिति में नजर आ रहा है। म्युचुअल फंड उद्योग की पहचान समझे जाने वाले प्रशांत जैन ने कहा कि दीर्घ अवधि में मजबूत वृद्धि देने के लिए भारत संरचनात्मक रूप में शानदार स्थिति में है।

कारोबार के लिए पूंजी देने वाले खंड में मिजाज खुशनुमा एवं उत्साह से ओत-प्रोत लग रहा है। हां, यह बात जरूर है कि स्टार्टअप खंड में पूंजी जुटाने की राह में चुनौतियां अभी दूर नहीं हुई हैं।

मल्टीपल्स अल्टरनेट ऐसेट्स की संस्थापक रेणुका रामनाथ ने कहा, ‘पीई निवेश में कहीं भी किसी प्रकार की नकारात्मक धारणा नहीं है। इसके विपरीत, इस खंड में तो निवेश और अधिक ऊंचे स्तर पर दिख रहा है।’ बेन कैपिटल के अमित चंद्र ने अपनी बात अधिक वजन देने के लिए आंकड़ों का भी उल्लेख किया।

चंद्र ने कहा कि कुछ वर्षों पहले तक भारत में होने वाले विदेशी निवेश में निजी निवेश की हिस्सेदारी एक चौथाई तक हुआ करती है मगर अब यह बढ़कर कुल विदेशी निवेश का दो-तिहाई हो गई है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘फंडिंग विंटर’ (ऐसी अवधि में जिसमें वेंचर कैपिटल कंपनियों से निवेश अपेक्षा से कम रहता है) मोटे तौर पर वेंचर कैपिटल आधारित रुझान है। यह सच है कि इस साल एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाली स्टार्टअप कंपनियां शायद ही सामने आई हैं मगर आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों (आईपीओ) की बाढ़ ने उत्साह फीका होने नहीं दिया है।

ईवाई की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में आईपीओ की संख्या के लिहाज से भारत दुनिया में शीर्ष पर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अकेले 2023 की तीसरी तिमाही में ही भारतीय बाजार में 21 आईपीओ आए थे। इनकी तुलना में 2022 में केवल चार आईपीओ ही आए थे। लघु वित्त खंड भी आशा एवं अपेक्षाओं से लबरेज है।

उज्जीवन स्मॉल फाइनैंस बैंक के इत्तिरा डेविस ने कहा कि यूपीआई खंड में हुई तकनीकी क्रांति अब लघु वित्त खंड में भी होनी शुरू हो जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास भी काफी कुछ साझा करने के लिए था।

यूको बैंक के प्रमुख अश्विनी कुमार ने कहा कि वृद्धि की गाड़ी तेजी से आगे बढ़ती रहेगी। केनरा बैंक के के एस राजू कुमार ने कहा कि आने वाले कई वर्षों में कारोबारी रफ्तार तेज रहने वाली है।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा ने कहा कि निकट भविष्य में परिसंपत्ति गुणवत्ता के मोर्चे पर कहीं कोई दिक्कत या चिंता नजर नहीं आ रही है। खारा ने कहा कि एसबाई जल्द ही योनो 2.0 लेकर आएगा।

सम्मेलन में भू-राजनीतिक जोखिमों और भारत पर उनके असर का भी जिक्र हुआ मगर अधिकांश लोगों की यही राय थी कि भारत पर इनका प्रभाव सीमित ही रहेगा।

First Published - November 4, 2023 | 8:12 AM IST

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