ऐसे समय में जब ज्यादातर ऋणदाता अपना रिटेल लोन पोर्टफोलियो बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं, येस बैंक ने इन ऋणों में कमी लाने की योजना बनाई है।
येस बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत कुमार (Yes Bank CEO Prashant Kumar) ने मनोजित साहा के साथ साक्षात्कार में कहा कि कार्लाइल ग्रुप और एडवेंट इंटरनैशनल जैसे निवेशकों द्वारा वारंट को इक्विटी में बदलने के बाद बैंक की मुख्य पूंजी में सुधार आएगा। मुख्य अंश:
भविष्य में ऋण वृद्धि पर आपकी क्या योजना है?
इस संबंध में दो चीजे हैं। अग्रिम वृद्धि को जमा वृद्धि से कम बनाए रखने की जरूरत होगी। मान लीजिए कि अग्रिम यानी पहले से दिए जाने वाले ऋण के संदर्भ में हम 17-18 प्रतिशत की दर से बढेंगे और जमा वृद्धि 18-19 प्रतिशत के बीच रहेगी।
ऋण वृद्धि पर हमारा ध्यान एमएसएमई और मिड-मार्केट सेगमेंट (मिड-कॉरपोरेट) पर है। चूंकि ये सेगमेंट हमारे लिए पिछले तीन साल से 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं, इसलिए, ऋण गुणवत्ता काफी अच्छी है, शुल्क आय अच्छी है, साथ ही मार्जिन भी है।
दूसरा है, उन बड़े कॉरपोरेट ने भी अब रफ्तार दिखानी शुरू कर दी है, जो हमारे लिए अच्छा नहीं कर रहे थे। रिटेल में, हम वृद्धि पर जोर नहीं दे रहे हैं। चूंकि रिटेल 35 प्रतिशत से ज्यादा की दर से बढ़ा है, इसलिए हम इसे घटाकर 20 प्रतिशत करना चाहेंगे। लेकिन निश्चित तौर पर एमएसएमई और मिड-कॉरपोरेट हमारे केंद्र में रहेंगे।
क्या ऐसा असुरक्षित बहीखाते से जुड़ी चिंता की वजह से है?
यह ऋण गुणवत्ता की वजह से नहीं है, यह मुनाफे के कारण है। हमारे लिए कार, होम लोन सेगमेंट ज्यादा तेजी से बढ़ाना समझदारी नहीं होगी, क्योंकि हम ऐसा कर पैसा कमाने में सक्षम नहीं होंगे। हम मुनाफे पर जयादा ध्यान देना पसंद करेंगे।
बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन चौथी तिमाही में घटकर 2.4 प्रतिशत रह गया, जो पिछले साल की समान तिमाही में 2.8 प्रतिशत था। इस गिरावट को दूर करने के लिए आप क्या करेंगे?
यह समस्या अब दूर हो रही है। बुनियादी तौर पर, यदि आप 2.4 प्रतिशत की दर पर विचार करें तो यह उस राशि की वजह से है जो हमने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की जरूरतें पूरी करने के लिए आरआईडीएफ (रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड) में रखी थी। वित्त वर्ष 2024 में, हमने आरआईडीएफ में अन्य 14,000 करोड़ रुपये रखे, जिससे मार्जिन घट गया। मार्जिन पर दबाव दूर हो रहा है और भविष्य में इसमें सुधार आएगा।
जमा वृद्धि, ऋण वृद्धि से पिछड़ रही है लेकिन आप कह रहे हैं कि बैंक जमाएं और बढ़ाएगा। आप इसे कैसे हासिल करेंगे?
पिछले साल भी, हमारी जमा वृद्धि 22 प्रतिशत रही थी, जबकि ऋण वृद्धि 14 प्रतिशत। हम जमाएं समान दर (करीब 20 प्रतिशत) से बढ़ाना चाहेंगे। हम ब्याज दरें बढ़ाए बगैर ऐसा करने में कामयाब रहेंगे। हमारी जमाओं की लागत 6.1 है। यदि आप हमारी प्रतिस्पर्धा पर विचार करें तो पता चल जाएगा कि लागत कम है। बैंक की ब्रांड इमेज है और हम ग्राहकों को अच्छी सेवाएं देकर जमाएं बढ़ाने में सक्षम हैं।
जमाओं पर ध्यान बढ़ाने से ऋण-जमा अनुपात घटाने में भी मदद मिली है, जो घटकर 85.5 प्रतिशत रह गया है…यह अच्छा अनुपात है, इसमें लाभ और तरलता पर भी जोर दिया गया है। यदि आप निजी क्षेत्र के अन्य बैंकों को देखें तो अब हम बेहतर स्थिति में हैं। सीडी अनुपात करीब 70 प्रतिशत है।
बैंक के सकल एनपीए और शुद्ध एनपीए अनुपात मजबूत हैं, लेकिन क्या रिटेल परिसंपत्तियों के संदर्भ में चिंताएं हैं?
नहीं। रिटेल परिसंपत्तियों के संदर्भ में समस्या थी जो अब दूर हो गई है। पिछले वर्ष हमें असुरक्षित ऋण को लेकर कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा और सुधारात्मक कदम उठाए गए। इसके परिणामस्वरूप, मार्च तिमाही दिसंबर तिमाही के मुकाबले बेहतर रही।
रिटेल के संदर्भ में मार्च तिमाही में हमारा सकल स्लिपेज 977 करोड़ रुपये रहा, जो तीसरी तिमाही में 1,051 करोड़ रुपये था। हम इस अंतर में कमी लाना बरकरार रखेंगे। हम वित्त वर्ष 2025 में ऋण लागत 40-50 आधार अंक के बीच बनाए रखने पर जोर देंगे। हमारा प्रावधान कवरेज अनुपात भी सुधरा है।
आपने लागत-आय अनुपात घटाने की क्या योजना बनाई है, जो चौथी तिमाही में 71.2 प्रतिशत था?
इससे दो घटक जुड़े हुए हैं। एक है आय और दूसरा लागत। हमारी लागत प्रतिस्पर्धियों के समान है। हमारी परिसंपत्ति की लागत 2.6 प्रतिशत है। हमारी समस्या मुख्य तौर पर आय से जुड़ी हुई है, क्योंकि आरआईडीएफ पर दबाव पड़ रहा है। हम लागत के सही नियंत्रण की दिशा में प्रयासरत हैं।
आपकी पूंजी जुटाने की क्या योजना है?
अब तक हमें पूंजी की जरूरत नहीं है।