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दर्शक तक पहुंचने को जूझ रहे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म

गौर करने की बात है कि भारत में स्ट्रीमिंग बाजार जैसे-जैसे बढ़ रहा है वह टीवी की तरह होता जा रहा है।

Last Updated- March 21, 2025 | 11:30 PM IST
OTT Platforms

लोकप्रिय स्ट्रीमिंग सेवा नेटफ्लिक्स 1 अप्रैल से भारत में वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट (डब्ल्यूडब्ल्यूई) के शो दिखाना शुरू करेगी। यह एक तरह की नूराकुश्ती है, जिसे 2019 में लगभग 5 करोड़ भारतीयों ने देखा था। भारत में अभी नेटफ्लिक्स के 1.5 करोड़ सबस्क्राइबर हैं और 4.7 करोड़ लोग उसके कार्यक्रम देखते हैं। अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए वह ‘स्पोर्ट्स एंटरटेनमेंट’ शो पर बहुत भरोसा कर रही है। हालांकि इसकी असली ताकत दिल्ली क्राइम या ब्लैक वारंट जैसे प्रीमियम शो ही हैं मगर आम जनता तक पहुंचने के लिए पिछले दो साल में इस ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म ने ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’, ‘मामला लीगल है’, ‘द ग्रेटेस्ट राइवलरी – इंडिया वर्सस पाकिस्तान’ और डब्ल्यूडब्ल्यूई जैसे शो भी शुरू किए हैं।

इस बीच हर भाषा और आय वर्ग के लोगों के बीच पैठ बढ़ाने के लिए एमेजॉन सामग्री और सबस्क्रिप्शन के विकल्प बढ़ा रही है। एमेजॉन प्राइम वीडियो ने 2021 में अपने प्लेटफॉर्म पर लॉयंसगेट और मनोरमा मैक्स जैसे दूसरे ओटीटी ब्रांड दिखाना भी शुरू कर दिया था। अब वह 25 ओटीटी दिखा रही है। आप उस पर 8,500 फिल्में किराये पर भी देख सकते हैं। सितंबर 2024 में इसने टाइम्स इंटरनेट से एमएक्स प्लेयर खरीद लिया। एमेजॉन एमएक्स प्लेयर ने पिछले महीने 100 नए शो की घोषणा की और सेवा पूरी तरह मुफ्त रहने की गारंटी भी दी।

उधर सोनीलिव ‘रॉकेट बॉयज’ और ‘फ्रीडम ऐट मिडनाइट’ जैसे गंभीर शो के लिए चर्चित रहा है मगर अब इसने ‘शार्क टैंक’ और ‘मिलियन डॉलर लिस्टिंग’ जैसे नॉन-फिक्शन शो के जरिये ज्यादा लोगों तक पहुंचने की कोशिश शुरू कर दी है। ‘शार्क टैंक’ के चौथे सीजन के जरिये यह 42 मझोले शहरों तक पहुंच गई है, जो पहले से दोगुना आंकड़ा है।

खबर है कि एक और बड़ा ओटीटी प्लेटफॉर्म निर्माताओं से 7 से 10 एपिसोड के बजाय 100 एपिसोड वाले शो बनाने को कह रहा है। कई प्लेटफॉर्म नए सीजन के एपिसोड धीरे-धीरे रिलीज कर रहे हैं और तय दिन तथा समय पर ही रिलीज कर रहे हैं ताकि टीवी की तरह दर्शक उन्हें देखने भी तय समय पर ही आएं। ध्यान रहे कि दर्शक किसी को देखने के आदी हो जाएं और तय वक्त पर ही देखें तो टीवी की ही तरह ओटीटी पर भी विज्ञापन की दरें बढ़ जाती हैं।

गौर करने की बात है कि भारत में स्ट्रीमिंग बाजार जैसे-जैसे बढ़ रहा है वह टीवी की तरह होता जा रहा है। वृद्धि के लिए यहां भी अधिक भाषाओं, आम लोगों को पसंद आने वाले कार्यक्रमों, सस्ते उत्पादों और मुफ्त सामग्री पर जोर दिया जा रहा है। और यह होना ही है। भारत में स्ट्रीमिंग वीडियो कारोबार 2024 में लगभग 36,500 करोड़ रुपये का था और शो बनाने तथा फिल्में खरीदने के लिए 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर दिए गए। इसीलिए शायद यूट्यूब के अलावा किसी ने मुनाफा नहीं कमाया।

सबस्क्रिप्शन वीडियो ऑन डिमांड आने के आठ साल बाद बड़ी ओटीटी कंपनियों ने बाजार के सबसे ऊपरी तबके पर कब्जा कर लिया है। मीडिया पार्टनर्स एशिया के आंकड़े बताते हैं कि 2024 में भारत में 12.5 करोड़ ओटीटी सबस्क्राइबर थे और लगभग 37.5 करोड़ लोग इन्हें देखते थे। स्ट्रीमिंग को भारत में पैसा कमाना है तो उसे उन सभी स्क्रीनों तक पहुंचना होगा, जिन्हें भारतीय दर्शक देखते हैं यानी 65 करोड़ स्मार्टफोन, 90 करोड़ टीवी और 20 करोड़ कनेक्टेड टीवी। मगर इन आंकड़ों में भी घालमेल है।

अगर 90 करोड़ को बुनियादी बाजार मान लें तो भी स्ट्रीमिंग को अभी बहुत दूर जाना है। यूट्यूब सबसे बड़ी सेवा है और कॉमस्कोर के मुताबिक दिसंबर 2024 में वह 45.4 करोड़ लोगों तक पहुंच पाई थी। मेटा का इंस्टाग्राम 32.4 करोड़ लोगों तक पहुंचा था और जियोहॉटस्टार पर 18.8 करोड़ यूनीक विजिटर्स आए थे। जी5, सोनीलिव, एमेजॉन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स के पास मुश्किल से 2 करोड़ से 5 करोड़ दर्शक हैं।

साफ है कि महानगरों का बाजार लगभग भर रहा है। अब मझोले और छोटे शहरों का रुख करना होगा। यहां मुफ्त, विज्ञापन के साथ आने वाली या यूजर्स द्वारा तैयार सामग्री का बाजार है। इन जगहों पर गूगल के यूट्यूब, मेटा के इंस्टाग्राम और सरकारी डीडी फ्रीडिश का दबदबा है, जिसमें दंगल और गोल्डमाइंस जैसे मुफ्त चैनल आते हैं। हैं। यही वजह है कि ओटीटी अब मुफ्त सामग्री और लोकप्रिय विषयों पर जोर दे रहे हैं। ‘द ग्रेटेस्ट राइवलरी – इंडिया वर्सस पाकिस्तान’ ऐसा शो है, जिसे आप किसी खेल चैनल पर मैच के बीच में देख सकते हैं। यही बात डब्ल्यूडब्ल्यूई के साथ भी है। मगर आपको पता हो कि नेटफ्लिक्स के सबसे ज्यादा ग्राहक 199 रुपये मासिक पैक से बढ़ रहे हैं तो ये दांव सही लगते हैं। ऐसा पूरी दुनिया में हो रहा है। सबस्क्रिप्शन वीडियो ऑन डिमांड वाली हर बड़ी सेवा ने विज्ञापन शुरू कर दिए हैं। ओम्डिया की रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल अमेरिका में इन सेवाओं की 24 फीसदी कमाई विज्ञापनों से ही आई। 

इससे सवाल उठता है कि क्या पेड ओटीटी पर प्रीमियम कार्यक्रम कम हो जाएंगे? कार्यक्रम बनाने का बजट पिछले दो साल से बढ़ा नहीं है। चूंकि उसी बजट में ज्यादा शो बनाने हैं तो गुणवत्ता की चिंता वाजिब है। लेकिन भारतीय टीवी ने कभी ‘एचबीओ’ की टक्कर का कुछ बनाया ही नहीं। यहां ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ या ‘सक्सेशन’ जैसे रोमांचक कार्यक्रम नहीं आए क्योंकि टीवी पर शुल्कों की सीमा तय कर सब कुछ खत्म कर दिया गया। स्ट्रीमिंग पर लोग अच्छे मौलिक कार्यक्रमों के लिए ही आते हैं। एमेजॉन प्राइम पर ‘पाताल लोक’ और सोनी लिव पर ‘स्कैम’ जैसे कार्यक्रम देखने के लिए ही नए सबस्क्राइबर पैसे खर्च करते हैं। नेटफ्लिक्स ने 2022 में भारत को छोड़कर 12 बाजारों में शो के साथ विज्ञापन शुरू कर दिए तो लोगों ने उन्हें ‘स्क्विड गेम’ जैसे शो की उम्मीद में बरदाश्त कर लिया। अच्छी कहानी जरूरी है, जिससे समझौता नहीं किया जा सकता।

एमेजॉन एमएक्स प्लेयर पर इस साल आए मौलिक शो – भय, मिट्टी, हूज योर गायनक पर नजर डालें। ये अच्छी कथा-पटकथा और कलाकारों वाले लगते हैं मगर सबकी प्रोडक्शन वैल्यू अलग है। द वायरल फीवर (टीवीएफ) के पास कुछ सबसे कामयाब शो हैं जैसे ‘पंचायत’ और ‘गुल्लक’। लेकिन ‘कोटा फैक्टरी’ जैसे इसके बेहद कामयाब शो 2019 में यूट्यूब पर आए क्योंकि वे कम लागत में बने थे और बड़े ओटीटी को नहीं भाए। मगर सभी ओटीटी सेवाएं ऐसी सीरीज नहीं चाहतीं, जिसका हर एपिसोड 1 करोड़ रुपये में बने। अच्छी कहानी सही खर्च में बने तो काम करेगी। टीवीएफ के अध्यक्ष विजय कोशी कंपनी की तुलना मारुति कार से करते हैं, ‘इसमें तड़क-भड़क नहीं है मगर काम करती है, भरोसेमंद है और किफायती भी।’

कारोबार से और उम्मीद ही क्या होती है – फैल जाए और मुनाफा दे। 

First Published - March 21, 2025 | 10:39 PM IST

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