Opinion: कंपनियों को जिम्मेदार बनाता है कर्ज
कर्ज कंपनियों को जिम्मेदार और गतिशील बनाने का काम भी करता है। कंपनियों का पूरी तरह कर्ज मुक्त होना कई बार बहुत बेहतर स्थिति नहीं मानी जाती है। बता रहे हैं अजय शाह बड़ी भारतीय कंपनियों के कर्ज लेने में काफी कमी आई है। इससे जहां कंपनियों के प्रबंधक सुरक्षित महसूस करते हैं, वहीं यह […]
अमेरिकी डॉलर को कौन हटा सकता है शिखर से?
अमेरिका सन 1820 तक प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के दृष्टिकोण से दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल था। सन 1920 तक यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई। जर्मनी में नाजी शासन से पहले कहीं भी पूंजी नियंत्रण व्यवस्था नहीं थी, इस कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया से निवेश आकर्षित करने और […]
आपस में जुड़ी दुनिया और मौद्रिक नीति की चुनौती
ऐसा माना जा रहा था कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व, अमेरिकी खुदरा मूल्य सूचकांक को दो फीसदी के स्तर पर लाने का अपना लक्ष्य हासिल करने की ओर बढ़ रहा है। यह काम हाल के सप्ताहों में उस समय मुश्किल हो गया जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती नजर आई और यूक्रेन से निरंतर निर्यात […]
देश में बढ़ते प्राइवेट निवेश के क्या मायने हैं? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
भारत की वृद्धि में निजी निवेश का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। लंबे समय से निजी निवेश का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है। लंबी गिरावट का दौर 2021 में एकदम निचले स्तर तक पहुंच गया और हालिया प्रमाण सुधार दर्शाते हैं। यह एक अहम शुरुआत है लेकिन अभी हम यह नहीं जानते कि इसका नतीजा बड़ी […]
तकनीक से आसान होगा सूचना युद्ध से निपटना
संजय राय शेरपुरिया के कथित कारनामे आधुनिक भारत में सूचना युद्ध के प्रभाव पर रोशनी डालते हैं। तकनीक क्षेत्र में प्रगति (व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर) ने सूचना युद्ध के लिए संभावनाओं के एक नए संसार को जन्म दिया है। कई बेजा तत्व इसका फायदा अनुचित कार्यों में उठा रहे हैं। स्वेच्छाचारी शासक इन तकनीकों की […]
कार्बन कर व्यवस्था के बीच निर्यात
नीति निर्माताओं को भारत को दुनिया भर में कार्बन कर की बढ़ती पहुंच के साथ जोड़ने में मदद करनी चाहिए। इस विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हैं अजय शाह और अक्षय जेटली यूरोपीय कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) के क्रियान्वयन की दिशा में ठोस कदम आगामी 1 अक्टूबर, 2023 से उठाए जाएंगे और इसे […]
कैसे मजबूत बन सकती हैं भारतीय कंपनियां?
एक सफल भारत का मूल वह है जहां आम लोग और कंपनियां वैश्विक अर्थव्यवस्था में पूरी भागीदारी करें। भारत में जो व्यक्ति मजबूत और सक्षम कंपनियां तैयार करते हैं, उन्हें विनिर्माण संस्थाओं तथा पैसे को दुनिया भर में यहां-वहां ले जाने की पूरी पहुंच की आवश्यकता होती है। भारतीय समाजवाद के कई अवशेष हैं जो […]
भारत के सेवा निर्यात की गतिशीलता, अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन
भारत के निर्यात में आईटी तथा उससे संबद्ध सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर रहा है। इसके व्यापक रुझान के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं अजय शाह निर्यात की गतिशीलता आज के भारत के लिए खासतौर पर महत्त्व रखती है। इस मामले में दो क्षेत्र एकदम अलग नजर आते […]
वैश्विक उठापटक के बीच भारत सुरक्षित स्थिति में
वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ गई है। यह अनिश्चितता कुछ निश्चित माध्यमों के जरिये एक से दूसरे देश में पूंजी का प्रवाह प्रभावित करती है। विदेश से आने वाली पूंजी पर भारतीय अर्थव्यवस्था की निर्भरता कम है क्योंकि बाह्य पूंजी की अधिक आवश्यकता नहीं होती है। निवेश और बचत के बीच का अंतर पूंजी […]
वैश्विक संस्थानों में भारतीयों की सफलता की वजह
हम सभी ने इस बात पर ध्यान दिया होगा कि आईबीएम, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसे वैश्विक संस्थानों और अब विश्व बैंक में भारतीयों के पास नेतृत्व की भूमिका है। प्रवासियों के लिए इस तरह की सफलता हासिल करना आसान नहीं होता है। किसी नई संस्कृति में ढलना आसान नहीं होता है। जाहिर है हमें इन तमाम […]









