वित्तीय बाजारों में आतंकियों के लिए मुनाफे की स्थिति!
दो अगस्त, 1990 को जब सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर आक्रमण किया था तब कच्चे तेल की कीमत बहुत कम समय में करीब 40 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थी। उस समय ऐसी अफवाहें थीं कि इराकी सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े कुछ लोगों ने समय से पहले ही […]
विमानन उपभोक्ताओं के साथ पारदर्शिता
योजनाबद्ध सोच राज्य की शक्ति के उपयोग में हमें उचित मार्ग दिखा सकती है। बता रहे हैं अजय शाह विमानन उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के एक महत्त्वपूर्ण नए खंड के रूप में उभरा है। बाजार विफलता का संकल्पनात्मक ढांचा और निम्नतम लागत के उपाय हमें नीतिगत समस्याओं एवं उनके समाधान की दिशा में सोचने के लिए […]
सप्ताह में ज्यादा घंटों तक काम करने का प्रभाव
नारायण मूर्ति उस समय सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने युवाओं से सप्ताह में 70 घंटे काम करने की मांग कर दी। गहनता से काम करने के बहुत फायदे होते हैं। सामूहिक संस्कृति में मौज मस्ती शामिल होती है, काम और जीवन के बीच संतुलन कायम होता है और उसमें ऐसा समय भी शामिल होता […]
Opinion: कैसे दूर हो रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र के अंतराल की समस्या
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की एक समस्या यह है कि इससे होने वाले विद्युत उत्पादन में तयशुदा अंतराल अवश्यंभावी है। इस संबंध में बता रहे हैं अजय शाह और अक्षय जेटली हर कारोबार में उत्पादन, परिवहन, भंडारण और खुदरा कारोबार की एक खाद्य श्रृंखला होती है। कुछ लोग टमाटर उगाते हैं। कुछ लोग ठंडा रखने की […]
रक्षा अर्थव्यवस्था की दिलचस्प पहेली….नए सिरे से विचार करने का वक्त
विवादों और संघर्षों से भरे इस नए वैश्विक दौर में सैन्य उत्पादन पर नए सिरे से विचार करने का वक्त आ गया है। बता रहे हैं अजय शाह यूक्रेन (Ukraine-Russia War) में चल रहे लंबे युद्ध के बाद अब गाजा में इजरायल (Israel-Hamas War) की सैन्य कार्रवाई ने सैन्य उत्पादन को वैश्विक बहस के केंद्र […]
छोटी कंपनियां और भविष्य की राह
सन 1989 में जब तत्कालीन सोवियत संघ ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय व्यापार को अपनाया तो यह सोवियत कंपनियों के लिए संकट की स्थिति थी। इन कंपनियों पर सरकार का नियंत्रण था और वे बाजार के द्वारा नहीं बल्कि अफसरशाही प्रक्रिया द्वारा निर्मित थीं। ऐसे में हजारों कंपनियां और फैक्टरियां बंद हो गईं। एक बड़ी अर्थव्यवस्था […]
Opinion: बेहतर आर्थिक वृद्धि और बिजली सुधार
भारतीय बिजली क्षेत्र की बात की जाए तो नीति निर्माताओं की मंशा चाहे जो भी रही हो लेकिन देश में ताप बिजली क्षमता में ठहराव है। सीईए के आंकड़े दिखाते हैं कि ताप बिजली क्षमता 2005 के 100 गीगावॉट से बढ़कर 2018 में 300 गीगावॉट हो गई। उसके पश्चात इसमें ठहराव आ गया। सीएमआईई कैपेक्स […]
Opinion: मॉनसून में हुए बदलाव से निपटने की तैयारी
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जितना पेचीदा है भारत के लिए इसका महत्त्व भी उतना ही है। मगर वैश्विक तापमान बढ़ने के बीच इसके स्वरूप में बदलाव संभव है। मॉनसून की उत्पत्ति का एक हिस्सा तो पूरी तरह स्पष्ट है। जब विश्व में तापमान बढ़ता है तो समुद्र से अधिक मात्रा में जल वाष्प में बदलता है और […]
Opinion: प्रतियोगी परीक्षाओं से बेहतर की तैयारी
आईआईटी जेईई (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी ज्वाइंट एंट्रेंस एक्जाम) को योग्यता का पैमाना माना जाता है। इसकी कोचिंग देना एक उद्योग बन चुका है, परंतु यह अब तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि आखिर जेईई परीक्षा आईआईटी में जाने के लिए सही लोगों का चयन कैसे करती है। अधिकांश समझदार संस्थान केवल परीक्षा के […]
Opinion: श्रम बाजार के लिए गिग कार्य व्यवस्था अहम
गिग अर्थव्यवस्था (Gig economy) का उदय देश में श्रम बाजार में लोगों की भागीदारी बढ़ा सकता है। बता रहे हैं अजय शाह और मैत्रीश घटक अनुबंध आधारित या अस्थायी रोजगार (गिग वर्क) को एक नई श्रम व्यवस्था के रूप के रूप में देखा जा रहा है। मगर यह अनौपचारिक क्षेत्र में श्रम उपलब्ध कराने का […]









