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लेखक : अजित बालकृष्णन

आज का अखबार, लेख

योग्यता बनाम जीन संरचना की बहस

मैं तीन सदस्यों वाली उस समिति का सदस्य था, जिसे भारतीय प्रबंध संस्थान के निदेशक का चयन करना था। इस पद के लिए पांच नाम छांटे गए थे। हममें से एक सदस्य ने कहा, ‘इस अभ्यर्थी को चुन लेते हैं।’ मैंने पूछा, ‘क्यों, उसके रेजूमे में ऐसा क्या है जिसकी वजह से आप उसकी सिफारिश […]

आज का अखबार, लेख

भारत में नए आविष्कार के युग का उदय, छात्रों ने 6 हफ्तों में पेश किए पेटेंट-योग्य प्रोटोटाइप

कुछ हफ्ते पहले एक सुबह मैं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई के सम्मेलन कक्ष में बैठा था। मैं उस कक्ष में छह अन्य लोगों के साथ एक कार्यक्रम शुरू होने का इंतजार कर रहा था। पूरा हॉल आईआईटी के छात्रों एवं प्राध्यापकों से खचाखच भरा था। इस भारी जुटान के लिए मैं मानसिक रूप से […]

आज का अखबार, लेख

ओपिनियन: बच्चे, रोजगार और प्रवासन भारतीयों की बदलती चाह

भारतीय युवाओं में विदेशों में रोजगार और जीवन बिताने की इच्छा तथा संतानोत्पत्ति को लेकर अनिच्छा की प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। बता रहे हैं अजित बालकृष्णन क्या तुम बच्चों का बच्चे पैदा करने का इरादा नहीं है?’ यह सवाल  मैंने अपनी एक भतीजी से पूछा जो हाल ही में हमारे साथ एक सप्ताह […]

आज का अखबार, ताजा खबरें, लेख

औद्योगिक क्रांति के बाद AI में पिछड़ने का डर

वह एक थुलथुले शरीर वाले अशिक्षित व्यक्ति थे, एक कसाई के बेटे जो अपने छोटे से घर में चरखे पर कपास की बुनाई करके अपने 13 बच्चों वाले परिवार का पालन-पोषण करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। तभी उनके मन में विचार आया कि वह अपने चरखे में कुछ ऐसा सुधार करें जिससे वह […]

आज का अखबार, लेख

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस सामाजिक दृष्टि से सही

एआई (AI) की क्षमताओं और रोजगार पर उसके असर के बारे में हो हल्ले के बीच इसे इस प्रकार विकसित करने की जरूरत है कि यह सामाजिक दृष्टि से कारगर साबित हो। बता रहे हैं अजित बालकृष्णन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) के कारण रोजगार बाजार में निराशा या उछाल की खबरें हाल के दिनों में काफी […]

आज का अखबार, लेख

मानविकी और विज्ञान की खाई पाटेगा डेटा विज्ञान

चंद रोज पहले एक प्रमुख सरकारी विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने मुझे इस बात पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया कि वे अपने पाठ्यक्रम को किस प्रकार आधुनिक बनाएंगे। जब बोलने की मेरी बारी आई तो मैंने कहा कि आधुनिकीकरण की दिशा में सबसे अहम पहला कदम होगा डिजिटल ह्यूमैनिटीज यानी मानविकी की पढ़ाई शुरू कराना।  […]

आज का अखबार, लेख

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के दौर में सत्य की खोज

आज भी मुझे अपने स्कूल के दिन याद हैं जब मेरे सहपाठियों और मेरे बीच इस बात को लेकर बहस हो गई थी कि ‘शून्य’ का आविष्कार किसने किया था? उनमें से कुछ ने कहा कि शून्य का आविष्कार ‘ईश्वर’ ने किया तो कुछ अन्य ने कहा कि शून्य तो हमेशा से मौजूद था और […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: भारतीय प्रबंधक और कामकाज में बदलाव

आप क्या इस बात से सहमत नहीं हैं कि भारतीय प्रबंधकों की आयु जब 40 के करीब होने लगती है तो वे वास्तविक काम करना बंद कर देते हैं और बैठक करने, समीक्षा बैठकों की अध्यक्षता करने जैसे अनुष्ठान रूपी काम करने लगते हैं? मुझसे यह सवाल एक मित्र ने पूछा था जब हम बीकेसी […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: भारतीयों के बदलते पहनावे की वजह

क्या भारतीयों के औपचारिक पहनावे में कुर्ता-पायजामा और धोती-साड़ी का बढ़ता प्रयोग औपनिवेशिक मानसिकता से दूरी और एक किस्म के सांस्कृतिक स्वराज की बानगी है? बता रहे हैं अजित बालकृष्णन जब मैंने उन सज्जन का अभिवादन किया तो उन्होंने मुझे सवालिया नजरों से देखा। हम दोनों एक दूसरे को अपने कामकाज के शुरुआती दिनों से […]

आज का अखबार, लेख

क्रिएटर इकॉनमी: म्युजिक उद्योग में क्रांति का नया दौर

मुंबई में अपने घर के निकट जिस पार्क में मैं रोज सुबह एक घंटे पैदल चलता हूं उसके प्रवेश द्वार पर वर्दी में खड़े एक सुरक्षा कर्मी ने मुझसे कहा, ‘सर, क्या मैं आपसे बात कर सकता हूं?’ मैं उसे देखकर चकित था। क्या मैं कोई ऐसी गैरकानूनी वस्तु ले जा रहा हूं जिसे लेकर […]

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