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लेखक : अजित बालकृष्णन

आज का अखबार, लेख

ऐप्स को स्पष्ट सहमति की ओर बढ़ना होगा, ऑनलाइन दुनिया में पावर अब यूजर्स की ओर झुक रही

रोज शाम मुंबई के कोलाबा में शाम की सैर के समय जब मैं सॉसन डॉक के निकट मछुआरों को अपना मोबाइल फोन निकालकर फलों की दुकान में क्यूआर कोड से भुगतान करते देखता हूं तो मैं ऊर्जा से भर जाता हूं। मुझे देश की यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और आधार कार्ड व्यवस्था पर बहुत गर्व […]

आज का अखबार, लेख

तकनीकी क्रांतियों के पीछे की सच्चाई

मेरे जीवन में निरंतर चले आ रहे रहस्यों में से एक यह समझने की कोशिश भी रही है कि आखिर इंगलैंड में 18वीं सदी के मध्य में आरंभ हुई औद्योगिक क्रांति, जिसने कताई और बुनाई की मशीनों की शुरुआत की, वह पहले भारत में क्यों नहीं घटित हुई। आखिर भारत उस समय दुनिया में सबसे […]

आज का अखबार, लेख

वाइब कोडिंग का उभार- आपदा या अवसर?

यद्यपि यह अभी शुरुआती दौर में है लेकिन प्रोग्रामिंग का एक नया स्वरूप अपनी जड़ें जमा रहा है। इसके अंतर्गत कोडर या सॉफ्टवेयर डेवलपर को केवल सॉफ्टवेयर की समग्र ‘वाइब’ यानी उसका इरादा, रंग-रूप, अनुभव और उसके वांछित व्यवहार को साधारण भाषा में प्रकट करना होता है और कंप्यूटर अपने आप ही कोड लिख लेता है। […]

आज का अखबार, लेख

नई दुनिया के लिए कमर कसे भारत

मेरे एक मित्र 1990 के दशक में सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी चला रहे थे और मार्केटिंग विश्लेषण करते थे, जिसमें भारत और अमेरिका की नामी-गिरामी कंपनियां उनकी ग्राहक थीं। एक बार मैंने उन्हें ऐसा एल्गोरिदम बनाने में मदद करने का प्रस्ताव दिया, जिससे मार्केटिंग विश्लेषण का उनका काम बेहद जल्दी हो जाएगा। जब मैंने कहा कि […]

आज का अखबार, लेख

भारत के तकनीकी स्टार्टअप में तेजी

बिल्कुल सफेद बालों वाले मेरे मित्र बोले, ‘हमें एहतियात बरतना होगा कि जरूरत से ज्यादा जोश में मामला बिगड़ न जाए।’ मेरे मित्र प्रशासनिक सेवा से अरसे पहले रिटायर हो चुके हैं मगर उससे पहले उन्होंने औद्योगिक नीतियां बनाने वाली लगभग सभी शीर्ष सरकारी संस्थाओं में काम किया था। अब वह मुश्किल से बोल पाते […]

आज का अखबार, लेख

DeepSeek बनाम ChatGPT और क्रांतियों के आयाम

चीन की एक कंपनी ने ऐलान किया कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का उसका नया उत्पाद डीपसीक अमेरिकी एआई टूल चैटजीपीटी से बहुत अच्छा है। उसके बाद से ही मीडिया में इस पर शोरगुल मचा हुआ है। कई खबरों की सुर्खियों में कहा गया, ‘चीन के एआई चैटबॉट ने चैटजीपीटी को पछाड़ा!’ कुछ खबरें तो और […]

आज का अखबार, लेख

दुनिया में आ रहा है फ्रीलांस का दौर

भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) कलकत्ता से स्नातक करने के बाद सन 1971 में जब मैंने बंबई में पहली नौकरी शुरू की तो मैं चकित रह गया था: मेरे सामने जो दफ्तर था वहां 50 फीसदी हिस्सा युवक-युवतियों से भरा था। उनके सामने टाइपराइटर रखे थे और टाइपिंग करने के लिए वे उनके कीबोर्ड को पीटे […]

आज का अखबार, लेख

शिक्षा क्षेत्र में हो एआई का समुचित इस्तेमाल

एक समाचार की सुर्खियां हैं: ‘शिक्षकों: एआई आपकी नौकरियां ले लेगा!’ एक अन्य सुर्खी सवाल करती है, ‘क्या एआई विश्वविद्यालयों में निरर्थक नौकरियों को खत्म कर देगा?’ तीसरी सुर्खी कहती है, ‘छात्रों ने विश्वविद्यालय की परीक्षा में एआई की मदद से धोखाधड़ी की’ इन दिनों रोज ऐसी खबरें हमें देखने को मिलती हैं। ये खबरें […]

आज का अखबार, लेख

स्टार्टअप का खुमार और भविष्य की हकीकत

भारत और दुनिया में स्टार्टअप की तेज होड़ के बीच सफलता हासिल करने और अस्तित्व बनाए रखने के लिए कारोबारी हुनर के साथ मूल्यों को संजोना भी बेहद जरूरी है। समझा रहे हैं अजित बालकृष्णन एक दिन तड़के मेरे पास एक फोन आया। दूसरी ओर से जानी-पहचानी आवाज में किसी ने कहा, ‘मुझे लगता है […]

आज का अखबार, लेख

नवाचार पर वैश्विक जुनून से कदम मिला सकेगा भारत?

जब पूरी दुनिया नवाचार के क्षेत्र में झंडे गाड़ने के प्रयास में जुटी है तब प्रतिभाओं से भरा भारत इसमें क्यों पिछड़ रहा है और होड़ में आने के लिए उसे क्या करना चाहिए, बता रहे हैं अजित बालकृष्णन किसी भी शैक्षिक पत्रिका के पन्ने पलटिए, किसी ऑनलाइन समाचार वेबसाइट या अखबार में प्रकाशित लेख […]

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