नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए बिजली क्षेत्र में सधी रणनीति की जरूरत
कार्बन (जीवाश्म ईंधन) का युग समाप्त होने को है। अब हम इस बात पर चर्चा कर सकते हैं कि भारत में जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल कब बंद होगा। परंतु वर्ष 2070 तक विशुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना है तो वर्ष 2050 तक कार्बन रहित ऊर्जा तंत्र मजबूती से खड़ा करना होगा। एक […]
डेरिवेटिव कारोबार पर नियंत्रण और अर्थव्यवस्था पर असर
आधुनिक एवं सक्षम बाजार अर्थव्यवस्था में मूल्य में होने वाले बदलाव की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। कीमतों में उतार-चढ़ाव के बीच मिलने वाले संकेतों से मांग एवं आपूर्ति के मोर्चों पर हरकत होने लगती है। ये उतार-चढ़ाव दीर्घ अवधि में असहज एवं नुकसानदेह हो सकते हैं। मगर वित्तीय डेरिवेटिव बाजार ऐसे माध्यम तैयार करते हैं […]
भारत में नियामकीय सुधार का एजेंडा
सर्वशक्तिमान नियामक देश की अर्थव्यवस्था और नागरिकों के जीवन पर बहुत प्रभावकारी स्थिति में हैं। उनके संचालन में सुधार करना नई सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। बता रहे हैं के पी कृष्णन नियमन हमारे जीवन को हमारे सोच से अधिक प्रभावित करते हैं। हम नाश्ते पर जो कॉफी पीते हैं, बाहर जाने के लिए […]
नियामकीय शुल्क या अनुचित आर्थिक संवर्धन ?
Regulatory fee: बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने स्टॉक एक्सचेंजों को जानकारी दी कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड (सेबी) ने उसे सालाना कारोबार पर नियामकीय शुल्क का भुगतान करने का निर्देश दिया है। बीएसई ने कहा कि विकल्प अनुबंध (ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट) में सांकेतिक मूल्य पर विचार करने के बाद सेबी ने यह आदेश दिया है। […]
वृद्धि में बाधक श्रम नियमों पर पुनर्विचार जरूरी
देश की आईटी राजधानी जल संकट जैसी वजहों से अखबारों की सुर्खियों में रही है। आईटी/आईटीईएस से जुड़े क्षेत्र के कर्मचारियों के बीच भी असंतोष पनपने के संकेत मिल रहे हैं। बता रहे हैं के पी कृष्णन कर्नाटक राज्य आईटी /आईटीईएस कर्मचारी संघ (केआईटीयू) नाम के एक नए श्रमिक संघ ने मांग की है कि […]
जटिलताओं से भरा दवा क्षेत्र का नियमन
कई उपभोक्ता सामान की सूचनाओं में अक्सर विषमता की समस्या होती है। यह उम्मीद करना अनुचित है कि उपभोक्ता हर बार किसी उत्पाद, खासकर खाद्य पदार्थों और दवाओं की शुद्धता और गुणवत्ता की जांच स्वयं करेगा। उदाहरण के तौर पर, 13 मार्च को दिल्ली में एक बड़े नकली दवा कारोबार का पर्दाफाश हुआ। सरकार का […]
बैंकिंग क्षेत्र के कानून और नियामकीय बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) को तत्काल प्रभाव से नए ग्राहकों को जोड़ने से रोक दिया। मौजूदा ग्राहकों को अपने सभी खातों से शेष राशि निकालने या इसका उपयोग करने की अनुमति दी गई , लेकिन अतिरिक्त जमा या ऋण लेनदेन की अनुमति नहीं। […]
Opinion: केंद्रीय नियोजन में उलझे हुए शहर और जमीनी हकीकत
कल्पना कीजिए कि एक नया शहर बनाया जा रहा है। कल्पना कीजिए कि कॉलोनियों के विकास या ले-आउट पर वैसा कोई सांविधिक एकाधिकार नहीं है जैसा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण अथवा बेंगलूर विकास प्राधिकरण को मिलता है। कल्पना कीजिए कि निजी क्षेत्र बिना किसी समन्वय के जमीन पर निर्माण कर रहा है और केवल अपने […]
कम जन्म दर के बीच गोद लेने में बढ़ती जटिलताएं
कई दशकों से हमें यह बात बताई गई है कि भारत में जनसंख्या की अधिक समस्या है। हालांकि, हाल के दिनों में चीजें बहुत बदल गई हैं। चीन और यूरोप में हमें कम जन्म दर और प्रजनन दर में तेज गिरावट के प्रतिकूल परिणाम देखने को मिले हैं। हालांकि भारत में 2011 के बाद से […]
हवा की गुणवत्ता का नियंत्रण आखिर किसकी जिम्मेदारी?
वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए ऐसी बातचीत की जरूरत है जो एक खास क्षेत्र के एयरशेड का ध्यान रखती हो, क्योंकि हवा गतिमान है और वह कृत्रिम कानूनी दायरों से परे है। बता रहे हैं के पी कृष्णन अब सभी यह समझते हैं कि उत्तर भारत में हवा की गुणवत्ता हमारे समय में […]









