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लेखक : मिहिर एस शर्मा

आज का अखबार, लेख

नीति नियम: दलगत राजनीति की अपरिहार्यता

राजनीतिक दलों में विभाजन क्यों होता है या फिर वे एकजुट क्यों रहते हैं? दलगत राजनीति पर हममें से ज्यादातर का रुख कुछ ऐसा होता है: राजनीतिक दल आम तौर पर मतदाताओं के खास समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो भौतिक हित, क्षेत्रीय या सामुदायिक चेतना अथवा आर्थिक विचारधारा के कारण एक साथ रहते हैं। […]

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नीति नियम: आर्थिक लोकलुभावनवाद की नाकामी

अमेरिका में राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर अभूतपूर्व प्रयोग हुआ है, जिसका परिणाम जल्द ही हमारे सामने होगा। वहां उप राष्ट्रपति कमला हैरिस अब डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं और राष्ट्रपति चुनाव में वह पूर्व राष्ट्रपति तथा रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप को कड़ी टक्कर दे रही हैं। कई लोग इस […]

आज का अखबार, लेख

पड़ोसी देशों से खत्म होते मित्रतापूर्ण संबंध, शेख हसीना के कार्यकाल के अंत के साथ भारत-बांग्लादेश संबंधों में भी तनाव

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के तौर पर शेख हसीना के लंबे कार्यकाल के शर्मिंदगी भरे अंत ने देश के भविष्य को अनिश्चितता में झोंक दिया है। इस पूरे घटनाक्रम का एक परिणाम यह भी हुआ है कि दक्षिण एशिया में भारत अलग-थलग पड़ गया है। इस बात पर मतभेद हो सकते हैं कि भारत के नीति […]

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नीति नियम: अमेरिका में क्या चुनाव नीतियों पर लड़े जा रहे हैं? भारत जैसी स्थितियों की भी दिख रही झलक

वर्ष 2024 को परिभाषित करने वाले राष्ट्रीय चुनावों का अंतिम चरण तेजी से निकट आ रहा है। चुनावों में रुचि रखने वालों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण वर्ष है। अमेरिकी नागरिकों को भी जल्द ही अपनी नई सरकार चुननी है। अब्राहम लिंकन भले ही रिपब्लिकन थे, लेकिन इस समय ‘लोगों के लिए’ नारे के साथ डेमोक्रेट […]

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नीति नियम: सत्ता की आत्मसंतुष्टि और शेख हसीना का पराभव

अब जबकि सब कुछ बीत चुका है तब लगता है कि बांग्लादेश में सत्ता से बेदखल की गईं प्रधानमंत्री शेख हसीना की पकड़ के बारे में लोगों में काफी बेफिक्री या आत्मसंतुष्टि थी। आधिकारिक विपक्षी दल बांग्लादेश नैशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की स्थिति भी बेहद खराब होने के कारण आवामी लीग अजेय ही नजर आ रही […]

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नीति नियम: फायदेमंद साबित होने वाले तीन बदलाव

सरकारों के लिए अपना रुख बदलना अक्सर कठिन होता है। इसमें यह स्वीकार करना शामिल है कि आपने पहले जो कदम उठाया वह शायद गलत रहा हो। इसका यह अर्थ भी हो सकता है आपको उन लोगों की भी सलाह सुननी चाहिए जिनके बारे में आपकी धारणा है कि या तो उन्हें सही जानकारी नहीं […]

आज का अखबार, लेख

नीति नियम: बहुलवादी चुनाव व्यवस्था में जीत कितनी तर्कसंगत?

पिछले पखवाड़े में हमें यह अनुभव हुआ कि हमारी चुनाव प्रणाली बुनियादी रूप से कमजोर एवं अतार्किक हो सकती है। भारत, ब्रिटेन और अमेरिका में चुनाव क्षेत्र आधारित फर्स्ट-पास्ट- द-पोस्ट (एफपीटीपी) वोटिंग प्रक्रिया दो वास्तविक दलों वाले देशों जैसे अमेरिका में वास्तविक पसंद को कुछ अंश तक ही परिलक्षित करती है। अधिक बिखराव एवं विविधता […]

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नीति नियम: देश में गठबंधन धर्म की वापसी

पिछले कुछ दिनों में जो कुछ हुआ उसका सबसे बड़ा हासिल यह है कि भारत में नीति निर्माण की प्रक्रिया दोबारा गठबंधन के दौर में वापसी कर चुकी है। अब तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के अहम साझेदार मसलन एन चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP), नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड यानी जदयू […]

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नीति नियम: कारगर नहीं ‘एक देश, एक चुनाव’ का विचार

लंबे समय तक चला बहुत ही उबाऊ और थकाऊ लोक सभा चुनाव संपन्न हो चुका है। पूरे चुनाव के दौरान कुछ नए मुद्दे सुनने को मिले तो कई असाधारण उम्मीदवार भी राजनीतिक पटल पर उभर कर सामने आए। पूरे चुनाव के दौरान आचार संहिता लगी होने के कारण नीतियां और कानून बनाने का काम भले […]

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नीति नियम: चुनावों के लिए कितना अहम रोजगार का मुद्दा

देश में चुनाव प्रचार अभियान के अब चंद दिन ही बचे हैं। पिछले कई चुनावों के मुकाबले इस बार का चुनाव बेहद नीरस सा लग रहा है और चुनावी मुद्दों को लेकर भी कोई खासा जोर नहीं दिख रहा है। प्रधानमंत्री की निजी लोकप्रियता ने शायद कई लोगों को यह मानने के लिए प्रेरित किया […]

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