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लेखक : सुरिंदर सूद

आज का अखबार, लेख

जमीन के पट्‌टे के लिए चाहिए ठोस कानून

Agriculture क्षेत्र को दो सुधारों की तत्काल आवश्यकता है। इनमें से एक खेती की जोत और दूसरा जमीन के पट्‌टे को वैध बनाने से संबंधित है है। खेती की जमीन की सीमा तय करने की बात अपनी प्रासंगिकता खो चुकी है क्योंकि अधिकांश बड़ी जोत पहले ही कई पीढ़ियों के बाद छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट […]

आज का अखबार, लेख

खेती बाड़ी: कृषि मशीनीकरण का अधूरा काम

हाड़ तोड़ मेहनत से निजात दिलाना ही कृषि मशीनीकरण का मुख्य उद्देश्य नहीं है, अलबत्ता यह बेहद जरूरी और वांछित परिणामों में से निश्चित तौर पर एक है। खेती-बाड़ी के कामकाज में दक्षता और गुणवत्ता सुधारने, लागत घटाने और कृषि की उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने के लिए मशीनों का उपयोग अनिवार्य लगता है। कई राज्यों […]

आज का अखबार, लेख

पशुपालन की सफलता और बाधाओं का दायरा

विभिन्न फसलों की खेती के बजाय किसानों की आजीविका और उनकी आमदनी के विश्वसनीय स्रोत के रूप में पशुपालन उभर रहा है। इसका एक कारण जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम में दिख रही अनिश्चितता और अन्य कारणों से फसलों के उत्पादन पर मंडरा रहा खतरा है। हालांकि पशुपालन इन जोखिमों को काफी हद तक […]

आज का अखबार, लेख

खेती बाड़ी: शाकाहारी मांस की बढ़ रही लोकप्रियता

पौधों पर आधारित प्रोटीन से भरपूर खाद्य उत्पादों को लोकप्रियता पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। ये खाद्य उत्पाद दिखने और स्वाद में मांस की तरह ही होते हैं। इन्हें आम बोल-चाल में ‘शाकाहारी मांस’ या वीगन फूड्स कहा जाता है। भारत में इसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं। देश में शाकाहार […]

आज का अखबार, ताजा खबरें, लेख

जैव-उर्वरकों एवं जैव-कीटनाशकों के इस्तेमाल को मिल रहा बढ़ावा

फसलों के उत्पादन में रसायनों का उपयोग कम करने को लेकर बढ़ती जागरूकता के बीच जैव-उर्वरकों एवं जैव-कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। जैव-उर्वरक एवं जैव-कीटनाशक रासायनिक उर्वरकों के विकल्प माने जाते हैं और पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी ये अनुकूल होते हैं। अधिकांश जैव-उर्वरक एवं जैव-कीटनाशक रासायनिक उर्वरकों की तरह एवं कुछ मामलों […]

अर्थव्यवस्था, आज का अखबार, लेख

कृषि क्षेत्र में महिलाओं के साथ भेदभाव

भारतीय कृषि क्षेत्र की महिला श्रमिकों पर निर्भरता बढ़ती ही जा रही है। यह बात कई शोध एवं अध्ययन से सिद्ध भी हो गई है। इन शोध एवं अध्ययनों में जो तथ्य आए हैं उनकी पुष्टि कृषि जनगणना एवं विभिन्न सर्वेक्षणों में भी हो चुकी है। देश में आर्थिक रूप से सक्रिय कुल महिलाओं में […]

आज का अखबार, लेख

G-20 में मोटे अनाज को बढ़ावा देने का बेहतरीन अवसर

दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह G-20 के शीर्ष कृषि शोध संस्थाओं के प्रमुखों के लिए प्राथमिकताएं तय हो गई हैं। वाराणसी में इनकी तीन दिवसीय बैठक आयोजित हुई थी। उन्हें कृषि क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए विज्ञान आधारित रणनीति तैयार करनी है। कृषि क्षेत्र के समक्ष ये चुनौतियां समय […]

आज का अखबार, लेख

चारे की समस्या का समाधान तो श्वेत क्रांति में नहीं आएगा व्यवधान

पिछले एक वर्ष के दौरान दूध के दाम कई बार बढ़ाए गए हैं। इससे पहले दूध के दाम यदा-कदा ही इतने बढ़े थे। मदर डेयरी, अमूल एवं अन्य सहकारी और निजी क्षेत्र की दुग्ध उत्पादक इकाइयां 2022 की शुरुआत से विभिन्न चरणों में दूध के खुदरा दाम में 10 रुपये प्रति लीटर से अधिक का […]

आज का अखबार, लेख

भोजन की बरबादी तत्काल रोकने की जरूरत

भारत में सभी भोज्य पदार्थों का एक तिहाई हिस्सा उपभोग से पहले खराब हो जाता है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट, 2021 में कहा गया था कि भारतीय परिवारों में प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति करीब […]

आज का अखबार, लेख

दुनिया भर में मोटे अनाज की वापसी

पहले के समय में आम तौर पर मोटा अनाज खाया जाता था। यह अनाज पौष्टिक अनाज या स्मार्ट फूड्स के रूप में अपना रुतबा फिर से स्थापित कर रहा है। मोटा अनाज चिकित्सकीय और पौष्टिक गुणों के मामले में चावल, गेहूं और मक्के से बेहतर है। छोटे बीजों वाले इन अनाजों में मूल्यवान पौष्टिक तत्त्व […]

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