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लेखक : सुरिंदर सूद

आज का अखबार, लेख

लहलहाती रहे चावल की फसल: भारत की सफलता में तकनीक और नीतियों की भूमिका

भारत ने 14.9  करोड़ टन से अधिक के अनुमानित चावल उत्पादन के साथ दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादक के रूप में अपनी जगह बनाई है और इस कारण चीन दूसरे स्थान पर आ गया है। सबसे ज्यादा खपत होने वाले अनाज में चावल शुमार है। भारत वर्ष 2012 से ही चावल का शीर्ष निर्यातक […]

आज का अखबार, लेख

खेती बाड़ी: बागवानी क्षेत्र की समस्याओं का हो निराकरण

बागवानी भारतीय कृषि के विकास का एक प्रमुख इंजन बन कर उभरी है। वर्ष 2011-12 से फल, सब्जियों और अन्य बागवानी फसलों की पैदावार खाद्यान्न की तुलना में लगातार अधिक रहा है। इस कृषि वर्ष (जुलाई-जून) में बागवानी फसलों की पैदावार 36.2 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो 3.31  करोड़ टन के अनुमानित खाद्यान्न […]

आज का अखबार, लेख

फूल निर्यात में चुनौतियों का समाधान जरूरी

भारत भले ही दुनिया में फूलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और सरकार ने फूलों की खेती को शत-प्रतिशत निर्यातोन्मुख उभरता क्षेत्र घोषित किया है लेकिन वैश्विक फूल बाजार में देश की हिस्सेदारी बहुत कम है। वर्ष 2023-24  में भारत ने केवल 19,678  टन फूलों के उत्पादों का निर्यात किया जिसका मूल्य करीब […]

आज का अखबार, लेख

केवल 10,000 एफपीओ से नहीं होगा भला

सरकार ने 10,000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की जो बड़ी योजना 2020 में शुरू की और जिसके लिए करीब 6,865 करोड़ रुपये आवंटित किए थे वह कम से कम कागजों में तो पूरी हो गई है। बिहार के खगड़िया में 24 फरवरी को पंजीकृत हुआ ‘आमी-ग्रामविकास एफपीओ’ इस योजना के तहत बना 10,000वां एफपीओ […]

आज का अखबार, लेख

हल्दी-मखाना बोर्ड: नई पहल, बड़ी चुनौतियां

देश को बहु उपयोगी मसाले हल्दी का वैश्विक केंद्र बनाने के इरादे से राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड शुरू करने के महज दो हफ्ते बाद सरकार ने मखाना बोर्ड बनाने का प्रस्ताव भी रख दिया है। मखाना अभी तक तो हाशिये पर रहा था मगर पानी में होने वाली इस फसल को दुनिया भर में सुपरफूड के […]

आज का अखबार, लेख

समुद्री शैवाल का उत्पादन बढ़ाने पर हो जोर

भारत की 7,516 किलोमीटर लंबी तटरेखा पर उथले पानी में मूल्यवान एवं और विभिन्न उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने वाले समुद्री शैवाल प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। समुद्री शैवाल (एक प्रकार का समुद्री पौधा) की मांग देश के साथ विदेश में भी लगातार बढ़ रही है। मगर अफसोस की बात है कि आसानी एवं […]

आज का अखबार, कमोडिटी, लेख

खेती बाड़ी: तिलहन की खेती और तकनीकी मिशन

सरकार ने अगले सात साल में खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के मकसद से राष्ट्रीय खाद्य तेल एवं तिलहन मिशन शुरू करने का फैसला किया है। मगर यह हालिया निर्णय इस कठिन उद्देश्य की प्राप्ति का पर्याप्त भरोसा नहीं जगा पा रहा है। इस मामले में उम्मीद नहीं होने के कई कारण […]

आज का अखबार, लेख

खेती बाड़ी: जैव विविधता संकट पर आंख खोलने की जरूरत

भारत ने हाल ही में कोलंबिया के कैली में जैव विविधता से जुड़े अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन (सीबीडी) के 16वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप-16) में भाग लिया है। यह सम्मेलन भारत के लिए वरदान साबित हुआ है क्योंकि इसने सरकार को देश की राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना (एनबीएस-एपी) को फिर से देखने और […]

आज का अखबार, लेख

खेती बाड़ी: खेत से थाली की यात्रा सुगम बनाती डिजिटल राह

भारत का कृषि क्षेत्र डिजिटल क्रांति की दहलीज पर खड़ा दिख रहा है। डिजिटलीकरण और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल ग्रामीण सामाजिक आर्थिक ताने-बाने में पहले ही पैठ बना चुका है। लेकिन डिजिटल कृषि मिशन को 2,817 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ नया रूप देने के जिस प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने […]

आज का अखबार, लेख

खेती बाड़ी: टिकाऊ कपास क्रांति के ढलते दिन; उत्पादन में गिरावट और जीएम बीज नीति पर फिर से विचार की जरूरत

पिछले दशक में कपास उत्पादन में लगातार गिरावट आने से स्पष्ट संकेत मिलता है कि वर्ष 2002 में जीन संवर्द्धित और कीट प्रतिरोधी बीटी-कपास संकर किस्मों के साथ शुरू हुई कपास क्रांति के दिन अब लदने लगे हैं। हालांकि इसके लिए कई कारकों विशेष तौर पर नए कीटों और रोगों के उभार को जिम्मेदार ठहराया […]

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