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लेखक : तमाल बंद्योपाध्याय

आज का अखबार, लेख

सरकारी बैंक के कार्यकारी निदेशक की पदावनति का दिलचस्प मामला

गत 24 जून को वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने एक अधिसूचना जारी की: ‘केंद्र सरकार वित्तीय सेवा विभाग की अधिसूचना क्रमांक 4/3/2023-बीओ.1 दिनांक 27 मार्च 2024 के तहत यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक (ईडी) के रूप में ‘ए’ (नाम गोपनीय) की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रद्द करती है और उन्हें […]

आज का अखबार, लेख

बैंकिंग साख: डिजिटल भुगतान- UPI, AePS और PPI से मिल रहा आर्थिक सशक्तिकरण को बल

भारतीय रिजर्व बैंक ने जून के आखिरी हफ्ते में आधार के जरिये भुगतान प्रणाली (एईपीएस) को मजबूत करने के दिशानिर्देश जारी किए। हम सब यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) को तो जानते हैं मगर एईपीएस क्या है? यह यूपीआई का बड़ा भाई है, जिसे केंद्र सरकार यूपीआई से पांच साल पहले 2011 में लाई थी। बैंक […]

आज का अखबार, लेख

बेमिसाल 70 साल: भारत की आर्थिक प्रगति का प्रतिबिंब रहा है SBI

देश का सबसे बड़ा कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 1 जुलाई को अपना 70वां स्थापना दिवस मना रहा है। एसबीआई को इस अवसर पर बहुत शुभकामनाएं! भारतीय अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ और परिसंपत्ति के आधार पर दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल एकमात्र भारतीय बैंक एसबीआई देश के हर तीन व्यक्तियों में एक […]

आज का अखबार, लेख

बैंकिंग साख: मुनाफे की पटरी पर लौटे बैंक, अधिकांश की कमाई बढ़ी; मगर चुनौतियां बरकरार

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अगले सप्ताह समाप्त होने वाली है। ऐसे में वक्त है कि हम इस बात पर नज़र डालें कि वित्त वर्ष 2024-25 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2025 में निजी और सरकारी बैंकों का प्रदर्शन कैसा रहा। इस दौरान सात निजी और एक सरकारी बैंक को छोड़कर सभी का परिचालन […]

आज का अखबार, लेख

बैंकिंग साख: Silence, sound, action: केन्द्रीय बैंकिंग की कामयाबी के लिए क्या है जरूरी?

करीब दशक भर पहले सितंबर 2015 में भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत रीपो दर में 50आधार अंकों की कटौती की थी। यह अनुमान से दोगुनी कटौती थी। यह तीन साल की सबसे बड़ी कटौती थी और इसके बाद रीपो दर घटकर 6.75 फीसदी रह गई। यह साढ़े चार सालों का न्यूनतम स्तर था। मौद्रिक नीति […]

आज का अखबार, लेख

सतर्कता जांच: सरकारी बैंकरों के सिर पर लटकती तलवार

‘सतर्कता’ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के कर्मचारियों के लिए एक भयावह शब्द है। ऐसे भी उदाहरण हैं जहां उच्चाधिकारी इस भय का दुरुपयोग करते हैं। गत वर्ष राजस्थान में एक सरकारी बैंक के मुख्य प्रबंधक को सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले नोटिस दिया गया। इसमें उन पर 2022 में एक रियल एस्टेट परियोजना की […]

आज का अखबार, लेख

बैंकिंग साख: अपनी चुटकियों से मौद्रिक नीति की ऊब दूर करते केंद्रीय बैंकर

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की इस हफ्ते होने वाली बैठक में एक बार फिर ब्याज दर कटौती की अटकलें लगाई जा रही हैं। एमपीसी की पिछली दो बैठकों में रीपो दर को 6.5 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया था। अप्रैल में रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रुख को […]

आज का अखबार, लेख

बैंकिंग साख: जीवन ज्योति, सुरक्षा बीमा कितना फायदेमंद?

हम सभी जानते हैं कि देश में विभिन्न बैंक शाखाओं पर बीमा एवं म्युचुअल फंड योजनाएं कैसे गलत तरीके से और ग्राहकों को पूरी बात बताए बिना बेची जाती हैं। मगर यह कहानी का केवल एक पहलू है। इसका दूसरा पहलू यह है कि इसमें पीड़ित व्यक्ति ज्यादातर वे लोग होते हैं जो सामाजिक-आर्थिक रूप […]

आज का अखबार, लेख

जब DFS Secretary बन गए राजा विक्रमादित्य

किंवदंती है कि गुप्त वंश के राजा विक्रमादित्य अक्सर अपनी प्रजा के कल्याण और उनकी स्थितियों का जायजा लेने के लिए आम आदमी की वेशभूषा में उनके बीच जाते थे। हाल में वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव भी बैंकों की ग्राहक सेवाओं का जायजा लेने के लिए विक्रमादित्य की भूमिका में […]

आज का अखबार, लेख

क्या हम बीमा क्रांति की दहलीज पर खड़े हैं

अप्रैल महीने की शुरुआत में लंदन में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत-ब्रिटेन निवेशक गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत के वित्तीय क्षेत्र की एक शानदार तस्वीर पेश की। उन्होंने बताया कि देश का बाजार पूरी दुनिया के लिए खुला है और यहां पर्याप्त अवसर व महत्वाकांक्षाओं के साथ ही सुधार की पूरी गुंजाइश […]

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