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Patanjali Ayurved को इलाहाबाद HC से तगड़ा झटका! ₹273.5 करोड़ की पेनल्टी के खिलाफ दायर याचिका खा​रिज

खंडपीठ ने पतंजलि के इस तर्क को खारिज कर दिया कि इस तरह की पेनल्टी क्रि​मिनल लाय​​​​​बिलिटी के अंतर्गत आती है और इसे केवल क्रिमिनल ट्रायल के बाद ही लगाया जा सकता है।

Last Updated- June 03, 2025 | 10:22 AM IST
Patanjali
दोनों पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने 29 मई के अपने फैसले में याचिका को खारिज कर दिया।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (Patanjali Ayurved Limited) की ₹273.50 करोड़ के वस्तु एवं सेवा कर (GST) पेनल्टी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।

न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने पतंजलि के इस तर्क को खारिज कर दिया कि इस तरह की पेनल्टी क्रि​मिनल लाय​​​​​बिलिटी के अंतर्गत आती है और इसे केवल क्रिमिनल ट्रायल के बाद ही लगाया जा सकता है।

बेंच का विचार था कि टैक्स अधिकारी जीएसटी अधिनियम की धारा 122 के अंतर्गत सिविल कार्यवाही के जरिए पेनल्टी लगा सकते हैं। इसके लिए ​क्रि​​मिनल कोर्ट ट्रॉयल की जरूरत नहीं होगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि जीएसटी पेनल्टी कार्यवाही ​​​​सि​विल मामला है और इसका फैसला उचित अधिकारियों द्वारा किया जा सकता है।

बेंच ने कहा, “डीटेल एनॉलसिस के बाद, यह स्पष्ट है कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 122 के अंतर्गत कार्यवाही का फैसला निर्णायक अधिकारी द्वारा किया जाना है और इसके लिए अभियोजन की आवश्यकता नहीं है।”

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क्या है मामला

पतंजलि आयुर्वेद हरिद्वार (उत्तराखंड), सोनीपत (हरियाणा) और अहमदनगर (महाराष्ट्र) में तीन मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट का संचालन करता है। कंपनी जांच के दायरे में तब आई जब अधिकारियों को हाई इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) उपयोग वाले फर्मों से जुड़े संदिग्ध लेनदेन के बारे में जानकारी मिली, लेकिन उनके पास कोई आयकर प्रमाण-पत्र नहीं था।

जांच में यह आरोप लगाया गया कि पतंजलि “एक मुख्य व्यक्ति के रूप में सामानों की वास्तविक आपूर्ति के बिना केवल कागज पर टैकस इनवॉयस की ट्रेडिंग में लिप्त था”।

महानिदेशालय, जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI), गाजियाबाद ने 19 अप्रैल, 2024 को पतंजलि आयुर्वेद को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 122(1), खंड (ii) और (vii) के तहत ₹273.51 करोड़ की पेनल्टी लगाने का प्रस्ताव किया गया। बाद में, डीजीजीआई ने 10 जनवरी, 2025 के एक निर्णय आदेश के माध्यम से धारा 74 के तहत टैक्स ​डिमांड को हटा दिया।

विभाग ने पाया कि “सभी वस्तुओं के लिए, बेची गई मात्रा हमेशा सप्लायर से खरीदी गई मात्रा से अधिक थी, जिससे यह पता चलता है कि विवादित वस्तुओं में जो भी आईटीसी वसूला गया था, उसे याचिकाकर्ता द्वारा आगे पास किया गया था”।

टैक्स डिमांड को हटाने के बावजूद, अधिकारियों ने धारा 122 के तहत पेनल्टी कार्यवाही जारी रखने का फैसला किया, जिसके बाद पतंजलि ने उच्च न्यायालय में इसे चुनौती दी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने 29 मई के अपने फैसले में याचिका को खारिज कर दिया।

Input: PTI

First Published - June 3, 2025 | 10:22 AM IST

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