भारत की आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज (ICICI Securities) को अपने स्टॉक को डीलिस्ट करने और पेरेंट कंपनी के साथ मर्ज करने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई है।
इस ब्रोकरेज फर्म के लगभग 71.9 प्रतिशत अल्पसंख्यक शेयरधारकों ने डीलिस्टिंग के पक्ष में वोट किया, जो कि प्रस्ताव पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की नियामक आवश्यकता से अधिक था।
पब्लिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स में से, जिनकी कंपनी में कुल 16.68 प्रतिशत हिस्सेदारी है, 83.8 प्रतिशत ने डीलिस्टिंग के पक्ष में वोट किया, जबकि नॉन-इंस्टीट्यूशनल पब्लिक शेयरहोल्डर्स में से केवल 32 प्रतिशत, जिनकी कंपनी में 8.55 प्रतिशत हिस्सेदारी है, इसके पक्ष में थे।
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Norges Bank Investment Management ने पहले कहा था कि उसने डील के पक्ष में मतदान किया था। बता दें कि Norges Bank Investment Management के पास अपने एक फंड के माध्यम से 3.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
आईसीआईसीआई बैंक की ब्रोकरेज में लगभग 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है और उसके वोट पर विचार नहीं किया गया।
Quantum Asset Management, जिसकी आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में 0.21 प्रतिशत हिस्सेदारी है और उसने डील के खिलाफ मतदान किया है। इसका अनुमान है कि कंपनी के सूचीबद्ध समकक्ष के बीच सबसे कम गुणक के आधार पर भी ऑफर प्राइस लगभग 940 रुपये प्रति शेयर होना चाहिए।
क्या है सेबी का नियम?
SEBI के नियमों के अनुसार, किसी कंपनी की डीलिस्टिंग और पेरेंट कंपनी के साथ उसके मर्जर के लिए डीलिस्ट की जाने वाली कंपनी में और डीलिस्टिंग के पक्ष में शेयरहोल्डर्स वोट की संख्या डीलिस्टिंग के विपक्ष में शेयरहोल्डर्स वोट से कम से कम दोगुनी होनी चाहिए।
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ICICI Securities के शेयर
शुरुआती कारोबार में ICICI Securities के शेयर 4.5 फीसदी गिरे, जबकि आईसीआईसीआई बैंक 1.2 फीसदी ऊपर पहुंचे। फिलहाल, कंपनी का शेयर 2% से ज्यादा गिरावट के साथ 720 के आसपास कारोबार करता दिख रहा है।