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बायोकॉन ने 4,500 करोड़ जुटाए, बायोलॉजिक्स में हिस्सेदारी बढ़ाने और PE दायित्व चुकाने की तैयारी: सिद्धार्थ मित्तल

बायोकॉन ने क्यूआईपी से जुटाई 4,500 करोड़ की राशि, ज्यादातर हिस्सा प्राइवेट इक्विटी देनदारियों को चुकाने में होगा इस्तेमाल, विलय या आईपीओ पर जल्द होगा फैसला।

Last Updated- June 22, 2025 | 10:31 PM IST
अगले 5 साल में होगा 1,500 करोड़ रुपये का निवेश- सिद्धार्थ मित्तल, In next 4-5 years, we aim capex of Rs 1,500 cr: Biocon's Siddharth Mittal
बायोकॉन के मुख्य कार्य​अधिकारी और प्रबंध निदेशक सिद्धार्थ मित्तल | फाइल फोटो

बायोकॉन ने पिछले सप्ताह पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के जरिये सफलतापूर्वक 4,500 करोड़ रुपये जुटाए, जिसे भारतीय और वैश्विक निवेशकों दोनों से ही जोरदार दिलचस्पी मिली। बायोकॉन ने कहा कि यह प्रतिक्रिया कंपनी के दीर्घकालिक रणनीतिक नजरिये में बढ़ते आत्मविश्वास को दर्शाती है। यह बायोकॉन बायोलोजिक्स को सूचीबद्ध करने के बजाय कारोबार और वैज्ञानिक तालमेल का इस्तेमाल करने के लिए बायोकॉन के साथ बायोकॉन बायोलॉजिक्स के विलय पर भी विचार कर रही है। दुबई से सोहिनी दास के साथ वर्चुअल बातचीत में बायोकॉन के मुख्य कार्य​अधिकारी और प्रबंध निदेशक सिद्धार्थ मित्तल ने अपनी योजनाओं की रूपरेखा के बारे में बताया। प्रमुख अंश …

आपका क्यूआईपी सफल रहा। आप इस आय से क्या करने की योजना बना रहे हैं?

निवेशक मांग काफी जोरदार थी। निदेशक मंडल ने एक दो या अधिक किस्तों में 4,500 करोड़ रुपये तक की रकम जुटाने की मंजूरी दी थी। मांग इतनी जोरदार थी कि हमने यह पूरा काम एक ही दौर में निपटाने का फैसला किया। पूरी तरह से ‘डायल्यूटेड’ आधार पर यह बायोकॉन बायोलॉजिक्स में अपनी हिस्सेदारी 72 प्रतिशत से बढ़ाकर 79 प्रतिशत करने की अनुमति प्रदान करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निवेशकों का हमारी रणनीति तथा कारोबार और विकास योजनाओं की हमारी दीर्घकालिक दृष्टि में विश्वास है। हमारे पास करीब 55 करोड़ डॉलर की प्राइवेट इक्विटी (पीई) देनदारियां हैं, जहां से हमें इस वित्त वर्ष के अंत तक बाहर निकलने की बाध्यता है। क्यूआईपी से प्राप्त आय का बड़ा हिस्सा उन पीई दायित्वों को पूरा करने में इस्तेमाल किया जाएगा।

क्या बायोकॉन बायोलॉजिक्स के आईपीओ के संबंध में योजनाओं में कोई बदलाव है?

हमने बाजार को बताया था कि हम बायोकॉन बायोलॉजिक्स को शेयर बाजार पर सूचीबद्ध करने जा रहे हैं। इस बात के मद्देनजर कि पिछले कुछ महीने के दौरान आईपीओ बाजार के संबंध में ही अनिश्चितताएं थीं, निदेशक मंडल ने यह देखने के लिए एक समिति का गठन किया था कि बायोकॉन और बायोकॉन बायोलॉजिक्स के बीच विलय सहित अन्य क्या विकल्प हैं, जिनका मूल्यांकन किया जा सकता है। पिछले महीने गठित यह समिति कुछ दौर की चर्चा कर चुकी है। आने वाले सप्ताहों में यह निदेशक मंडल को औपचारिक सिफारिश देगी। अगर अंतिम फैसला कर लिया जाता है, तो हम निवेशकों को सूचित करेंगे।

समिति के सदस्य कौन हैं और कब तक इसकी सिफारिश प्रस्तुत किए जाने की संभावना है?

छह सदस्यों वाली इस समिति में निदेशक के कुछ स्वतंत्र निदेशक, कार्यकारी निदेशक शामिल हैं और इसे बाहरी सलाहकार तथा विभिन्न बैंकरों द्वारा भी सलाह दी जा रही है। संभावना है कि समिति आने वाले सप्ताहों में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी और उम्मीद है कि हम निदेशक मंडल की अगली बैठक से पहले सिफारिशों के साथ तैयार होंगे, जो 7 अगस्त को है।

आईपीओ के बजाय विलय पर विचार क्यों किया जा रहा है?

हम जीएलपी-1 के अवसर और इंसुलिन में अपनी दमदार फ्रैंचाइजी के बारे में बात कर रहे हैं। मधुमेह-मोटापे की वै​श्विक दिक्कत से निपटने की भारी मांग है। अगर हम दोनों पोर्टफोलियो को मिला दें, तो कारोबारी तालमेल होता है और इसलिए वित्तीय विषय के अलावा यह विलय का विषय है। जेनेरिक या बायोसिमिलर में डॉक्टरों के साथ संपर्क बिंदु सीमित है, खास तौर पर अमेरिका में संपर्क बिंदु या तो थोक विक्रेताओं के साथ है या फिर फॉर्म्युलेरी के साथ। अगर हमारे पास ऐसा व्यापक पोर्टफोलियो है जो जीएलपी-1 और इंसुलिन दोनों पर जोर देता है, तो यह विशुद्ध रूप से व्यावसायिक दृष्टिकोण से लाभ देता है। व्यापार और वैज्ञानिक पक्ष के संबंध में तालमेल है। 

First Published - June 22, 2025 | 10:31 PM IST

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