प्रोसस और जनरल अटलांटिक जैसे कुछ निवेशकों द्वारा पिछले हफ्ते बुलाई गई बैजूस की विवादास्पद असाधारण आम बैठक (ईजीएम) में लिए गए फैसलों पर मतभेद सामने आ गए हैं। इस बैठक में कंपनी के संस्थापक बैजू रवींद्रन को बोर्ड से हटाने सहित सात प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी।
अपनी टीम के सदस्यों को भेजे ईमेल में रवींद्रन ने कहा कि कंपनी के 170 शेयरधारकों में से केवल 35 ने ही प्रस्ताव के पक्ष में अपना मत दिया है और कंपनी की कुल शेयरहोल्डिंग में इनकी हिस्सेदारी महज 45 फीसदी है। इससे पता चलता है कि इस ‘फिजूल’ बैठक को बहुत कम समर्थन मिला था। सूत्रों ने कहा कि रवींद्रन ने ईजीएम को अवैध करार देते हुए बताया कि प्रस्ताव को साधारण बहुमत भी नहीं मिला।
मगर निजी इक्विटी शेयरधारकों के करीबी सूत्रों के अनुसार बैठक में 47 निवेशक आए, जिनकी कंपनी के कुल मताधिकार में 60 फीसदी हिस्सेदारी है। उनमें से बड़े संस्थागत निवेशकों की नुमाइंदगी करने वाले 46 ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव के पक्ष में अपना मत दिया था।
सूत्रों के अनुसार 28 लाख वोट वाले शेयरधारकों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव के पक्ष में मत दिया था। जांच के दौरान इनमें से कुछ को अमान्य करार दिया गया और 22 लाख मत प्रस्ताव के पक्ष में रहे। करीब 15,000 वोट वाला एक शेयरधारक बैठक में ही नहीं आया।
सूत्रों के मुताबिक कंपनी के शेयरधारकों के पास कुल 47.8 लाख शेयर हैं। लेकिन निवेशकों का कहना है कि ताजा उपलब्ध सूचना के अनुसार उनके पास 45 लाख शेयर हैं।
गणना के आधार पर शेयरों की संख्या को लेकर अंतर है मगर प्रस्ताव के पक्ष में 28 लाख शेयरों वाले निवेशकों का मत मिला जबकि प्रवर्तकों का पक्ष लने वालों का कहना है कि अवैध मतों को शामिल नहीं किया जा सकता। दोनों पक्ष शेयरों की संख्या भी अलग-अलग बता रहे हैं।
ईजीएम में बोर्ड में बदलाव पर विचार करने सहित सात प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी। इकसे तहत बोर्ड में एक संस्थापक, समूह के 2 कार्याधिकारी, 3 शेयरधारक और 3 स्वतंत्र निदेशक सहित 9 सदस्यों के ढांचे का सुझाव दिया गया था।
प्रस्ताव में नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञ नियुक्त करने तथा रवींद्रन एवं उनकी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ तथा भाई ऋजु रवींद्रन को बोर्ड से हटाने और अंतरिम सीईओ नियुक्त करने का भी प्रस्ताव पारित किया गया था।
हालांकि 20 करोड़ डॉलर के राइट्स निर्गम के लिए प्रतिबद्धता मिलने के बाद 21 फरवरी को रवींद्रन ने सुलह का प्रयास करते हुए शेयरधारकों को पत्र लिखकर सूचित किया था कि वह बोर्ड को पुनर्गठित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वित्त वर्ष 2023 के वित्तीय नतीजों के बाद संस्थापक और शेयरधारकों की आपसी सहमति से बोर्ड में दो स्वतंत्र निदेशक नियुक्त किए जाएंगे।
उन्होंने शेयरधारकों को भेजे संदेश में कहा कि उनका मानना है कि यह कंपनी के श्रेष्ठ हित में होगा और शेयरधारकों के साथ जुड़ाव बनाने में मदद करेगा।
इस बारे में पूछे जाने पर बैजूस या उसके संस्थापक ने कोई जवाब नहीं दिया। प्रोसस सहित अन्य निवेशक भी इस मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार नहीं थे।
सूत्रों ने कहा कि पिछले साल नवंबर में बैजूस के परामर्श बोर्ड के मोहन दास पई और रजनीश कुमार ने निवेशकों के साथ बात की थी, जिसमें कहा गया था कि दो स्वतंत्र निदेशक और एक पेशेवर समूह अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। इस योजना को उन निवेशकों द्वारा समर्थन किया गया जो कंपनी में और पैसा लगाने के लिए इच्छुक थे।
हालांकि दोनों पक्षों में बात नहीं बन पाई क्योंकि निवेशकों का साफ तौर पर कहना था कि प्रबंधन में बदलाव और गवर्नेंस का मुद्दा हल होने के बाद ही वे कंपनी में पैसा लगाएंगे। मगर रवींद्रन चाहते थे कि बोर्ड सदस्यों की नियुक्ति के साथ-साथ कंपनी में नया निवेश भी आना चाहिए।