नामी उपभोक्ता वस्तु फर्म डाबर ने मंगलवार को प्रतिस्पर्धी पतंजलि आयर्वेद के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कराई। बार ऐंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार इस याचिका में मांग की गई है कि पतंजलि द्वारा डाबर के च्यवनप्राश उत्पादों के खिलाफ चलाए जा रहे ‘अपमानजनक’ विज्ञापनों को रोका जाए।
न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा शुरू में इस मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने की इच्छुक थीं, लेकिन डाबर द्वारा तत्काल राहत पर जोर दिए जाने उन्होंने अंततः मामले को जनवरी के अंतिम सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक बाबा रामदेव से जुड़े एक विज्ञापन में झूठा दावा किया गया है कि केवल पतंजलि का च्यवनप्राश ही ‘ऑरिजनल’ और इसलिए प्रामाणिक है, जबकि अन्य च्यवनप्राश निर्माताओं को ‘वेद’ (या वेदों) और ‘आयुर्वेद’ का ज्ञान नहीं है।
इस वजह से अन्य निर्माताओं का च्यवनप्राश अप्रामाणिक या नकली वर्सन है। रिपोर्ट के मुताबिक विज्ञापन में स्वामी रामदेव को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है, ‘जिनको आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं, वे चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा में ‘असली’ च्यवनप्राश कैसे बना पाएंगे?’
डाबर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल ने तर्क दिया कि ऐसे दावे उपभोताओं को गुमराह करते हैं। उन्होंने ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि सभी च्यवनप्राश आयुर्वेदिक ग्रंथों में उल्लिखित विशिष्ट इंग्रिडिएंट से संबंधित कानून का पालन कर बनाए जाते हैं।