सरकार प्रस्तावित डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून को अंतिम रूप देने के करीब नहीं पहुंची है। इस कानून के लिए बनी समिति की अवधि दिसंबर में समाप्त हो गई है। सूत्रों के मुताबिक इस समिति को छह बार विस्तार मिल चुका है और इसे फिर से विस्तार मिल सकता है। सूत्रों के मुताबिक बीते कई महीनों में समिति की बैठक नहीं हुई थी। यह समिति ‘एक्स ऐंट विनियमन’ और बड़ी दिग्गज कंपनियों के मुद्दे पर किसी आम राय पर नहीं पहुंची थी।
इस मामले के जानकार व्यक्ति ने बताया, ‘यह चर्चा है कि इस विनियमन का नवाचार पर कोई नकारात्मक प्रभाव तो नहीं होगा। लिहाजा नवाचार और विनियमन के बीच संतुलन को हसिल किया जाना है।’
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग को ईमेल भेजा था लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव मनोज गोविल की अध्यक्षता में फरवरी, 2023 में मूल कानून के तहत तीन महीने के लिए समिति बनाई गई थी। डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून पर साझेदारों की चर्चा मार्च में पूरी हो पाई थी।
इस समिति के अन्य सदस्यों में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के चेयरपर्सन, इंडियन ऐंजल नेटवर्क के चेयरपर्सन व औद्योगिक निकाय नॉस्कॉम के सह संस्थापक सौरभ श्रीवास्तव हैं। इसके पैनल में कानूनी फर्म खेतान ऐंड कंपनी के हैग्रेव खेतान, शार्दुल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी की पल्लवी शार्दूल सराफ, पी ऐंड ए लॉ आफिसिज के आनंद पाठक और एक्सिओम 5 लॉ चैम्बर के राहुल रॉय हैं।
वित्त की संसदीय समिति ने दिसंबर, 2022 को पेश अपनी रिपोर्ट में डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून की जरूरत पर बल दिया था। घरेलू स्टार्टअप और समाचार प्रकाशकों ने 4 मार्च को डिजिटल प्रतिस्पर्धा की जरूरत पर अपने विचार पेश किए थे। साझेदारों की बैठक में गूगल, एमेजॉन, मेटा, ऐपल, ट्विटर और नेटफ्लिक्स के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया था जबकि घरेलू कंपनियों की ओर से जोमेटो, ओयो, स्विगी, पेटीएम, मेक माई ट्रिप, फ्लिपकार्ट सहित अन्य कंपनियों ने हिस्सा लिया था।
कई स्टार्टअप और समाचार प्रकाशक यह मामला पहले उठा चुके थे कि उन्हें पहले समिति में शामिल नहीं किया गया था और उन्होंने पहले आशंका जताई थी कि इसमें कॉरपोरेट वकीलों का दबदबा है और इनमें से कई दिग्गज तकनीकी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके बाद कई घरेलू स्टार्टअप और समाचार प्रकाशकों को पैनल के समक्ष अपने विचार पेश करने के लिए बुलाया गया था।
आरोप लगाया जाता है कि गूगल, ऐपल, फेसबुक, एमेजॉन और अन्य दिग्गज कंपनियां अपनी मार्केट स्थिति का दुरुपयोग कर व्यापक स्तर पर यूजर के डेटा का उपयोग कर रही हैं। इस मुद्दे के इर्द-गिर्द डिजिटल प्रतिर्स्पधा कानून पर चर्चा जारी है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने बीते साल गूगल पर दो अलग-अलग मामलों में 936.44 करोड़ रुपये और 1337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।