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बढ़ते आयात, घटते निर्यात से दबाव में घरेलू स्टील कंपनियां; उत्पादन को लग सकता है झटका

फर्म के एक विश्लेषक ने कहा कि व्यापार का स्तर मौजूदा वित्त वर्ष के सबसे निचले पायदान पर है और बाजार में अस्थिरता के संकेत दिख रहे हैं। साथ ही मांग में खासी गिरावट आई है।

Last Updated- September 22, 2024 | 10:07 PM IST
स्टील कंपनियों की बजट से उम्मीद, बुनियादी ढांचे, विनिर्माण व निष्पक्ष व्यापार पर हो ध्यान, Steel Inc wants fair trade, and focus on infra, manufacturing

सस्ते आयात में इजाफा, निर्यात के सीमित मौके, मांग में सीजनल कमजोरी और चीन जैसे सरप्लस उत्पादन वाले देश से अनुचित डंपिंग आदि के बीच भारतीय इस्पात कंपनियां चुनौतियों का सामना कर रही हैं। इन मसलों का स्टील की कीमतों पर असर पड़ा है और घरेलू उत्पादन को झटका लगने की संभावना है।

मार्केट इंटेलिजेंस ऐंड प्राइस रिपोर्टिंग फर्म बिगमिंट के मुताबिक हॉट-रोल्ड कॉयल (एचआरसी) की कीमतें 1,000 रुपये प्रति टन घटी हैं और अब ये 47,000 से 51,000 रुपये प्रति टन के बीच हैं। फ्लैट स्टील में एचआरसी बेंचमार्क है।

फर्म के एक विश्लेषक ने कहा कि व्यापार का स्तर मौजूदा वित्त वर्ष के सबसे निचले पायदान पर है और बाजार में अस्थिरता के संकेत दिख रहे हैं। साथ ही मांग में खासी गिरावट आई है।

बिगमिंट के आंकड़ों से पता चलता है कि लॉन्ग स्टील में ब्लास्ट फर्नेस-रीबार की ट्रेड कीमतें अभी (एक्स- मुंबई) 50,000 से 51,000 रुपये प्रति टन हैं। घटती मांग के कारण ये अगस्त 2024 के दौरान तीन साल के निचले स्तर 49,500 रुपये प्रति टन पर आ गई थीं।

मॉनसून के दौरान निर्माण की गतिविधियों में नरमी का रीबार पर ज्यादा असर पड़ा है। हालांकि ज्यादातर स्टील उत्पादकों ने आयात में बढ़ोतरी और निर्यात मौकों पर पाबंदी और ज्यादा उत्पादन को फ्लैट स्टील की कीमतों में कमजोरी की वजह बताई है।

जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी जयंत आचार्य ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी के कारण भारत समेत वैश्विक स्टील उद्योग बढ़ते स्टील आयात (खास तौर से चीन से सस्ते) के कारण भारी जोखिम का सामना कर रहा है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर कमजोर मांग के परिदृश्य में भारत चमकदार जगह है, जहां घरेलू मांग 13-14 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है। लेकिन इसका मतलब यह भी हुआ कि सरप्लस उत्पादन वाले देश अपने अतिरिक्त उत्पादन की डंपिंग के लिए भारत पर निगाहें लगा रहे हैं। हमारा आयात तेजी से बढ़ा है, लेकिन विभिन्न देशों की पाबंदियों के कारण निर्यात भी खासा कम हुआ है।

एएम/एनएस इंडिया के निदेशक और उपाध्यक्ष (बिक्री और विपणन) रंजन धर ने कहा कि भारत के लिए निर्यात मौके कम हैं क्योंकि अहम बाजार या तो चीन के निर्यात से पटे हुए हैं या फिर कमजोर मांग या व्यापार प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बीच आयात बढ़ रहा है जबकि भारत के बड़े उत्पादक सरकार की स्टील नीति के मुताबिक उत्पादन में इजाफा कर रहे हैं।

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस ऐंड एनालिटिक्स के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल से अगस्त तक तैयार स्टील का आयात सालाना आधार पर 24 फीसदी बढ़ा वहीं निर्यात में सालाना आधार पर 40 फीसदी की गिरावट आई। बुनियादी ढांचा और निर्माण क्षेत्र स्टील का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। चुनाव के बाद हालांकि निविदा जारी करने की गतिविधियां भारत में मिलीजुली रही हैं।

स्टर्लिंग ऐंड विल्सन के नैशनल हेड (इंडस्ट्रियल ईपीसी बिजनेस) ने कहा कि बुनियादी ढांचा व विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों की पूछताछ में इजाफा हुआ है।

सरकार ने वियतनाम में बने या वहां से आए एचआर फ्लैट उत्पादों की एंटी-डंपिंग जांच शुरू की है। कम कीमतों पर ऐसे उत्पाद बेचे जाने की शिकायत के बाद यह हुआ। हालांकि सीजनल कमजोरी की समाप्ति और आगे आने वाले त्योहारी सीजन के कारण फर्में बेहतर छमाही की उम्मीद कर रही हैं।

आचार्य ने कहा, हमें लगता है कि कीमतें निचले स्तर को छू चुकी हैं और साल की दूसरी छमाही में मांग अच्छी रहेगी क्योंकि सरकार का पूंजीगत खर्च जोर पकड़ रहा है। साथ ही त्योहारी मांग भी मनोबल को बढ़ाएगी।

First Published - September 22, 2024 | 10:07 PM IST

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