माना जा रहा है कि सरकार नई इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (EMPS) के तहत सब्सिडी के लिए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में घरेलू मूल्य संवर्धन (DVA) की पात्रता शर्त को बढ़ाने पर विचार कर रही है, बशर्ते इसे 31 जुलाई से आगे बढ़ा दिया जाए।
यह ऐसा कदम है, जिसमें अपने मूल्य संवर्धन में इजाफा और आयात घटाने की सोच रहीं कंपनियों को मदद मिल सकती है। उम्मीद की जा रही है कि भारी उद्योग मंत्रालय इस योजना के विस्तार कीमांग करेगा।
मौजूदा नियम के अनुसार सब्सिडी की पात्रता के लिए कंपनियों को कम से कम 50 प्रतिशत देसी पुर्जों का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
एक तरफ सरकार कंपनियों की अर्ध-वार्षिक जांच पर विचार कर रही है ताकि यह यह सुनिश्चित हो सके कि वे देसी पुर्जों के इस्तेमाल के मानदंडों का पालन कर रही हैं, दूसरी तरफ वह विनिर्माण चरण और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना वगैरह की स्पष्टता के जरिये मूल्य संवर्धन की गणना करने के विभिन्न तरीकों पर भी विचार कर रही है।
ईएमपीएस का बजट अप्रैल 2024 से शुरू होने वाले केवल चार महीनों के लिए 500 करोड़ रुपये है। ईएमपीएस ने फेम-2 योजना (FAME-2 Scheme) की जगह ली है, जिसमें वाहन कंपनियों को सब्सिडी के तौर पर 10,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए थे।
इस योजना को अंतरिम बजट में पेश किया गया था और यह आवंटन केवल कुछ महीनों के लिए किया गया था, जब तक कि नई सरकार पूर्ण बजट पेश नहीं कर देती। इस योजना को केवल दोपहिया और तिपहिया वाहनों तक ही सीमित कर दिया गया है।
यात्री कारों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। यहां तक कि सब्सिडी की राशि भी घटाकर आधी – 10,000 रुपये प्रति स्कूटर से 5,000 रुपये प्रति किलोवॉट कर दी गई है। वाहन की बैटरी पावर भले ही कुछ भी हो, 10,000 रुपये की अधिकतम सीमा (पहले यह सीमा करीब 22,000 रुपये थी) भी है।
देसी पूर्जों के इस्तेमाल के संबंध में फेम-2 योजना बड़े विवाद में फंस गई थी। आरोप लगाया गया था कि कई इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियों ने 50 प्रतिशत देसी पुर्जों की आवश्यकता की शर्त का उल्लंघन किया, खास तौर पर वैश्विक महामारी के दौरान और पात्र न होने के बावजूद सब्सिडी के लिए आवेदन करती रहीं और इसे हासिल करती रहीं।
सरकार ने देसी पुर्जों वाले मानदंडों का उल्लंघन करने के मामले हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा जैसी कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भेजा और उन्हें जुर्माने के साथ सब्सिडी वापस करने को कहा। हालांकि कई कंपनियों ने भुगतान कर दिया लेकिन हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा ने इस फैसले को चुनौती दी और उत्पादन बंद कर दिया।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि भविष्य में इस तरह के उल्लंघन न हों, सरकार अब कंपनियों की बार-बार जांच करने पर विचार कर रही है ताकि पक्का किया जा सके कि देसी मूल्य संवर्धन के संबंध में कोई अंतर न हो।