हाल ही में ‘Twitter’ से ‘X’ बने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इस बार कंपनी अदालत से जुड़े मामले को लेकर सामने आई है। मामला है अपने प्लेटफॉर्म पर बिना यूजर के कंटेंट को रिुमूव कर देने का। X ने भारतीय अदालत के उस फैसले को रद्द करने की मांग की है, जिसमें उसे कंटेंट हटाने के आदेशों का अनुपालन नहीं करने वाला पाया गया था। X, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, ने कोर्ट के सामने यह तर्क दिया कि कर्नाटक हाईकोर्ट का यह फैसला सरकार को और अधिक कंटेंट ब्लॉक करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। यह जानकारी रॉयटर्स ने दी।
कोर्ट ने लगाया था जुर्माना
बता दें कि X ने जुलाई 2022 में अपने प्लेटफार्म से बिना यूजर को बताए कंटेंट को हटाने के लिए कुछ सरकारी आदेशों को पलटने की मांग की। जून 2023 में एक अदालत ने उस अनुरोध को रद्द कर दिया और 50 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया।
लॉ फर्म Poovayya & Co ने कहा कि अगर X की अपील खारिज कर दी जाती है, तो सरकार को और ज्यादा अकाउंट ब्लॉक करने का आदेश जारी करने के लिए प्रोत्साहन मिल जाएगा जो कानून का उल्लंघन है। कंपनी ने कोर्ट को 96 पेज में अपनी अर्जी दाखिल कराई है और एक लोकल लॉ फर्म Poovayya & Co कंपनी की तरफ से कोर्ट के सामने पेश हो रही है।
X के मालिक अरबपति ईलॉन मस्क की कंपनी ने फाइलिंग में कहा कि किसी एक विशेष पोस्ट के बजाय पूरे अकाउंट को ब्लॉक करने के लिए ‘समझने योग्य पैरामीटर’ (discernible parameters) होने चाहिए, नहीं तो सरकार की ‘भविष्य में कंटेंट को सेंसर करने की पावर पर लगाम नहीं लगाई जा सकेगी।
क्या था मामला? सरकार ने क्यों हटवाए थे ट्विटर से कंटेंट?
रॉयटर्स ने बताया कि पिछले वर्षों में भारतीय अधिकारियों द्वारा X को एक स्वतंत्र सिख राज्य के समर्थक समझे जाने वाले अकाउंट, किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में गलत सूचना फैलाने वाले कथित पोस्ट और सरकार के COVID-19 महामारी से निपटने की आलोचना करने वाले ट्वीट सहित कंटेंट पर कार्रवाई करने के लिए कहा गया था।