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इलेक्ट्रिक वाहनों के गढ़ होसुर में डिजिटल प्रचार का जोर; कोई चुनावी हलचल नहीं मगर इंफ्रास्ट्रक्चर लाजवाब

पोचमपल्ली में ओला इलेक्ट्रिक दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक वाहन कारखाना लगा रही है। कूतनापल्ली में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स आईफोन की असेंबलिंग इकाई लग रही है।

Last Updated- April 10, 2024 | 11:08 PM IST
Emphasis on digital promotion in Hosur, the hub of electric vehicles; Election stir is not visible but infrastructure will attract you इलेक्ट्रिक वाहनों के गढ़ होसुर में डिजिटल प्रचार का जोर; नजर नहीं आती चुनावी हलचल मगर इंफ्रास्ट्रक्चर खींच लेगा अपनी ओर

तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले में पोचमपल्ली और कूतनापल्ली के बीच 70 किलोमीटर की दूरी हरी-भरी मनोरम वादियों और पहाडि़यों से होकर गुजरती है। हालांकि इस इलाके में चुनावों की आपाधापी नजर नहीं आती। मगर इस इलाके की नई चौड़ी सकड़ें, विस्तारित बुनियादी ढांचा, बुलंद इमारतें और दुकानें तथा बन रही रियल एस्टेट परियोजनाएं आदि लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं।

ग्रामीण तमिलनाडु के इस गांव का नाम देश के अन्य हिस्सों के लिए अपरिचित हो सकता है। मगर यह इलाका इन दिनों सुर्खियों में है। पोचमपल्ली में ओला इलेक्ट्रिक दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक वाहन कारखाना लगा रही है। कूतनापल्ली में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स आईफोन की असेंबलिंग इकाई लग रही है।

कृष्णागिरि के ये गांव औद्योगिक शहर होसुर का ही विस्तार है जो टाटा की इकाई से करीब 32 किलोमीटर और ओला संयंत्र से 80 किलोमीटर दूर है।

ओला फ्यूचर फैक्टरी से 500 मीटर दूर चाय की टपरी चलाने वाले सुब्रमण्यन ने कहा कि विशाल कारखाने से उनका कारोबार बहुत नहीं बढ़ा है लेकिन उनका मानना है कि यह एक उदाहरण हो सकता है कि उद्योग किस तरह से ग्रामीण भारत में विकास ला सकता है।

इन इलाकों और औद्योगिक शहर होसुर के दौरे के दौरान बिज़नेस स्टैंडर्ड को कहीं भी चुनावी हलचल नहीं दिखी जबकि देश के अन्य हिस्सों में चुनाव का खुमार देखा जा रहा है। होसुर औद्योगिक संघ के अनुसार पूरे इलाके में कहीं भी पोस्टर, नेताओं के कटआउट और होर्डिंग नहीं लगे हैं, जो इसका संकेत है कि इस इलाके में जहां 90 फीसदी लोग करदाता हैं, डिजिटल प्रचार जोर पकड़ रहा है।

टीवीएस मोटर्स, अशोक लीलैंड और टीएएफई की आपूर्तिकर्ता एल्केम ऑटो एन्सिलियरीज के प्रेसिडेंट अरविंद एम अधि का मानना है, ‘यह अच्छी बात है कि होर्डिंग नहीं लगे हैं मगर चुनाव प्रचार सभी जगह चल रहा है। पोस्टर कम दिखने का मतलब है कि लोग प्रचार के लिए अन्य माध्यम अपना रहे हैं।’

यह इलाका कृष्णागिरि संसदीय क्षेत्र के तहत आता है और यहां कांग्रेस के के गोपीनाथ और अन्नाद्रमुक के वी जयप्रकाश, भारतीय जनता पार्टी के सी नरसिम्हन और नाम तमिलार कांची के विद्यारानी वीरप्पन के बीच कड़ा मुकाबला होने जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता विद्यारानी कुख्यात डाकू वीरप्पन की बेटी हैं।

एक उद्यमी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला है। तीनों प्रमुख उम्मीदवार वैश्य जाति के हैं। गोपीनाथ पहले तीन बार विधायक रह चुके हैं। भाजपा के उम्मीदवार पहले कांग्रेस में थे और सांसद रह चुके हैं। मोदी का असर हो सकता है मगर द्रमुक काफी मजबूत है।’

बिज़नेस स्टैंडर्ड की टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स आईफोन हब के बाहर सॉफ्टवेयर इंजीनियर झान बाशा से मुलाकात हुई जिनका पहनावा और स्टाइल 1990 के दशक की फिल्मों में रजनीकांत जैसा दिख रहा था। बाशा के अनुसार विकास रियल एस्टेट की कीमतों पर काफी हद तक निर्भर था। उन्होंने कहा, ‘टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का कारखाना लगने से पहले यहां जमीन की कीमत 1.5 लाख रुपये प्रति एकड़ थी। लेकिन अब कई गुना बढ़कर 3 करोड़ रुपये प्रति एकड़ हो गई है।’

होसुर को केवल एक शहर और कृष्णागिरि को सामान्य संसदीय क्षेत्र समझना गलत होगा। यहां केवल ओला और टाटा के कारखाने ही नहीं हैं। देश में बिकने वाले कुल इलेक्ट्रिक दोपहियों के 65 फीसदी से ज्यादा की बिक्री होसुर-कृष्णागिरि-धर्मपुर इलाके में होती है।

वाहन विक्रेताओं का संगठन ‘फाडा’ के आंकड़ों के अनुसार तीन शीर्ष ईवी दोपहिया विनिर्माताओं- ओला इलेक्ट्रिक, टीवीएस मोटर्स और एथर एनर्जी के कारखाने होसुर इलाके में ही हैं। इसके अलावा व्यावसायिक वाहन विनिर्माता अशोक लीलैंड का कारखाना भी होसुर में ही है।

होसुर औद्योगिक संघ के अध्यक्ष एस सुंदरिया ने कहा, ‘होसुर देश की ईवी राजधानी है। अब राजनेताओं को यह सुनिश्चित करने पर विचार करना चवाहिए कि विकास से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों को मदद मिल सके। हम चाहते हैं कि टीवीएस मोटर्स और अशोक लीलैंड की तरह ही ईकोसिस्टम विकसित हो।’

वैंकूवर के प्रकाशक विजुअल कैपिटलिस्ट के अध्ययन के अनुसार होसुर सबसे तेज जनसंख्या वृद्धि के मामले में दुनिया के प्रमुख शहरों में 13वें नंबर पर है, जिसकी सालाना वृद्धि दर 5.38 फीसदी है। होसुर के आसपास करीब 5,800 विनिर्माण इकाइयां हैं, जिनमें करीब 150 बड़े उद्योग हैं। होसुर में ट्रक, वाहनों के कलपुर्जे, मोटरसाइकल, मोपेड, कपड़े, डिब्बाबंद फलों के उत्पाद, इंस्टैंट कॉफी, इलेक्ट्रॉनिक्स, टीवी, डीजल इंजन, पावर शिफ्ट ट्रांसमिशन, कास्टिंग, फोर्जिंग, सिगरेट, होजरी आदि जैसे उत्पादन बनाने के कारखाने हैं।

सुंदरिया ने कहा कि इस इलाके की कंपनियों का सालाना कारोबार करीब 4 लाख करोड़ रुपये का है और यहां से सरकार को सालाना 50,000 से 60,000 करोड़ रुपये वस्तु एवं सेवा कर मिलता है।

उन्होंने कहा, ‘इतना सबकुछ होने के बाद भी हम हवाई यातायात के लिए बेंगलूरु हवाई अड्डे पर निर्भर हैं। इलाके में हवाईअड्डा, मेट्रो और चेन्नई से सीधी रेल सेवा की सुविधा की जरूरत है। शहर में भी यातायात में सुधार के लिए उचित बुनियादी ढांचे की दरकार है। जो भी दल सत्ता में आए उसे इन चीजों पर भी ध्यान देना चाहिए।’ इस इलाके के किसान पी मुथु की भी उम्मीदवारों से कुछ आकांक्षाएं हैं।

उन्होंने कहा, ‘नेताओं को साथ मिलकर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए काम करना चाहिए। उन्हें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों की जरूरतें पूरी हों।’ उन्होंने कहा कि यहां अन्नाद्रमुक और द्रमुक के बीच मुकाबला है। द्रमुक के समर्थक बाशा ने भी इससे सहमति जताई। उन्होंने कहा, ‘द्रमुक ने महिलाओं के लिए काफी काम किए हैं। उन्हें बसों में मुफ्त यात्रा तथा कई अन्य योजनाओं का लाभ दिया है। इससे पार्टी को महिलाओं का वोट हासिल करने में मदद मिल सकती है।’

अधि ने कहा कि बेंगलूरु में जल संकट का असर होसुर में भी दिख रहा है। ऐसे में लोगों के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर ध्यान देना चाहिए। होसुर से पूर्व विधायक और इंटक के राष्ट्रीय सचिव के ए मनोहरन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विकास और बुनियादी ढांचे पर किए गए काम अगले छह महीनों में और स्पष्ट तौर पर दिखेंगे। जहां तक चुनाव की बात है तो यहां कांग्रेस को बढ़त मिलेगी।

First Published - April 10, 2024 | 11:03 PM IST

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