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भारत में पहला 6G सिस्टम साल 2030 तक शुरू होने की उम्मीद: Ericsson की सिबेल टॉम्बाज

उन्होंने कहा कि फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस भारत में संचार सेवा भागीदारों के लिए 5जी में राजस्व की नई राह और आमदनी का रास्ता तैयार कर रहा है।

Last Updated- April 12, 2024 | 11:01 PM IST
Sibel Tombaz, Head Of Product Line 5G RAN At Ericsson

Ericsson में प्रोडक्ट लाइन 5जी आरएएन की प्रमुख सिबेल टॉम्बाज ने शुभायन चक्रवर्ती को नई दिल्ली में बताया कि पहला 6जी सिस्टम साल 2030 के आसपास शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस भारत में संचार सेवा भागीदारों के लिए 5जी में राजस्व की नई राह और आमदनी का रास्ता तैयार कर रहा है। बातचीत के प्रमुख अंश …

भारत में वैश्विक स्तर का 6जी अनुसंधान किस रफ्तार से बढ़ रहा है?

हम अभी भी 5जी के शुरुआती चरण में हैं और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उपभोक्ताओं और उद्यमों के लिए 5जी के संबंध में नए उपयोग के मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि प्रौद्योगिकी के नजरिये से अगला कदम 5जी एडवांस्ड है, जिसे फिलहाल दूरसंचार मानक तय करने वाले वैश्विक मंच 3जीपीपी विकसित कर रहा है। 5जी एडवांस्ड का लक्ष्य नेटवर्क के प्रदर्शन में इजाफा करना और नई एप्लिकेशनों तथा उपयोग के मामलों के लिए मदद करना है।

5जी का बुनियादी ढांचा 6जी टेक्नालॉजी का आधार होगा, जो समाधानों की नई राहें पेश करेगा। साल 2030 के आसपास 6जी के पहले लाइव नेटवर्क की उम्मीद की जा सकती है। 6जी प्रौद्योगिकी के मानकों को आकार देने के संबंध में देश ने ‘6जी भारत’ दृष्टिकोण के साथ खुद को महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में स्थापित किया है।

एरिक्सन पहले ही भारत में 6जी के लिए समर्पित अनुसंधान टीमों की स्थापना कर चुकी है और उसने शैक्षणिक संस्थानों के साथ रणनीतिक सहयोग शुरू कर दिया है।

डायनेमिक स्पेक्ट्रम शेयरिंग की इसमें क्या भूमिका होगी?

डायनेमिक स्पेक्ट्रम शेयरिंग फ्रीक्वेंसी बैंड की अभीष्टतम उपयोग में महत्वपूर्ण अवधारणा होती है, विशेष रूप से 5जी और भविष्य के 6जी नेटवर्क के लिहाज से। स्पेक्ट्रम शेयरिंग में आम तौर पर फ्रीक्वेंसी डिवीजन डुप्लेक्स (एफडीडी) स्पेक्ट्रम की शेयरिंग शामिल रहती है, खास तौर पर 3 गीगाहर्ट्ज से कम वाले बैंड में, जिसमें 1,800 मेगाहर्ट्ज, 1,900 मेगाहर्ट्ज और 800 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड जैसी फ्रीक्वेंसी शामिल है।

ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क (ओ-आरएएन) पर एरिक्सन की रणनीति क्या है?

हम खुले, प्रोग्रामेब्ल, क्लाउड-नेटिव नेटवर्क में बदलाव की अगुआई कर रहे हैं, जो स्वामित्व की कुल लागत पर बेहतर प्रदर्शन, सुरक्षा और ऊर्जा दक्षता प्रदान करते हैं। इससे हमारे ग्राहकों और उद्योग के लिए अधिक मूल्य सृजित होता है। हम ओपन आरएएन आर्किटेक्चर के सभी तीन क्षेत्रों – क्लाउडिफिकेशन, ओपन इंटरफेस और ओपन मैनेजमेंट में उद्योग को आगे बढ़ा रहे हैं।

हम व्यावसायिक रूप से तैयार क्लाउड आरएएन पोर्टफोलियो, भविष्य के लिहाज से तैयार रेडियो लाइनअप और एक इंटेलिजेंट ऑटोमेशन प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं, जो सेवा प्रदाताओं को ओपन आरएएन और क्लाउडिफिकेशन के लिए नेटवर्क आर्किटेक्चर में लचीलापन देता है।

हम भारत या व्यापक एशियाई क्षेत्र में ओ-आरएएन के कार्यान्वयन में वृद्धि की उम्मीद कब कर सकते हैं?

फिलहाल मुख्य ध्यान लो बैंड और मिडबैंड दोनों को शामिल करते हुए दमदार 5जी नेटवर्क स्थापित करने पर है। भारत में हमारे पास बहुत सघन नेटवर्क होने के बावजूद भारत संपूर्ण नेटवर्क प्रदर्शन में वैश्विक स्तर पर पांचवें स्थान पर है। जापान और कोरिया बारत से पीछे हैं। नेटवर्क प्रदर्शन के लिए भारत की महत्वाकांक्षाएं इससे भी ज्यादा हैं।

कंपनी AI का लाभ कैसे उठा रही है?

डेटा की बढ़ती खपत के साथ दूरसंचार नेटवर्क जटिल हो गए हैं। किफायती लागत, कुशल नेटवर्क प्रबंधन और परिचालन सुनिश्चित करते हुए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) इन जटिलताओं से निपटने के मामल में सबसे अच्छी स्थिति में है। AI और मशीन लर्निंग को ऑटोमेशन के साथ मिलाने से ऐसा कुशल और गतिशील नेटवर्क उपलब्ध होगा, जो मैन्युअली संभव नहीं था। AI हमें जीरो-टच नेटवर्क की ओर ले जाते हुए संपूर्ण नेटवर्क स्वचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

First Published - April 12, 2024 | 11:01 PM IST

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