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FY24Q2: वाहन मैन्युफैक्चरर्स चमके, बढ़ा FMCG कंपनियों पर दबाव

वाहन क्षेत्र में मांग बनी हुई है और कंपनियों की आय और मुनाफे में इसका हिस्सा बढ़ा है, वहीं एफएमसीजी कंपनियों को अभी भी कमजोर बिक्री और आय बढ़ाने के लिए जूझना पड़ रहा है।

Last Updated- November 19, 2023 | 10:34 PM IST
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कोविड-19 महामारी की मंदी से उबरने और आ​​र्थिक सुधार की रफ्तार कंपनियों के नतीजों में भी दिखाई दे रही है। वाहन क्षेत्र में मांग बनी हुई है और कंपनियों की आय और मुनाफे में इसका हिस्सा बढ़ा है, वहीं एफएमसीजी कंपनियों को अभी भी कमजोर बिक्री और आय बढ़ाने के लिए जूझना पड़ रहा है। वाहन क्षेत्र में वाहन कलपुर्जा विनिर्माता भी शामिल हैं और चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनियों की कुल शुद्ध बिक्री में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर 10.05 फीसदी हो गई जो 10 तिमाही में सबसे अ​धिक है। वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में इसकी हिस्सेदारी 8.94 फीसदी और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 9.75 फीसदी थी।

इसकी तुलना में एफएमसीजी कंपनियों जैसे कि हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, ए​शियन पेंट्स और नेस्ले आदि की चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनियों की कुल शुद्ध बिक्री में हिस्सेदारी घटकर 2.76 फीसदी रह गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 2.79 फीसदी और वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में 2.85 फीसदी थी।

वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में वाहन कंपनियों की कुल शुद्ध बिक्री या आय सालाना आधार पर 19.1 फीसदी बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये रही जबकि बिज़नेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल 3,123 सूचीबद्ध कंपनियों की शुद्ध आय 6 फीसदी बढ़कर 33.5 लाख करोड़ रुपये रही। दूसरी ओर एफएमसीजी कंपनियों की शुद्ध बिक्री चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 4.7 फीसदी बढ़कर 91,910 करोड़ रुपये रही। महामारी के बाद एफएमसीजी कंपनियों की आय में यह सबसे धीमी वृद्धि है।

वाहन क्षेत्र कंपनियों के कुल मुनाफे में अपना योगदान बढ़ा रहा है जबकि एफएमसीजी कंपनियों की हिस्सेदारी कम हो रही है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनियों के कुल मुनाफे में वाहन क्षेत्र की हिस्सेदारी 7.3 फीसदी बढ़ी जो 11 तिमाही में सबसे अ​धिक है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनियों के कुल मुनाफे में इस क्षेत्र ने 5.1 फीसदी का योगदान दिया था। इसके विपरीत कंपनियों के कुल मुनाफे में एफएमसीजी का हिस्सा घटकर 4.8 फीसदी रह गया जो वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में 5.9 फीसदी थी।

वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में वाहन कंपनियों का समेकित मुनाफा दोगुना होकर 22,453 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में 11,453 करोड़ रुपये था। तिमाही आधार पर भी वाहन क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहा और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में इस क्षेत्र का मुनाफा 12.9 फीसदी बढ़ा है। इसके उलट एफएमसीजी कंपनियों का कुल मुनाफा वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 13 फीसदी बढ़कर 14,818 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 13,115 करोड़ रुपये था। तिमाही आधार पर इन कंपनियों का कुल मुनाफा 7.5 फीसदी घटा है।

इसकी तुलना में नमूने में शामिल सभी सूचीबद्ध कंपनियों का कुल शुद्ध मुनाफा चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 38 फीसदी बढ़कर 3.07 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 2.22 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि वाहन और एफएमसीजी कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में मार्जिन में सुधार का लाभ मिला है लेकिन वाहन क्षेत्र को सबसे ज्यादा फायदा बिक्री बढ़ने का हुआ है। एफएमसीजी कंपनियों को दूसरी तिमाही में भी कमजोर बिक्री का सामना करना पड़ा है।

वाहन क्षेत्र का उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन टाटा मोटर्स, मारुति सुजूकी और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के अच्छे नतीजों की वजह से हुआ है। दोपहिया कंपनियां बजाज ऑटो, हीरो मोटोकॉर्प और टीवीएस मोटर कंपनी का प्रदर्शन चारपहिया वाहन कंपनियों की तुलना में कमजोर रहा और इनका मुनाफा तथा आय वृद्धि नरम रही। सही मायने में दोपहिया कंपनियों का वित्तीय प्रदर्शन एफएमसीजी कंपनियों की तरह रहा है।

विश्लेषकों के अनुसार वाहन और एफएमसीजी कंपनियों के प्रदर्शन में अंतर मुख्य रूप से परिवारों की आय में अंतर को दिखाता है। निचले तबके की आय कम रहने से एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री पर असर पड़ा है जबकि उच्च आय वर्ग के बेहतर प्रदर्शन से वाहनों खास तौर पर कारों की बिक्री बढ़ी है।

सिस्टमैटिक्स समूह में स्ट्रैटजी एवं इकनॉमिक्स शोध के प्रमुख तथा इक्विटी के सह-प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में एफएमसीजी, परिधान, रिटेल और कंज्यूमर इलेक्ट्रिकल्स से लेकर उपभोक्ता कंपनियों का अपेक्षाकृत कमतर प्रदर्शन उन परिवारों में खर्च योग्य आय में कमी का संकेत देता है जो देश के ‘के-आकार’ की आर्थिक वृद्धि के निचले पायदान पर हैं। इसके विपरीत संपन्न वर्ग की ओर से वाहन और लक्जरी उत्पादों की मांग बढ़ी है।’

ग्रामीण बाजारों में कमजोर मांग से भी एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री पर असर पड़ा है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों ने लिखा है, ‘हमारे विश्लेषण में शामिल कंपनियों की आय वृद्धि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में अपेक्षाकृत नरम रही। बिक्री पहली तिमाही के स्तर पर रही, जो ग्रामीण भारत में कमजोर मांग को दर्शाता है।’

First Published - November 19, 2023 | 10:34 PM IST

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