वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में राजस्व वृद्धि में जहां लगातार सुस्ती दर्ज की गई, वहीं उत्पादन लागत, कर्मचारी और ब्याज लागत में नरमी से शुद्ध लाभ में बेहतर वृद्धि हासिल करने में मदद मिली। राजस्व में 10 सबसे बड़े क्षेत्रों में से 5 – तेल एवं गैस, खनन एवं धातु, एफएमसीजी, सीमेंट और वाहन ने शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर या तो गिरावट दर्ज की या वे वृद्धि दर्ज करने में कामयाब नहीं रहे।
वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में तेल एवं गैस क्षेत्र का राजस्व सपाट रहा, जबकि सीमेंट निर्माताओं की शुद्ध बिक्री में सालाना आधार पर कमजोरी आई। पूंजीगत वस्तु और निर्माण एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों ने तीसरी तिमाही में राजस्व और मुनाफे में दो अंक में वृद्धि के साथ शानदार प्रदर्शन किया।
इनके बाद प्रदर्शन के लिहाज से फार्मा कंपनियों और बैंकों, वित्त और बीमा (बीएफएसआई) कंपनियों का स्थान रहा। आईटी सेवा कंपनियों ने राजस्व में एक बार फिर से निचले एक अंक की वृद्धि दर्ज की, लेकिन उन्हें कर्मचारी लागत में नरमी की वजह से अपना मार्जिन सुधारने में मदद मिली। – कृष्ण कांत और राम प्रसाद साहू
ऑटोमोबाइल और वाहन कलपुर्जा
- त्योहारी मांग और नई पेशकशों की मदद से वाहन खंड ने निचले एक अंक में राजस्व वृद्धि दर्ज की। जहां ग्रामीण क्षेत्र ने शहरी क्षेत्रों से बेहतर प्रदर्शन किया, वहीं यात्री वाहनों का प्रदर्शन अन्य वाहन क्षेत्र से बेहतर रहा
- मोतीलाल ओसवाल रिसर्च का कहना है कि विभिन्न क्षेत्रों में मांग में मजबूत सुधार नहीं होने और निर्यात परिदृश्य अनिश्चित होने के कारण उसके कवरेज वाली ज्यादातर कंपनियों (25 में से 14) की आय वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में डाउनग्रेड की गई
- ब्रोकर को भविष्य में सभी सेगमेंटों में वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ने का अनुमान है और प्रीमियम मार्केट का प्रदर्शन एंट्री लेवल से बेहतर रहेगा
- हालांकि विदेशी मुद्रा के प्रतिकूल प्रभाव, त्योहारी सीजन में अधिक छूट और विपणन खर्च में वृद्धि के कारण तीसरी तिमाही में मार्जिन पर दबाव रहा, लेकिन चौथी तिमाही में इसके स्थिर रहने की उम्मीद है
- नोमूरा रिसर्च ने ऐसे शेयरों को पसंद किया है जिनका मॉडल चक्र मजबूत हो और बाजार भागीदारी बढ़ाने में सक्षम हों, जैसे कि एमऐंडएम
पूंजीगत वस्तु, इन्फ्रा एवं पावर
- भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स (बीएचईएल), एबीबी और सुजलॉन एनर्जी जैसी पूंजीगत वस्तु कंपनियों ने तीसरी तिमाही के दौरान राजस्व और लाभ में दो अंक की वृद्धि के साथ दमदार प्रदर्शन किया
- निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपरों ने मिश्रित रुझान पेश किया है। लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी), कल्पतरू और केईसी जैसी बड़ी कंपनियों ने शुद्ध बिक्री और मुनाफे में एक अंक की वृद्धि दर्ज की, जबकि छोटी कंपनियों को राजस्व एवं आय पर दबाव की वजह से संघर्ष का सामना करना पड़ा
- विश्लेषकों ने इसका कारण एनएचएआई जैसी बड़ी एजेंसियों द्वारा नई परियोजनाएं आवंटित करने में सुस्ती को बताया, जिसके कारण ईपीसी कंपनियों का राजस्व कम हुआ
- बिजली कंपनियों के लिए यह मिश्रित रहा, शुद्ध बिक्री में निचले एक अंक की वृद्धि, तिमाही आधार पर मार्जिन में कमी, लेकिन कम उत्पादन लागत से शुद्ध लाभ में मदद मिली
- ब्रोकर बीएचईएल, एबीबी, एलऐंडटी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स जैसी पूंजीगत वस्तु एवं रक्षा उपकरण निर्माताओं पर उत्साहित बने हुए हैं।
एफएमसीजी
- राजस्व वृद्धि हालांकि तीसरी तिमाही के अनुरूप काफी हद तक धीमी बनी रही। धीमी वृद्धि की वजह शहरी मंदी, कमजोर त्योहारी मांग और सर्दियों की शुरुआत देर से होना है
- खासकर पाम तेल, चाय, कॉफी, खोपरा, खाद्य तेल जैसे कच्चे माल की कीमतें ऊंची रहने से मार्जिन पर असर पड़ा, हालांकि कुछ कंपनियों ने मार्जिन बचाए रखने के लिए उत्पादों की कीमतें बढ़ाईं
- ग्रामीण मांग में सुधार, वितरण पहुंच बढ़ने और कई उपभोक्ता कंपनियों के लिए मूल्य वृद्धि की मदद से परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है
- आनंद राठी रिसर्च का कहना है कि वृद्धि में देर से सुधार, शहरी मांग में सुस्ती और कुछ जिंसों की ऊंची कीमतों से एफएमसीजी शेयरों में पिछले 6 महीनों के दौरान 10-35 फीसदी तक की गिरावट को बढ़ावा मिला है।
आईटी सॉफ्टवेयर
- टियर-1 कंपनियों ने तिमाही और स्थिर मुद्रा में 0.3 से 8 फीसदी की राजस्व वृद्धि दर्ज की जो बाजार अनुमानों के अनुरूप रही। टियर-2 कंपनियों ने तीसरी तिमाही के सीजनल असर के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया
- सौदे हासिल करने की रफ्तार मजबूत बनी रही। टीसीएस ने 10.2 अरब डॉलर, एलटीआईएम ने 1.7 अरब डॉलर, विप्रो ने 3.5 अरब डॉलर और कोफोर्ज तथा पर्सिस्टेंट ने 50-50 करोड़ डॉलर से ज्यादा के बड़े अनुबंध हासिल किए
- कई टियर-1 आईटी कंपनियों के लिए परिचालन मुनाफा मार्जिन सुधरा, टियर-2 फर्मों के लिए रुझान मिश्रित रहा
- मिरै ऐसेट शेयरखान रिसर्च के अनुसार, भारतीय आईटी कंपनियों के लिए मध्यावधि से दीर्घावधि का दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है, क्योंकि उद्यमों के धीरे-धीरे अपना डिस्क्रेशनरी खर्च बढ़ाएं जाने की उम्मीद है
तेल एवं गैस
- तेल एवं गैस कंपनियां तीसरी तिमाही में सपाट राजस्व और शुद्ध लाभ में दो अंक की गिरावट के साथ पिछड़ी रहीं
- इस क्षेत्र की संयुक्त शुद्ध बिक्री सालाना आधार पर 0.6 प्रतिशत तक बढ़ी और संयुक्त शुद्ध लाभ तीसरी तिमाही में
- सालाना आधार पर 21.2 प्रतिशत तक घट गया। इस क्षेत्र को लगातार चौथी तिमाही में आय पर दबाव का सामना करना पड़ा
- इंडियन ऑयल, ओएनजीसी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और ऑयल इंडिया जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों पर सबसे ज्यादा दबाव पड़ा, क्योंकि उत्पादों की कम कीमतों या कम रिफाइनिंग एवं विपणन मार्जिन की वजह से उनके राजस्व और मुनाफे में सालाना आधार पर कमी आई
- गेल (इंडिया), इंद्रप्रस्थ गैस और महानगर गैस जैसी गैस कंपनियों ने सालाना आधार पर शुद्ध लाभ में एक अंक की वृद्धि और शुद्ध लाभ में तिमाही आधार पर वृद्धि के साथ बेहतर प्रदर्शन किया
- रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी समेकित शुद्ध बिक्री में दो अंक की वृद्धि के साथ बेहतर प्रदर्शन किया और तीन तिमाहियों में सालाना गिरावट के बाद शुद्ध लाभ में एक अंक की वृद्धि दर्ज की
फार्मा एवं हेल्थकेयर
- फार्मा कंपनियों के लिए 10 प्रतिशत राजस्व वृद्धि घरेलू फॉर्मूलेशन व्यवसाय, अमेरिकी व्यवसाय में स्थिरता और निर्यातकों के लिए रुपये के मूल्यह्रास लाभ के कारण हुई। घरेलू क्रॉनिक सेगमेंट में एक्यूट सेगमेंट की तुलना में दोगुनी दर से वृद्धि हुई
- सकल मार्जिन सालाना आधार पर सुधरा और इसे खास उत्पादों की पेशकश, निचले एक अंक में कीमत कटौती, उत्पाद मिश्रण में भारतीय व्यवसाय के ऊंचे अनुपात और कच्चे माल की स्थिर कीमतों से मदद मिली
- तीसरी तिमाही के दौरान हेल्थकेयर (हॉस्पिटल) सेक्टर का राजस्व फार्मा कंपनियों की तुलना में दोगुनी दर से बढ़ा, जो बढ़ते ऑक्यूपेंसी स्तर और प्रति परिचालन बेड औसत राजस्व में वृद्धि के कारण हुआ
कंज्यूमर एवं रिटेल
- रिटेल में वैल्यू फैशन और ज्वैलरी को छोड़कर, कई अन्य सेगमेंटों ने तीसरी तिमाही में कमजोर नतीजे पेश किए क्योंकि ऊंची खाद्य कीमतों से उपभोक्ताओं का खर्च प्रभावित हुआ और प्रतिस्पर्धा बढ़ गई
- परिचालन के मोर्चे पर, डीमार्ट और टाइटन ने सकल मार्जिन में तेज गिरावट की वजह से सुस्त परिचालन प्रदर्शन दर्ज किया। जहां कम जड़ाऊ आभूषणों ने टाइटन के प्रदर्शन को असर डाला वहीं डीमार्ट के उम्मीद से कम सकल मार्जिन और ऊंचे परिचालन खर्च ने उसके मार्जिन प्रदर्शन को बिगाड़ दिया
- कई कंपनियों ने संकेत दिया है कि मांग कमजोर बनी हुई है
- ब्रोकरों का मानना है कि बजट में आयकर कटौती डिस्क्रेशनरी खपत के लिए महत्त्वपूर्ण है और इससे कंपनियों के लिए मांग में सुधार देखा जा सकता है
- हालांकि अल्पावधि परिदृश्य कमजोर बने रहने की आशंका है।
धातु एवं खनन
- खनन एवं धातु कंपनियों ने भी राजस्व में निचले एक अंक की वृद्धि और सपाट शुद्ध लाभ के साथ तीसरी तिमाही में कमजोर प्रदर्शन किया
- इस क्षेत्र की संयुक्त शुद्ध बिक्री सालाना आधार पर 4 फीसदी तक बढ़ी, जबकि संयुक्त शुद्ध लाभ 0.1 फीसदी तक बढ़ा
- उद्योग का एबिटा मार्जिन सालाना आधार पर 20 आधार अंक बढ़कर शुद्ध बिक्री का 18.6 प्रतिशत हो गया, जो कि पिछली 10 तिमाहियों में दूसरा सर्वश्रेष्ठ है, जिसका श्रेय कच्चे माल में और ऊर्जा कीमतों में नरमी से होने वाले लाभ को जाता है
- टाटा स्टील, जेएसडब्यू स्टील और जेएसपीएल जैसे लौह एवं इस्पात उत्पादक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए और तीसरी तिमाही के दौरान उनके राजस्व एवं शुद्ध लाभ पर सालाना आधार पर दबाव देखा गया
- हिंडाल्को, हिंदुस्तान जिंक और नैशनल एल्युमीनियम कंपनी जैसे अलौह धातु उत्पादकों ने बेहतर प्रदर्शन किया
बैंक
- राजस्व और शुद्ध लाभ में दो अंक की वृद्धि के साथ बैंक तीसरी तिमाही में दमदार प्रदर्शन करने वालों में शामिल रहे
- सूचीबद्ध बैंकों में उनकी संयुक्त सकल ब्याज आय और शुद्ध लाभ में तीसरी तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 11.2 और 13 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया, जो गैर-बीएफएसआई कंपनियों द्वारा दर्ज की गई वृद्धि की रफ्तार से लगभग दोगुना है
- हालांकि बैंकों को मंदी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि बाकी भारतीय उद्योग जगत की राजस्व और लाभ वृद्धि पिछली 10 और 15 तिमाहियों में सबसे कम रही थी
- बैंकों में, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नैशनल बैंक और आईसीआईसीआई बैंक शानदार प्रदर्शन करने वाले प्रमुख बैंक रहे, जबकि एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा और इंडसइंड बैंक पर दबाव देखा गया
वित्त एवं बीमा
- गैर-बैंक ऋणदाताओं ने वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में अपने बैंकिंग प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया। उन्हें सकल ब्याज आय और शुद्ध लाभ में धीमी वृद्धि से जूझना पड़ा
- उनकी संयुक्त सकल ब्याज आय पिछली 10 तिमाहियों में सबसे धीमी गति से बढ़ी, जबकि शुद्ध ब्याज आय वृद्धि पिछली 17 तिमाहियों में सबसे कमजोर रही
- गैर-बैंक ऋणदाताओं की सकल ब्याज आय सालाना आधार पर 9.3 प्रतिशत तक बढ़ी, जबकि उनका संयुक्त शुद्ध लाभ तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 2.4 फीसदी तक घट गया
- हालांकि बीमा कंपनियों ने तीसरी तिमाही में दो अंक की वृद्धि के साथ दमदार प्रदर्शन किया। दूसरी तिमाही के कमजोर प्रदर्शन के बाद उन्होंने सकल प्रीमियम आय और शुद्ध लाभ, दोनों में दो अंक की वृद्धि दर्ज की
- बीमा कंपनियों की संयुक्त सकल प्रीमियम आय सालाना आधार पर 11.6 फीसदी बढ़ी
नोट: कच्चे माल की लागत में स्टॉक समायोजन, तैयार माल की खरीद तथा बिजली, तेल एवं ईंधन खर्च शामिल हैं, पीपीपी: प्रावधान से पूर्व लाभ, स्रोत: कैपिटालाइन
आंकड़े: बीएस रिसर्च ब्यूरो द्वारा संकलित
First Published - February 26, 2025 | 10:31 PM IST
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