Go First Crisis: आर्थिक तंगी से जूझ रही गो फर्स्ट के पास एविएशन रेगुलेटर DGCA को जवाब सौंपने का आज आखिरी दिन है। DGCA ने उड़ाने रोकने को लेकर एयरलाइन से 15 मई तक जवाब मांगा था। सरकार भी एविएशन सेक्टर में जारी दिक्कतों पर नजर बनाए हुए है। खासकर गो फर्स्ट की जिन रूट्स पर उड़ानें थी।
सूत्रों ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार केप टाउन कन्वेंशन (सीटीसी) और प्रोटोकॉल को लागू करने वाले विधेयक को लागू करने में तेजी ला सकती है, जिससे पट्टेदारों के लिए दिवालिया एयरलाइन से अपने विमानों को फिर से हासिल करना आसान हो जाएगा।
गो फर्स्ट द्वारा 3 मई से परिचालन उड़ानें बंद करने के बाद, इसके पट्टेदारों ने एयरलाइन के 54 विमानों में से 40 से अधिक को वापस लेने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के पास आवेदन किया था। हालांकि, 10 मई को, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने गो फ़र्स्ट की सभी संपत्तियों पर रोक लगा दी, पट्टेदारों को अपने विमानों को वापस लेने से रोक दिया।
DGCA ने दरअसल गो फर्स्ट को 15 मई तक जवाब देने को कहा था। एयरलाइन को गैर-जिम्मेदार तरीके से ऑपरेशन बंद करने और यात्रियों के रिफंड की व्यवस्था नहीं करने के लिए DGCA ने नोटिस जारी किया था। इसके बाद से ही DGCA और सरकार दोनों ने मामले को बढ़ते देखते हुए नजरें बढ़ा दी है।
गो फर्स्ट (Go First) के पास करीब 300 करोड़ रुपये हैं और यथाशीघ्र परिचालन शुरू करने की उम्मीद है। दिवाला प्रक्रिया के लिए वाडिया समूह की विमानन कंपनी की याचिका 10 मई को स्वीकार कर ली गई और अभिलाष पाल को अंतरिम समाधान पेशेवर के रूप में नियुक्त किया गया।
इस बीच विमानन कंपनी के एक अधिकारी ने कहा ‘परिचालन को यथाशीघ्र फिर से शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है।’ गो फर्स्ट ने खराब इंजनों और ठप विमानों के परिणामस्वरूप नकदी की कमी के कारण 2 मई को परिचालन बंद कर दिया था।