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Hospital Revenue Growth: दक्षता में सुधार, बढ़ती मांग के बीच अस्पतालों का प्रति बेड राजस्व बढ़ा

अपोलो हॉस्पिटल्स और फोर्टिस हेल्थकेयर जैसे प्रमुख अस्पतालों ने दमदार प्रदर्शन किया

Last Updated- January 01, 2025 | 11:03 PM IST
50% increase in patients in OPD due to pollution, most of the patients are suffering from respiratory problems प्रदूषण से ओपीडी में बढ़े 50 फीसदी मरीज, अधिकांश मरीज श्वसन की तकलीफों से परेशान

भारत के अस्पताल क्षेत्र में प्रति बेड औसत राजस्व (एआरपीओबी) में इस साल एक अंक में वृद्धि देखी गई। यह परिचालन दक्षता में सुधार और उन्नत चिकित्सा उपचार अपनाने के कारण संभव हो सका है। अपोलो हॉस्पिटल्स और फोर्टिस हेल्थकेयर जैसे प्रमुख अस्पतालों ने दमदार प्रदर्शन किया। इससे पता चलता है कि कैसे रणनीतिक उपायों से राजस्व वृद्धि को बल मिल रहा है और मरीजों की देखभाल भी बढ़ रही है।

भारत के शीर्ष स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में से एक अपोलो हॉस्पिटल्स ने इस साल अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में तीन फीसदी की वृद्धि दर्ज की और दूसरी ओर, कीमतों में 2 फीसदी इजाफा हुआ। इस वृद्धि का कारण मरीजों की अधिक संख्या, छोटे इनवेसिव सर्जरी का ज्यादा चलन और अस्पताल में भर्ती के दिनों की संख्या कम होना है।

इस अस्पताल श्रृंखला ने दक्षता पर जोर दिया जिससे 30 से 35 फीसदी मरीज एक दिन की ही प्रक्रिया में निपटा दिए जाते हैं। इस बदलाव ने अस्पताल में भर्ती होने की औसत अवधि को कम कर 3.2 दिन कर दिया है, जिससे राजस्व प्रभावित हुए बगैर लागत कम करने में मदद मिली है।

अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज के समूह मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) कृष्णन अखिलेश्वन ने कहा कि प्रति बेड राजस्व (आरपीओपी) सिर्फ मूल्य निर्धारण तक सीमित नहीं है बल्कि यह बीमारी की जटिलता, प्रौद्योगिकी के उपयोग और भर्ती होने की औसत अवधि को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘अपोलो के 70 फीसदी मरीजों ने भर्ती होने पर 2 लाख रुपये से कम का भुगतान किया है। हमने चिकित्सा प्रौद्योगिकी आयात, वेतन और जीएसटी इनपुट लागत से बढ़ते खर्च के बावजूद किफायती होने पर ध्यान केंद्रित किया है।’

इसके अलावा, अपोलो ने अपना ध्यान कम से कम इनवेसिव और रोबोटिक सर्जरी पर जोर देते हुए सालाना 6 से 7 फीसदी की आरपीओपी वृद्धि सुनिश्चित की है। इनमें से 4 फीसदी मूल्य निर्धारण समायोजन और 2 से 3 फीसदी बेहतर केस मिश्रण और प्रौद्योगिकी अपनाने के जरिये हुआ है।

फोर्टिस हेल्थकेयर का एआरपीओबी इस साल लगातार ऊपर बना रहा, जो ऑन्कोलॉजी (कैंसर विज्ञान)और न्यूरोसाइंस (तंत्रिका विज्ञान)जैसे अधिक राजस्व वाले खास इलाज के कारण है। अस्पताल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी आशुतोष रघुवंशी ने बताया कि मरीजों की मजबूत संख्या को बेड क्षमता बढ़ाने, उन्नत चिकित्सा बुनियादी ढांचा और वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा पर्यटन में सुधार से मदद मिली।

फोर्टिस को प्रौद्योगिकी और कुशल नैदानिक टीमों के तालमले के साथ काम करने से भी फायदा मिला है। इससे विशेष उपचार और मरीजों का बेहतर परिणाम हासिल हुआ है। इन कारकों से एआरपीओबी को बढ़ावा मिला है। इक्रा लिमिटेड की उपाध्यक्ष और सेक्टर प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग्स) मैत्री मचेरला के मुताबिक, पूरे क्षेत्र में एआरपीओबी की वृद्धि को सालाना कीमतों में वृद्धि, इलेक्टिव सर्जरी की बेहतर मांग और चिकित्सा पर्यटन में आए सुधार से बल मिला है। उन्होंने कहा, ‘बड़ी कंपनियों के लिए बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’

इस साल पूरे क्षेत्र में ऑक्यूपेंसी में सुधार ऑन्कोलॉजी और न्यूरोसाइंस में सर्जरी बढ़ने और रोगियों को भर्ती करने में डिजिटल चैनलों के बढ़ते योगदान से संभव हो सका। सकारात्मक रुझानों के बाद भी अस्पताल लगातार बढ़ती लागत का सामना कर रहे हैं। उदाहरण के लिए अपोलो को हर साल वेतन मद में 10 फीसदी इजाफा करना पड़ता है और उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकियों पर 27 से 37 फीसदी तक आयात शुल्क चुकाना पड़ता है। मगर मात्रात्मक विकास पर ध्यान देकर अपोलो मरीजों के लिए किफायती बनते हुए इन लागतों की भरपाई करने में कामयाब रहा है।

First Published - January 1, 2025 | 11:03 PM IST

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