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भारतीय कंपनियों ने विदेशी बाजार से जुटाए 58,000 करोड़ रुपये

हेजिंग लागत में कमी और निवेशकों की बढ़ती रुचि से अपतटीय बॉन्ड बाजार में तेजी

Last Updated- April 02, 2025 | 10:42 PM IST
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हाल में समाप्त वित्त वर्ष में भारतीय कंपनियों ने विदेशी पूंजी बाजार से करीब 58,000 करोड़ रुपये जुटाए, जिसकी वजह हेजिंग लागत में कमी और उच्च प्रतिफल वाली प्रतिभूतियों की वैश्विक निवेशकों की मजबूत मांग थी।

प्राइमडेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार, देसी कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 में 57,815 करोड़ रुपये जुटाए, जो वित्त वर्ष 2024 के मुकाबले 28.5 फीसदी ज्यादा है क्योंकि तब घरेलू कंपनियों ने 45,007 करोड़ रुपये जुटाए थे। वित्त वर्ष 2023 में भारतीय कंपनियों ने इसी माध्यम से 15,592 करोड़ रुपये जुटाए थे।

हालांकि, वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2021 में भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी पूंजी बाजारों से जुटाई गई राशि काफी अधिक थी। वित्त वर्ष 2022 में उन्होंने करीब 99,000 करोड़ रुपये जुटाए थे जबकि वित्त वर्ष 2021 में उन्होंने लगभग 66,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।

आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में, एग्जिम बैंक सबसे बड़ा जारीकर्ता था, जिसने 8,643.68 करोड़ रुपये जुटाए, उसके बाद भारतीय स्टेट बैंक (5,049 करोड़ रुपये) और श्रीराम फाइनैंस (4,189.44 करोड़ रुपये) का स्थान रहा। राज्य के स्वामित्व वाली आरईसी चौथे स्थान पर रही, जिसने 4,183 करोड़ रुपये जुटाए। उसके बाद पीरामल कैपिटल ऐंड हाउसिंग फाइनैंस 3,771 करोड़ रुपये के साथ तीसरे स्थान पर रही।

रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक और प्रबंध भागीदार वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, रणनीतिक विविधीकरण, विनियामक बदलावों और वैश्विक तरलता स्थितियों में सुधार के मिश्रण से भारतीय जारीकर्ता ऑफशोर बॉन्ड बाजारों में मजबूती से वापसी कर रहे हैं। आकर्षक और हेजिंग लागत में कमी, भारतीय ऋण के लिए वैश्विक निवेशकों की बढ़ती रुचि और प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में कटौती की उम्मीद ने इस प्रवृत्ति में और इजाफा किया है। इसके अतिरिक्त, वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में भारत के शामिल होने से भारतीय ऋण को लेकर विजिबलिटी बढ़ी है, जिससे अधिक ऑफशोर पूंजी आकर्षित हुई है।

उन्होंने कहा कि एएए रेटिंग वाली सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएं और नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियां लंबी अवधि के वित्तपोषण के लिए अपतटीय बांड बाजारों का उपयोग जारी रखे हुए है, जबकि घरेलू तरलता की कमी का सामना कर रही एनबीएफसी और कम रेटिंग वाली जारीकर्ता कंपनियां तेजी से अपतटीय विकल्प तलाश रही हैं।

नवंबर 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक ने एनबीएफसी को दिए जाने वाले बैंक ऋणों के लिए जोखिम भार बढ़ा दिया था, जिससे शैडो बैंकों को पारंपरिक बैंक ऋणों से परे अपने वित्तपोषण स्रोतों में विविधता लाने के लिए प्रेरित किया गया। इस विनियामकीय पहल ने एनबीएफसी को घरेलू और विदेशी बॉन्ड बाज़ारों सहित वैकल्पिक वित्तपोषण के रास्ते तलाशने के लिए प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप श्रीराम फाइनैंस, पीसीएचएफएल, मणप्पम फाइनैंस, मुथूट फाइनैंस और टाटा कैपिटल ने वित्त वर्ष 25 में रकम जुटाने के लिए विदेशी पूंजी बाजार का सहारा लिया।

इसके अतिरिक्त, बाजार के प्रतिभागियों ने पाया कि कई अक्षय ऊर्जा फर्म, (विशेष रूप से एए और उससे नीचे की रेटिंग वाली फर्में) घरेलू बाजारों में लंबी अवधि के लिए रकम प्राप्त करने के लिए संघर्ष करती हैं। परिणामस्वरूप, वे अपतटीय बाजारों का सहारा लेते हैं, जहां वे अधिक प्रतिस्पर्धी शर्तों पर रकम प्राप्त कर सकते हैं। इसी तरह, कुछ कॉरपोरेट उधारकर्ताओं को घरेलू निवेशकों से जोखिम संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण मूल्य निर्धारण कम होता है या मांग सीमित होती है।

अपतटीय बाजारों तक पहुंचकर वे अपने वित्तपोषण स्रोतों में विविधता ला सकते हैं और अपने घरेलू समकक्षों की तुलना में बेहतर मूल्य निर्धारण प्राप्त कर सकते हैं। जनवरी में वेदांत रिसोर्सेस की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक वेदांत रिसोर्सेस फाइनैंस-2 पीएलसी ने अंतरराष्ट्रीय ऋण बाजार में दो चरण में 1.1 अरब डॉलर जुटाए।

First Published - April 2, 2025 | 10:42 PM IST

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