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अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर से भारत को सीमित लाभ, लेकिन कृषि क्षेत्र पर मंडरा रहा खतरा

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में भारत से चीन को 3.54 अरब डॉलर मूल्य के कृषि उत्पादों का निर्यात हुआ था।

Last Updated- March 05, 2025 | 8:00 AM IST
India faces limited gains, more pain from trade war between US and China
Representative image

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ने का भारतीय कृषि उत्पादों के निर्यातकों को मामूली फायदा ही हो सकता है। व्यापार पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को इसका कुछ न कुछ लाभ तो मिलेगा मगर वह केवल कपास तक ही सीमित रह सकता है।

मगर इसके उलट अगर अमेरिका चीन नहीं भेजी जा रही वस्तुओं को भारतीय बाजार में धकेलना शुरू करेगा तो भारत के कृषि क्षेत्र को झटका लग सकता है।

चीन ने भी मंगलवार को कहा कि वह अमेरिका से आने वाली वस्तुओं पर ऊंचे शुल्क लगाएगा। इन वस्तुओं में चिकन, गेहूं, अनाज, कपास, ज्वार, मांस, सोयाबीन, दुग्ध उत्पाद और अन्य कृषि उत्पाद शामिल हैं। चीन 10 मार्च से इन वस्तुओं पर शुल्क लगाएगा। इससे पहले अमेरिका ने चीन से आने वाले उत्पादों पर शुल्क दोगुना बढ़ाकर 20 फीसदी करने की घोषणा की थी। चीन ने इसी के जवाब में अमेरिका से आने वाली वस्तुओं पर शुल्क लगाने की घोषणा की है। चीन की वस्तुओं पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी शुल्क लगा दिया था और अब उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल में 10 फीसदी अतिरिक्त शुल्क थोप दिया है। जो बाइडन के कार्यकाल में भी चीन से आने वाले सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क लगा दिया गया था।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में भारत से चीन को 3.54 अरब डॉलर मूल्य के कृषि उत्पादों का निर्यात हुआ था। इसी अवधि में अमेरिका को यह निर्यात 5.52 अरब डॉलर रहा था। ग्लोबल एग्रीसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष एवं एपीडा के पूर्व प्रमुख गोकुल पटनायक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अगर चीन अमेरिका से कृषि वस्तुओं का आयात कम करता है तो सभी जिंसों में कपास सबसे अधिक फायदे में रहेगा। भारत चीन को कपास का निर्यात करता रहा है।’ पटनायक ने कहा कि अन्य वस्तुओं में भारत में सोयाबीन का पर्याप्त उत्पादन नहीं होता है जबकि गेहूं के निर्यात की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मेरी नजर में जिन सभी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाए गए हैं उनमें केवल चीन को कपास का निर्यात ही बढ़ सकता है।‘

US-china trade

चीन ने वर्ष 2024 में अमेरिका से 29.25 अरब डॉलर मूल्य के कृषि उत्पादों का आयात किया था जो इससे पिछले वर्ष की तुलना में 14 फीसदी कम रहा था। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 के बाद अमेरिका से चीन को कृषि उत्पादों का निर्यात कम हुआ है। इसका कारण यह है कि चीन ने सोयाबीन, गोमांस, सूअर के मांस, गेहूं, अनाज और ज्वार पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया था। ट्रंप द्वारा शुल्क लगाने के जवाब में चीन ने यह कदम उठाया था।

वर्ष 2018 के बाद चीन ने कृषि उत्पादों के आयात के लिए अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करने का प्रयास किया है और ब्राजील जैसे देशों से आयात बढ़ा रहा है। इसके अलावा चीन खाद्य सुरक्षा पुख्ता करने के लिए स्थानीय स्तर पर भी उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है। हालांकि, अब भी चीन अमेरिकी किसानों के लिए सबसे बड़ा निर्यात बाजार रहा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के किसान नेता एवं कारोबारी चीन से मांग में कमी की भरपाई करने के लिए दूसरे देशों में संभावनाएं तलाश रहे हैं मगर उनकी नजर में चीन का विकल्प खोजना नामुमकिन है।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि चीन को निर्यात होने वाली अमेरिकी वस्तुओं पर अधिक शुल्क लगेगा इसलिए ये वस्तुएं अमेरिका से निकल कर भारतीय बाजार में भारी मात्रा में पहुंच सकती हैं। उनके अनुसार इससे भारतीय किसानों को नुकसान होगा, खासकर मक्का और सोयाबीन को झटका लग सकता है।

सामाजिक विकास परिषद में मानद प्राध्यापक विश्वजित धर कहते हैं, ‘दिक्कत यह है कि अमेरिका में कुछ कृषि उत्पादों की भरमार लग जाएगी जिनका आयात वहां से चीन को हुआ करता था। इससे अमेरिका भारत पर अधिक कृषि उत्पाद खरीदने के लिए दबाव बढ़ा सकता है।’ धर ने कहा कि इस समय दोनों ही देशों ने कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ाने का फैसला किया है।

First Published - March 5, 2025 | 7:34 AM IST

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