किसान आंदोलन से कारोबार प्रभावित हो रहा है। उद्योग संगठनों के अनुसार इस आंदोलन से उद्योग को रोजाना 500 करोड़ रुपये की चपत लग रही है। इसका चौथी तिमाही में उत्तर भारत के राज्यों की जीडीपी पर भी असर पड़ सकता है। कारोबारियों के अनुसार इस आंदोलन से दिल्ली के कारोबारियों को अब तक 300 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने एक बयान जारी कर कहा कि किसान आंदोलन का उत्तर भारत के उद्योग, कारोबार और रोजगार पर बुरा असर हो रहा है। इस आंदोलन के कारण रोजाना 500 करोड़ रुपये का उद्योग को नुकसान हो रहा है। जिसका चौथी तिमाही में उत्तर भारत के राज्यों की जीडीपी पर असर पडेगा।
वर्ष 2022-23 में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश इन चारों राज्यों की जीडीपी चालू मूल्य पर (current price) 27 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है। आंदोलन से उत्तर भारत के उपरोक्त चारों राज्यों में एमएसएमई को कच्चे और तैयार माल की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। इन राज्यों की करीब 34 लाख एमएसएमई के कारखानों में 70 लाख कामगार कार्य करते हैं। सरकार और किसान दोनों को जल्द ही इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि किसानों के प्रदर्शन से दिल्ली में कारोबार अब तक करीब 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। दिल्ली में आस-पास के राज्यों से खरीदारी करने के लिए आमतौर पर रोजाना 5 लाख कारोबारी व ग्राहक आते हैं। इसके अलावा सड़क ब्लॉक क्षेत्रों के पास स्थित दुकानों के कारोबारियों को बड़ा नुकसान हो रहा है।
इस बीच, कैट ने दावा किया है कि आज किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद में देश भर के कारोबारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोले और बाजारों में सामान्य रूप से कारोबार हुआ। हालांकि ट्रेड यूनियनों का दावा है कि भारत बंद सफल रहा और इसका व्यापक असर दिखा।