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Red Sea Crisis: लाल सागर संकट से ढुलाई लागत 60%, बीमा प्रीमियम 20% बढ़ने की आशंका- रिपोर्ट

इससे बीमा प्रीमियम में 15-20 प्रतिशत बढ़ने के अलावा चोरी और हमलों से माल को नुकसान पहुंचने की आशंका भी है।

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भाषा   
Last Updated- January 06, 2024 | 4:32 PM IST

लाल सागर में संकट बढ़ने से समुद्री व्यापार पर गहरा असर पड़ने की आशंका है। वैकल्पिक मार्ग से माल ढुलाई पर लागत 60 प्रतिशत तक और बीमा प्रीमियम 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है।

आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने शनिवार को एक रिपोर्ट में कहा कि लाल सागर में संकट गहराने से माल ढुलाई में लगने वाले समय में 20 दिन की देरी और लागत में 40-60 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।

इससे बीमा प्रीमियम में 15-20 प्रतिशत बढ़ने के अलावा चोरी और हमलों से माल को नुकसान पहुंचने की आशंका भी है। लाल सागर और भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य के आसपास की स्थिति यमन स्थित हूती आतंकवादियों के हमलों के कारण बिगड़ गई है।

इन हमलों के कारण, जहाज रास्ता बदलकर ‘केप ऑफ गुड होप’ के माध्यम से आवाजाही कर रहे हैं। इससे लगभग 20 दिनों की देर हो रही है और माल ढुलाई एवं बीमा लागत भी बढ़ रही है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने रिपोर्ट में कहा कि हूती हमलों के कारण लाल सागर व्यापारिक मार्ग में व्यवधान आने से भारतीय व्यापार, खासकर पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप के साथ कारोबार पर काफी प्रभाव पड़ा है।

इसके मुताबिक, भारत, कच्चे तेल और एलएनजी आयात और प्रमुख क्षेत्रों के साथ व्यापार के लिए बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य पर बहुत अधिक निर्भर है। ऐसे में इस क्षेत्र में कोई भी गतिरोध आने से भारी आर्थिक और सुरक्षा जोखिमों का सामना करना पड़ता है। जीटीआरआई का अनुमान है कि यूरोप और उत्तरी अफ्रीका के साथ भारत के समग्र उत्पाद व्यापार का लगभग 50 प्रतिशत आयात और 60 प्रतिशत निर्यात यानी कुल 113 अरब डॉलर का कारोबार इसी मार्ग से हुआ है।

First Published : January 6, 2024 | 4:32 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)