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कार्यस्थल पर चोट की घटनाएं बढ़ीं लेकिन मौतों में आई कमी: आईआईएएस रिपोर्ट

वित्त वर्ष 2023 में कार्यस्थलों पर 463 मौतें दर्ज की गईं, जबकि वित्त वर्ष 2022 में यह संख्या 587 थी।

Last Updated- July 25, 2024 | 11:24 PM IST
कार्यस्थल पर चोट की घटनाएं बढ़ीं, मौतों में आई कमी: आईआईएएस रिपोर्ट, Workplace injuries rise 8.5% and fatalities fall 21%, says IiAS study

कार्यस्थल पर चोट लगने की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। वित्त वर्ष 2022 में जहां 9,889 ऐसी घटनाएं दर्ज की गई थीं, वहीं 2023 में इनकी संख्या बढ़ कर 10,733 हो गई। गंभीर चोट की घटनाओं में 33 फीसदी वृद्धि हुई है। इनकी संख्या पहले की 679 के मुकाबले 907 दर्ज की गई। यह जानकारी इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेस इंडिया प्रा. लि. (आईआईएएस) द्वारा निफ्टी-500 कंपनियों पर किए गए विश्लेषण में उभरकर सामने आई है।

खास बात यह कि कार्यस्थल पर जहां चोट लगने की घटनाएं बढ़ी हैं, वहीं मौतों की घटनाओं में खासी गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2023 में कार्यस्थलों पर 463 मौतें दर्ज की गईं, जबकि वित्त वर्ष 2022 में यह संख्या 587 थी। एक और बात, अभी भी काम के दौरान कार्यस्थल पर प्रतिदिन औसतन एक से अधिक लोग जान गंवा रहे हैं। वित्त वर्ष 2023 में निफ्टी 500 कंपनियों के साथ 1.04 करोड़ श्रमबल था। इनमें लगभग 40 लाख श्रमिक थे, जबकि 64 लाख कर्मचारी थे।

आईआईएएस के बयान में कहा गया है, ‘कंपनियों के बोर्ड और शीर्ष प्रबंधन कार्य स्थल पर कर्मचारियों की सुरक्षा एवं कल्याण को लेकर शायद ही कभी फिक्रमंद होते हों।’ भारत में जब से कंपनियों ने कारोबारी दायित्व और स्थायित्व रिपोर्टिंग (बीआरएसआर) पर सुरक्षा आंकड़े प्रकाशित करने शुरू किए हैं, उसके बाद से यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है। इस अध्ययन में स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रशिक्षण तथा कार्य स्थल पर चोट एवं मौतों के बीच सीधा संबंध दिखता है।

अध्ययन के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में प्रशिक्षित कार्यबल की संख्या वित्त वर्ष 2022 में 36 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 41 फीसदी तक पहुंच गई, जबकि निजी क्षेत्र में ऐसे कर्मचारियों की संख्या 67 फीसदी से बढ़कर 71 फीसदी हो गई।

निजी कंपनियों में काम के दौरान गंभीर चोट के मामले वित्त वर्ष 22 के 2.4 प्रति कंपनी से गिरकर वित्त वर्ष 23 में 1.7पर आ गए। जहां तक पीएसयू का सवाल है तो यहां इनकी संख्या 2.1 प्रति कंपनी से गिरकर 1.3 पर आ गई।

आईआईएएस के प्रबंध निदेशक और सीईओ अमित टंडन कहते हैं, ‘कंपनियों द्वारा स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी आंकड़े एकत्र करना न केवल नियामकीय जरूरत है, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा एवं सतत विकास के लिए उनकी नैतिक जिम्मेदारी भी है। कंपनी में सुरक्षित माहौल जहां कुशल कर्मचारियों को साथ जोड़े रखने में मदद करता है, वहीं नए पेशेवरों को भी आकर्षित करता है। इससे दीर्घावधि में प्रतिस्पर्धा एवं कामयाबी की नींव रखी जाती है।’

First Published - July 25, 2024 | 11:24 PM IST

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