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बोली प्रक्रिया में गड़बड़ी, धीमी पड़ी सौर परियोजना की गति

बोली प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही एसईसीआई ने अनियमितता चिह्नित की, जिसकी वजह से अंतिम चरण में पहुंची निविदा रद्द करनी पड़ी।

Last Updated- November 03, 2024 | 10:20 PM IST
solar

भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) द्वारा हाल में जारी एक टेंडर उस समय विचित्र मोड़ पर पहुंच गया, जब एक प्रमुख बोलीदाता ने अवैध बैंक दस्तावेज प्रस्तुत किए। इसके कारण एक महत्त्वपूर्ण परियोजना संकट में पड़ गई।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत आने वाले सरकारी उपक्रम एसईसीआई ने 1 गीगावॉट के सौर और 2 गीगावॉट के स्टैंडअलोन बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम की निविदा रद्द कर दी। बोली प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही एसईसीआई ने अनियमितता चिह्नित की, जिसकी वजह से अंतिम चरण में पहुंची निविदा रद्द करनी पड़ी।

इस सबके केंद्र में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर की सहायक इकाई महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड थी। बैंक दस्तावेज दाखिल करने के बाद इसने बोली प्रक्रिया में हिस्सा लिया, जो बाद में अवैध हो गया। कंपनी ने अपनी बैंक गारंटी में भारतीय स्टेट बैंक गारंटर बताया था। स्टेट बैंक ने महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन द्वारा संचार में इस्तेमाल किए गए ईमेल आईडी को फर्जी बताया है।

बिजनेस स्टैंडर्ड ने पूरी ई-मेल की श्रृंखला देखी है, जिससे दस्तावेजों में अनियमितता का पता चलता है। स्टेट बैंक और एसईसीआई के बीच हुए मेल संपर्क में एक मेल में कहा गया है, ‘हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि ईमेल आईडी एसबीआई.171313@एस-बीआई.सीओ.आईएन हमारे बैंक से संबंधित नहीं है।’

इस सिलसिले में जानकारी के लिए स्टेट बैंक को भेजे गए ई मेल का जवाब खबर छपने तक नहीं मिल सका। एसईसीआई ने भी इस सिलसिले में भेजी विस्तृत प्रश्नावली का कोई जवाब
नहीं दिया।

बहरहाल रिलायंस पावर के एक प्रवक्ता ने ई-मेल के माध्यम से बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब दिया। कंपनी ने कहा, ‘थर्ड पार्टी ने रिजर्व बैंक लिस्टिंग के अनुसार भारत में अनुसूचित विदेशी बैंक, फिलिपींस के फर्स्टरैंड बैंक से बैंक गारंटी की व्यवस्था की। बैंक गारंटी पर स्टेट बैंक का समर्थन था। हमें यह विश्वास दिलाने के लिए गुमराह किया गया कि उक्त समर्थन पूरी तरह से वैध और वास्तविक था।’ प्रवक्ता के मुताबिक कंपनी ने थर्ड पार्टी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा, ‘एसईसीआई की संतुष्टि के मुताबिक इस मसले के समाधान के लिए हम सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।’

कंपनी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि बैंक गारंटी सही थी, लेकिन बाद में यह पाया गया कि इसकी पुष्टि नहीं हुई है। सूत्रों ने कहा कि दरअसल स्टेट बैंक की ओर से इसका इंडोर्समेंट नहीं था।

विभिन्न हिस्सेदारों के बीच ई-मेल के आदान प्रदान को इस अखबार ने देखा, जिसमें किसी थर्ड पार्टी का उल्लेख नहीं है। बिजनेस स्टैंडर्ड किसी तीसरे पक्ष की पहचान का पता नहीं लगा सका।

बोली के दिशानिर्देशों के मुताबिक अगर कोई इकाई अवैध दस्तावेज प्रस्तुत करती है तो उसे अपात्र घोषित किया जा सकता है और उसे भविष्य की निविदाओं के लिए भी काली सूची में डाला जा सकता है।

इसमें कहा गया है, ‘बोली की प्रक्रिया को प्रभावित करने या कांट्रैक्ट को लागू करने के लिए बोलीदाता तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं करेगा या झूठे/जाली दस्तावेज/सूचना प्रस्तुत नहीं करेगा, जिसे एसईसीआई ने तय किया है।’

समझौते के मुताबिक अगर बोलीदाता/कॉन्ट्रैक्टर ने धारा-2 का उल्लंघन करके गंभीर अपराध किया है, तो ‘एसईसीआई उचित प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद बोलीदाता/कॉन्ट्रैक्टर को भविष्य में अनुबंध देने की प्रक्रिया से बाहर भी कर सकता है।’

First Published - November 3, 2024 | 10:20 PM IST

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