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IT कंपनियों ने घटाई कैंपस प्लेसमेंट की रफ्तार, 2017-18 से भी कम हो गई भर्तियां

Last Updated- April 24, 2023 | 9:05 PM IST
Companies now focus more on skills than degrees: LinkedIn survey
BS

कॉलेज और विश्वविद्यालय कैंपसों से भारतीय IT कंपनियों में नियुक्तियों की रफ्तार इस साल सुस्त रह सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि IT कंपनियों की कैंपस नियुक्तियां इस साल 2018-19 के मुकाबले महज 70 फीसदी रहने के आसार हैं। मानव संसाधन विशेषज्ञों के हिसाब से तीन साल से मांग में उतार-चढ़ाव के बाद कंपनियों के भर्ती के लक्ष्य अब कोविड से पहले के स्तर पर आ जाएंगे।

देश की शीर्ष IT कंपनियों द्वारा की गई घोषणाओं में इस बात का संकेत पहले ही मिल चुका है। भारत की दूसरी सबसे बड़ी IT सेवा कंपनी इन्फोसिस (Infosys) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भर्तियों का अपना लक्ष्य अभी तक नहीं बताया है।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के भर्ती आंकड़े कोविड से पहले के स्तर पर लौट आए हैं। कंपनी करीब 40,000 फ्रेशर भर्ती करेगी। एचसीएल टेक्नोलॉजिज (HCLTech) वित्त वर्ष 2023 के मुकाबले इस साल आधे लोग ही भर्ती करेगी। कंपनी ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि वह लगभग 30,000 कर्मी भर्ती कर सकती है। मगर वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में उसने कहा कि 13,000 से 15,000 की ही भर्ती की जाएगी।

इन आंकड़ों की तुलना वित्त वर्ष 2019 में IT कंपनियों द्वारा की गई भर्ती के आंकड़ों से की जाए तो खबरों के मुताबिक TCS ने 30,000 फ्रेशर रखे थे और Infosys के मामले में यह आंकड़ा 20,000 रहा था। उस दौरान एचसीएल टेक्नोलॉजिज (HCLTech) और विप्रो (Wipro) ने कैंपस से ​ज्यादा भर्ती नहीं की थीं।

कैंपस से भर्तियों पर नजर रखने वाली फर्म हायरप्रो (HirePro) के मुख्य परिचालन अधिकारी (chief operating officer) पशुपति एस का मानना है कि वित्त वर्ष 2024 में कंपनियों में कोविड से पहले जितनी ही भर्तियां हो सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2019-20 में उद्योग सामान्य तरीके से बढ़ रहा था और उसके बाद कुछ अरसे के लिए भर्तियां बढ़ गईं। 2019-20 से मुकाबला करें तो उस साल के मुकाबले इस वित्त वर्ष में केवल 70 फीसदी नियुक्तियां होने के आसार हैं।’ उन्होंने कहा कि भारतीय IT कंपनियां तीन समस्याओं से जूझ रही हैं- जरूरत से ज्यादा भर्ती, भर्ती किए गए ग्रैजुएट्स का इस्तेमाल नहीं कर पाना और भारी तादाद में भर्ती करने के चक्कर में गुणवत्ता का अभाव।

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पशुपति ने कहा, ‘कंपनियां कई मोर्चों पर दोहरी मार झेल रही हैं। कोविड के दौरान भर्तियों की होड़ मची थी और कंपनी छोड़ने वालों की संख्या भी बहुत ज्यादा थी। साल 2021 की गर्मियों में सभी कंपनियों ने भर्तियों पर जमकर मेहनत की थी। हर किसी ने कैंपस से दोगुनी भर्ती कीं। कंपनियों को लगा था कि जॉइन करने वाले कम रहेंगे, इसलिए भर्ती का लक्ष्य दोगुना कर दिया गया था।’

मानव संसाधन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि भर्तियों की होड़ के कारण कर्मचारियों की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा था। दक्षिण भारत के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के भर्ती निदेशक ने कहा, ‘हर कोई आंकड़ा पूरा करना चाहता था। इस बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया कि कौन से फ्रेशर लिए जा रहे हैं और कहां से लिए जा रहे हैं।’

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विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में हर साल 10 से 12 लाख इंजीनियर स्नातक तैयार होते हैं, लेकिन महज 3 से 3.5 लाख ही काम करने के लायक होते हैं। ऐसे में कर्मचारियों की छंटनी के लिए कंपनियां अपनी आंतरिक मूल्यांकन प्रक्रिया सख्त करने लगी हैं।

हाल में विप्रो ने उन फ्रेशरों को एक अन्य मूल्यांकन प्रक्रिया से गुजरने का निर्देश दिया है जो उसके वेलोसिटी कार्यक्रम (Velocity programme ) के तहत पहले ही उत्तीर्ण हो चुके हैं। इस मूल्यांकन में नाकाम रहने वालों की भर्ती नहीं की जाएगी। मिडकैप IT फर्म एलटीआई माइंडट्री (LTIMindree) ने प्रोजेक्ट मिलने का इंतजार कर रहे फ्रेशरों को नए प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने को कहा है। इसमें 700 से 800 कर्मचारी लिए जाएंगे।

First Published - April 24, 2023 | 9:05 PM IST

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