वैश्विक इलेक्ट्रिक यात्री कार बाजार में भारत की हिस्सेदारी साल 2024 में शायद मामूली एक प्रतिशत ही रहे। गोल्डमैन सैक्स के नवीनतम अनुमान के विश्लेषण के अनुसार साल 2040 तक यह हिस्सेदारी 7.1 प्रतिशत तक हो सकती है।
गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि साल 2024 में इलेक्ट्रिक यात्री कारों की बिक्री कमोबेश साल 2023 वाले स्तर – लगभग एक लाख ही रहेगी लेकिन साल 2030 में पहली बार 10 लाख का आंकड़ा पार करके 13 लाख हो जाएगी और फिर 2040 तक 55 लाख तक पहुंच सकती है। हालांकि भारत में इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों की पैठ साल 2040 तक वैश्विक औसत से काफी कम रहेगी।
साल 2026 में इसकी पैठ सात प्रतिशत रहेगी जो साल 2030 में 21 प्रतिशत हो जाएगी और 2040 तक 57 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। इसके विपरीत वैश्विक स्तर पर इसकी पैठ काफी ज्यादा रहेगी। साल 2026 में यह 20 प्रतिशत, साल 2030 में 34 प्रतिशत और साल 2040 तक 62 प्रतिशत रहेगी। यह औसत अमेरिका, जापान, चीन, यूरोपीय संघ, भारत और बाकी देशों के अनुमानों पर आधारित है।
ये नए अनुमान नीति आयोग के लक्ष्य से काफी कम हैं। ईवी यात्री वाहनों की पैठ के मामले में उसका लक्ष्य 30 प्रतिशत का है। हालांकि नए अनुमान इक्रा की तुलना में अधिक हैं। उसका अनुमान है कि साल 2030 में यह दर 15 प्रतिशत रहेगी।
खास तौर पर यूरोप में ईवी की बिक्री धीमी पड़ने के संबंध में गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में तीन कारण बताए गए हैं – सरकारी नीति में खराब दृष्टिकोण, तीव्र चार्जिंग स्टेशनों की कमी और पुरानी ईवी के लिए मिलने वाली कम कीमत की वजह से ईवी की पूंजीगत लागत।