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नए सैटकॉम प्राधिकरण से फिर से शुरू हो सकती है लाइसेंस मंजूरी प्रक्रिया

इसे लेकर अनिश्चितता बरकरार है कि क्या मौजूदा लाइसेंस धारकों को नए लाइसेंस स्वत: मिल जाएंगे या उन्हें नए सिरे से आवेदन प्रक्रिया शुरू करनी होगी

Last Updated- November 02, 2024 | 8:32 AM IST
Companies may require fresh licence for providing satcom services in India नए सैटकॉम प्राधिकरण से फिर से शुरू हो सकती है लाइसेंस मंजूरी प्रक्रिया
इलस्ट्रेशन- अजय मोहंती

सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के लिए नए प्राधिकरण पर विचार-विमर्श से इसे लेकर आशंका पैदा हो गई है कि इच्छुक कंपनियों को भारत में सैटकॉम सेवाएं शुरू करने के लिए फिर से आवेदन और अनुमोदन प्रक्रिया से गुजरना होगा।

मौजूदा नियमों के अनुसार, सैटेलाइट संचार प्रदाताओं के पास भारत में सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने के लिए ‘वेरी स्मॉल अपर्चर टर्मिनल क्लोज्ड यूजर ग्रुप’ (वीसैट-सीयूजी) और ‘ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट सर्विसेज’ (जीएमपीसीएस) लाइसेंस होना चाहिए।

पिछले सप्ताह, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने नेटवर्क अथॉराइजेशन पर परामर्श पत्र जारी किया जिसमें उद्योग से पूछा गया कि क्या सैटकॉम सेवाओं और विशेष रूप से सैटेलाइट अर्थ स्टेशन गेटवे के लिए अलग से प्राधिकरण की आवश्यकता है।

उद्योग के जानकारों का कहना है कि इसे लेकर अनिश्चितता बरकरार है कि क्या मौजूदा लाइसेंस धारकों को नए लाइसेंस स्वत: मिल जाएंगे या उन्हें नए सिरे से आवेदन प्रक्रिया शुरू करनी होगी।

एक सैटकॉम सेवा प्रदाता के अधिकारी ने कहा, ‘लाइसेंसिंग पारिस्थितिकी तंत्र पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है। मौजूदा समय में, बहुत अधिक उतार-चढ़ाव है। स्थिति स्पष्ट नहीं है।’

ट्राई की ओर से यह नवीनतम सुझाव दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा इस महीने की शुरूआत में दूरसंचार नियामक से सैटेलाइट संचार के लिए अलग प्राधिकरण पर विचार करने के अनुरोध के बाद आया है। दिलचस्प बात यह है कि ट्राई ने पिछले महीने ही ‘सैटेलाइट-बेस्ड टेलीकक्युनिकेशन सर्विस अथॉराइजेशन’ नाम से नए प्राधिकरण का प्रस्ताव दिया था, जिसमें पूर्ववर्ती वीसैट-सीयूजी सेवा और जीएमपीसीएस लाइसेंसों को मिला दिया गया था।

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दोनों कंसल्टेशन पेपर फिलहाल हितधारकों के सुझाव के लिए खुले हैं। दूरसंचार विभाग ने भारती एंटरप्राइजेज समर्थित यूटेलसैट वनवेब और रिलायंस जियो की उपग्रह शाखा जियो स्पेस लिमिटेड को पहले ही जीएमपीसीएस लाइसेंस दे दिया है।

जियो स्पेस लक्जमबर्ग स्थित उपग्रह दूरसंचार नेटवर्क प्रदाता एसईएस के मीडियम अर्थ ऑर्बिट (एमईओ) उपग्रहों पर जोर दे रही है। वहीं यूटेलसैट वनवेब जियोसिंक्रोनस इक्वेटोरियल ऑर्बिट (जीईओ)- लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) उपग्रहों के संयोजन पर केंद्रित है।

दोनों कंपनियों (भारती एयरटेल और रिलायंस जियो) के पैतृक समूहों ने इन प्रमुख सेगमेंटों में सेवा मुहैया कराने के लिए बाजार में प्रवेश कर रहीं विदेशी सैटकॉम प्रदाताओं स्टारलिंक और एमेजॉन की सहायक इकाई प्रोजेक्ट कुइपर का लगातार विरोध किया है।

First Published - November 2, 2024 | 8:32 AM IST

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