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Office Leasing: कर्मचारियों की ऑफिस वापसी से ऑफिस स्पेस सेक्टर में बूम, कंपनियों की मांग 20% तक बढ़ी

गोदरेज इंटीरियो, स्पेस मैट्रिक्स जैसी कंपनियों को मिल रहे रिकॉर्ड ऑर्डर; भारत के टॉप 8 शहरों में 80% कंपनियों ने अनिवार्य किया दफ्तर से काम, ऑफिस स्पेस की खपत 20.8% बढ़ी

Last Updated- March 17, 2025 | 10:42 PM IST
Office Space

भारतीय कंपनी जगत बिक्री को रफ्तार देने के लिए अपने कर्मचारियों को पूरे सप्ताह कार्यालय में शारीरिक रूप से उपस्थित रहने के लिए कह रहा है। इससे ऑफिस समाधान प्रदाताओं की मांग बढ़ रही है। गोदरेज इंटीरियो या स्पेस मैट्रिक्स जैसी ऑफिस स्पेस तैयार करने वाली कंपनियां हों अथवा देश भर में को-वर्किंग रेंटल स्पेस का प्रबंधन करने वाली ऑफिस या टेबल स्पेस जैसी कंपनियां, कर्मचारियों की कार्यालय में वापसी से इन सब की बिक्री में तेजी आई है। उनका मानना है कि यह रुझान अभी जारी रहेगा।

गोदरेज इंटीरियो के कार्यकारी अध्यक्ष और कारोबार प्रमुख स्वप्निल नागरकर ने कहा, ‘पिछले दो वर्षों के दौरान कार्यालय में कर्मचारियों की पूरी तरह वापसी से कारोबार में करीब 39 फीसदी की वृद्धि हुई है।’ सिंगापुर की वैश्विक डिजाइन एवं निर्माण कंपनी स्पेस मैट्रिक्स के भारत में मुख्य कार्याधिकारी अक्षय लखनपाल ने कहा कि कोविड महामारी के बाद कंपनी जगत द्वारा वर्कस्पेस रणनीति पर ध्यान केंद्रित किए जाने और वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) में वृद्धि के साथ ही चालू वित्त वर्ष के दौरान उनकी कंपनी की ऑर्डर बुकिंग 1,000 करोड़ रुपये के पार पहुंचने उम्मीद है, जबकि आय 850 से 900 करोड़ रुपये के बीच रहने का अनुमान है।

वित्त वर्ष 2020 से पहले कंपनी ने 500 करोड़ रुपये की आय दर्ज की थी। इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संभावित मांग, आर्थिक वृद्धि, अनुकूल नीतियों और आकर्षक रियल एस्टेट कीमतों पर निर्भर हैं। बेंगलूरु की मैनेज्ड वर्कस्पेस ऑपरेटर टेबल स्पेस के संयुक्त सीईओ कुणाल मेहरा ने कहा, ‘फिजिकल वर्कस्पेस तक कर्मचारियों की लगातार वापसी हो रही है। साथ ही हमें विश्वास है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में जीसीसी का विस्तार जारी रखेंगी।’ उनकी कंपनी ने 2021 के बाद दो अंकों में वार्षिक चक्रवृद्धि रफ्तार दर्ज की है।

अंतरराष्ट्रीय प्रॉपर्टी सलाहकार कुशमैन ऐंड वेकफील्ड ने कहा कि भारत के शीर्ष 8 शहरों में 70 से 80 फीसदी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए दफ्तर से काम करना अनिवार्य कर दिया है। पट्टे पर ऑफिस स्पेस लेने वाली और विशेष तौर पर बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र की तमाम कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए सप्ताह में चार से पांच दिन दफ्तर आकर काम करना अनिवार्य कर दिया है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की घरेलू और बहुराष्ट्रीय दोनों कंपनियां अपने कर्मचारियों को सप्ताह में कम से कम तीन दिन दफ्तर आकर काम करने के लिए कह रही हैं।

ऑफिस स्पेस सॉल्यूशंस के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अमित रमणी ने कहा, ‘फिलहाल 68 फीसदी वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि कंपनी की संस्कृति को बनाए रखने के लिए कर्मचारियों को सप्ताह में कम से कम तीन दिन दफ्तार आकर काम करना चाहिए। साथ ही 65 फीसदी लोग उत्पादकता बढ़ाने के लिए कार्यालय में उपस्थिति को काफी महत्त्वपूर्ण मानते हैं, जबकि 50 फीसदी से अधिक लोग इसे कर्मचारियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अहम मानते हैं।’

कंपनी जगत के इस रुझान के कारण ऑक्यूपेंसी स्तर में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई। उन्होंने कहा, ‘हमारी ब्लेंडेड ऑक्यूपेंसी दर 73 फीसदी रही है जबकि प्रमुख केंद्रों पर 84 फीसदी ऑक्यूपेंसी दर के साथ परिचालन हो रहा है।’ ब्लेंडेड ऑक्यूपेंसी एक हाइब्रिड दृष्टिकोण है जहां कर्मचारी दफ्तर आकर और बाहर से भी काम करते हैं।

ऑफिस समाधान प्रदान करने वाली हॉन्ग कॉन्ग की कंपनी द एग्जिक्यूटिव सेंटर के प्रबंध निदेशक (पश्चिम भारत, दक्षिण भारत एवं श्रीलंका) मनीष खेडिया ने दफ्तरों में कर्मचारियों की मौजूदगी बढ़ती दिख रही है। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी ने कर्मचारियों के दफ्तर लौटने के कारण 15 फीसदी की औसत वृद्धि दर्ज की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले साल वृद्धि 20 फीसदी तक पहुंच सकती है।

नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार, देश में कार्यालय के लिए पट्टे का आकार 2021 में करीब 3.81 करोड़ वर्ग फुट से दोगुना होकर 2024 में 7.19 करोड़ वर्ग फुट हो गए। पट्टे पर ऑफिस स्पेस की मांग में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। इसे मुख्य तौर पर नियोक्ताओं द्वारा ग्रेड-ए कार्यालयों की मांग से रफ्तार मिली है। लखनपाल ने कहा, ‘अब वे दिन बीत चुके जब रियल एस्टेट के बारे में निर्णय केवल प्रति वर्ग फुट लागत के आधार पर लिए जाते थे। आज के सीईओ और मुख्य मानव संसाधन अधिकारी इस प्रक्रिया में काफी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। वे एक रणनीतिक टूल के रूप में डिजाइन की शक्ति को पहचानते हैं।’

नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार, 2024 में रिक्तियां दर सुधरकर 14.6 फीसदी हो गई जो बढ़ी हुई मांग का संकेत है। इस मांग के कारण 2024 के दौरान सभी बाजारों में किराये में भी एक साल पहले के मुकाबले 3-7 फीसदी की वृद्धि हुई है। किराये में 2022 से लगातार तेजी दिख रही है क्योंकि भारत के मकान मालिकों ने दुनिया के अन्य बाजारों के मुकाबले बेहतर शर्तों पर बातचीत की है। वाणिज्यिक रियल एस्टेट डेवलपरों को आगे मांग बेहतर होने की उम्मीद है, मगर उनका यह भी मानना है कि कामकाज का हाइब्रिड मॉडल बरकरार रहेगा।

टाटा रियल्टी ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के एमडी एवं सीईओ संजय दत्त ने कहा, ‘कुछ हद तक हाइब्रिड कार्य संस्कृति भी बरकरार रहेगी। नियोक्ता लोगों को कभी-कभी घर से काम करने की सहूलियत भी देंगे। जब कर्मचारियों को कार्यालय आने की जरूरत नहीं होती है तो उन्हें कुछ सहूलियत मिल सकती है। यह रुझान आगे भी जारी रहेगा।’

बहरहाल ऑफिस श्रेणी में भी मांग एवं आपूर्ति में अंतर जैसी समस्या दिख रही है। वहां नए निर्माण के मुकाबले खपत की दर अधिक है। नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार, साल 2024 के दौरान भारत के शीर्ष आठ शहरों में 7.19 करोड़ वर्ग फुट ऑफिस स्पेस की खपत हुई जो एक साल पहले के मुकाबले 20.8 फीसदी अधिक है। मगर नए निर्माण 5.03 करोड़ वर्ग फुट का रहा जो एक साल पहले के मुकाबले 17 फीसदी अधिक है। कुशमैन ऐंड वेकफील्ड ने 2025 में करीब 5.5 करोड़ वर्ग फुट ऑफिस स्पेस की नई आपूर्ति होने का अनुमान लगाया है। पूर्वांकर के सीईओ (पश्चिम एवं वाणिज्यिक) रजत रस्तोगी ने कहा, ‘कुल मिलाकर यह बाजार काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। मगर यहां मांग अधिक और आपूर्ति कम है। इसलिए कर्मचारियों के दफ्तर लौटने से समग्र वाणिज्यिक वृद्धि को रफ्तार मिल रही है।’

First Published - March 17, 2025 | 10:42 PM IST

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