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Pharmaceutical industry: निर्यात के लिए फार्मा उद्योग की नजर ब्रिटेन और अमेरिका पर

Pharmaceutical industry: फार्मेक्सिल के अनुसार वित्त वर्ष 25 में ब्रिटेन निर्यात का आशाजनक केंद्र है।

Last Updated- May 31, 2024 | 10:25 PM IST
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वित्त वर्ष 25 के दौरान भारत की नजर 31 अरब डॉलर के फार्मास्युटिकल निर्यात पर है। इसके लिए ब्रिटेन और अमेरिका उसके सबसे बड़े लक्ष्य हैं। वित्त वर्ष 24 में भारत ने 27.9 अरब डॉलर के औषधि उत्पादों का निर्यात किया था जो एक साल पहले की तुलना में 9.6 प्रतिशत अधिक रहा।

फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (फार्मेक्सिल) के महानिदेशक उदय भास्कर ने कहा कि समूह का लक्ष्य ब्रिटेन को एक अरब डॉलर का निर्यात करने का है जहां किफायती जेनेरिक दवा की मांग बढ़ रही है।

उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया ‘पिछले महीने हम बैठकों के लिए ब्रिटेन में थे। हम नवंबर या उसके आसपास बेल्जियम, नीदरलैंड और ब्रिटेन में रोड शो करने की भी योजना बना रहे हैं।’

भास्कर ने कहा कि सार्वजनिक वित्तीय सहायता वाली ब्रिटेन की नैशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) कमी के कारण नुस्खों के अनुसार तुरंत दवा देने में असमर्थ है और उसका उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल की लागत कम करना है। इस कदम से किफायती जेनेरिक दवाओं की मांग बढ़ेगी।

ब्रिटेन, अमेरिका से उम्मीद

फार्मेक्सिल के अनुसार वित्त वर्ष 25 में ब्रिटेन निर्यात का आशाजनक केंद्र है। वित्त वर्ष 24 में ब्रिटेन को भारत का दवा निर्यात पिछले साल की तुलना में 21.1 प्रतिशत बढ़कर 78.432 करोड़ डॉलर हो गया। पिछले वर्ष 8.28 प्रतिशत तक की गिरावट के बाद यह इजाफा हुआ है।

भारत के औषधि निर्यात में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 2.82 प्रतिशत है। भारतीय दवा निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत है और यह बाजार बढ़ भी रहा है। दवाओं की कमी (जेनेरिक दवा विनिर्माता टेवा फार्मास्युटिकल्स ने अमेरिका में अपने कुछ संयंत्रों में उत्पादन बंद कर दिया) के कारण वित्त वर्ष 24 में अमेरिका को भारतीय निर्यात में पिछले साल के मुकाबले 15.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

भास्कर ने कहा कि अमेरिका भारतीय दवा विनिर्माताओं के लिए एक ‘दमदार शक्ति’ बना रहेगा क्योंकि वहां 90 प्रतिशत से ज्यादा नुस्खे सस्ती जेनेरिक दवाओं वाले होते हैं। साल 2022 में अमेरिका में दिए गए 10 में से चार नुस्खों के लिए भारतीय कंपनियों ने आपूर्ति की थी।

अन्य देशों में भी मौका

भारतीय दवा कंपनियां अफ्रीका, खास तौर पर नाइजीरिया और सीआईएस देशों पर भी नज़र रख रही हैं, जिसमें रूस और पूर्व सोवियत संघ के कुछ अन्य देश शामिल हैं। ये सभी ऐसे क्षेत्र हैं, जहां उनका कारोबार दबाव में है।

भारत के फार्मास्युटिकल निर्यात में अफ्रीका की हिस्सेदारी लगभग 14.19 प्रतिशत है। फार्मेक्सिल ने नवंबर 2023 में नाइजीरिया, बेनिन, इथियोपिया और तंजानिया में प्रतिनिधिमंडल भेजा था। इस दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका, जाम्बिया और मोजाम्बिक में प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना है।

First Published - May 31, 2024 | 10:25 PM IST

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