स्थानीय रूप से विकसित देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सेवा (ईएमएस) कंपनी डिक्सन टेक्नोलॉजीज ने छह साल में 48,000 करोड़ रुपये का कुल उत्पादन मूल्य तय किया है और इसे आईटी उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत पात्र घोषित किया गया है।
अपनी योजना की पुष्टि करते हुए डिक्सन टेक्नोलॉजीज के प्रबंध निदेशक सुनील वाचानी ने कहा ‘हमने हाइब्रिड घरेलू श्रेणी के तहत आवेदन किया था और वित्त वर्ष 2024-25 से शुरू हो रहे छह साल में 48,000 करोड़ रुपये के कुल उत्पादन मूल्य तथा 250 करोड़ रुपये के निवेश के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पहले साल में हमारा ध्यान अंतिम असेंबली और पीसीबीए (प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली) पर होगा तथा बाद में हम बैटरी, चार्जर, डिस्प्ले कैबिनेट वगैरह जैसे पुर्जों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।’
सूत्रों के मुताबिक यह कंपनी, जो ताइवान की लैपटॉप की दिग्गज कंपनी आसुस के लिए लैपटॉप बनाती है, चीन की लैपटॉप विनिर्माता लेनोवो और अन्य कंपनियों के साथ अनुबंध निर्माता बनने के लिए बातचीत कर रही है।
यह भी माना जा रहा है कि फॉक्सकॉन की राइजिंग स्टार्स मोबाइल इंडिया लेनोवो के साथ शुरुआती बातचीत शुरू कर चुकी है। एचपी के बाद चीन की यह कंपनी भारत में पर्सनल कंप्यूटर क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है।
कुछ समय पहले बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्कार में संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि चीनी आईटी उत्पाद कंपनियां भी उत्पादों की असेंबलिंग करने के लिए किसी भारतीय कंपनी के साथ गठजोड़ करते हुए विनिर्माण में भाग ले सकती हैं।
राइजिंग स्टार्स, डिक्सन या लेनोवो ने इस बारे में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया। देश की अन्य बड़ी कंपनियां, जो पीएलआई योजना के लिए पात्र हैं, उनमें अमेरिका की फ्लेक्सट्रॉनिक्स भी शामिल है।
इसकी इकाई का उपयोग एचपी के लिए लैपटॉप, मिनी डेस्कटॉप आदि की असेंबलिंग करने के लिए किया जाता है। अब यह गूगल क्रॉमबुक को भी इस समूह में शामिल करेगी। माना जा रहा है कि जापान की तोशिबा जैसी कुछ लैपटॉप कंपनियां भी भारतीय साझेदार की तलाश कर सकती हैं।
ईएमएस क्षेत्र की एक अन्य भारतीय कंपनी के प्रवर्तक का कहना है कि लैपटॉप का प्रमुख बाजार है, जहां बड़ी वैश्विक और भारतीय ईएमएस कंपनियां प्रदर्शन करेंगी। लेकिन बेसिक लैपटॉप के लिए एक बड़ा बाजार है, जो 10,000 रुपये से लेकर 15,000 रुपये के बीच रहता है। इसमें हमारे जैसी कंपनियां काम करेंगी।
सरकार ने न केवल आईटी उत्पादों के लिए नई पीएलआई योजना में बदलाव किया है, बल्कि प्रोत्साहन को लगभग दोगुना करके 17,000 करोड़ रुपये कर दिया है। पहली पेशकश में फीकी प्रतिक्रिया मिलने के बाद ऐसा किया गया था।
देश की आईटी उत्पादों (मुख्य रूप से लैपटॉप, ऑल-इन-वन पीसी, टैबलेट और सर्वर) की मांग प्रति वर्ष आठ से 10 अरब डॉलर के बीच रहने का अनुमान है, जिसका एक बड़ा हिस्सा ज्यादातर चीन से आयात किया जाता है।