मल्टी-ब्रांड आफ्टरमार्केट श्रृंखला माई टीवीएस, जो टीवीएस मोबिलिटी समूह का हिस्सा है, ने दिसंबर में माईटीवीएस हाइपरमार्ट के जरिये वाहनों के पुर्जों और लुब्रिकेंट का वितरण करने के लिए पूरी तरह बदलाव लाने वाले क्विक कॉमर्स मॉडल की शुरुआत की थी।
माईटीवीएस के प्रबंध निदेशक जी श्रीनिवास राघवन ने शाइन जैकब के साथ क्विक कॉमर्स की कार्ययोजना, बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की योजना और वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के बारे में बातचीत की। प्रमुख अंश …
पूरी तरह बदलाव लाना वाला क्विक कॉमर्स मॉडल शुरू किए हुए एक महीने से ज्यादा हो गया है। क्या प्रतिक्रिया रही है?
आज हमारे पास 1,200 सर्विस नेटवर्क हैं। यह देश में सबसे बड़ा एकल मल्टी-ब्रांड नेटवर्क है और सभी वाहन विनिर्माताओं समेत शीर्ष पांच में शामिल है। इसी भरोसे के साथ हम कह सकते हैं कि अब हम इस तंत्र के हर भागीदार को लाभ पहुंचा सकते हैं। हमने पार्ट्समार्ट के जरिये खुदरा विक्रेताओं के साथ सफर शुरू किया और दिखाया कि हम उनके आपूर्ति श्रृंखला साझेदार हो सकते हैं।
हाइपरमार्ट पेश करने के बाद से आज मांग काफी अच्छी है। हाइपरमार्ट पार्ट्समार्ट का विकसित रूप है। हमने इसे तमिलनाडु और केरल में पेश किया और जल्द ही कर्नाटक और महाराष्ट्र में शुरू करेंगे। अभी हमारे पास करीब 18 स्टोर हैं और हम हर महीने चार से पांच स्टोर जोड़ रहे हैं।
एक से दो घंटे की डिलिवरी के साथ क्विक कॉमर्स को अपनाकर अपना कारोबार किस तरह बेहतर किया है?
प्रति स्टोर राजस्व के लिहाज से मेरा राजस्व दो से तीन गुना बढ़ चुका है। तीन में से एक व्यक्ति नया स्टोर खोल रहा है क्योंकि अब वह स्टॉक कम कर सकता है। वह बिना इस विश्वास के ऐसा नहीं करेगा कि उसका कारोबार बढ़ने वाला है।
भारत में आफ्टरमार्केट कारोबार का आकार करीब 10 अरब डॉलर है और इसमें आपकी हिस्सेदारी लगभग 7 प्रतिशत है। नई पहलों के साथ आप अपनी वृद्धि को कहां देखते हैं?
हमारा लक्ष्य वित्त वर्ष 28 तक उद्योग के राजस्व का 10 से 12 प्रतिशत तक पहुंचना है। नए क्षेत्रों में अपने प्लेटफॉम को पेश करने से हमें इसे पाने में मदद मिलेगी, मुझे कुछ और नहीं करना है। अभी हम जो कर रहे हैं, उसका परीक्षण पूरे भारत में किया जा चुका है। अगर मैं अपने यात्री कार गैरेजों पर नजर डालूं तो उनमें से ज्यादातर उत्तर और पूर्व में हैं। इसलिए मुझे पश्चिम में और ज्यादा पैठ बनाने की जरूरत है।
हाइपरमार्ट के लिहाज से मुझे उत्तर और पूर्व में और ज्यादा पैठ बनाने की जरूरत है। हमें इस साल का समापन 1,900 से 2,000 करोड़ रुपये के राजस्व के साथ होने की उम्मीद है। भारतीय कारोबार लगातार 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ रहा है।
आपने कुछ महीने पहले मोबिलिटी को सेवा के रूप में पेश किया था। आप इसके अवसरों को किस तरह देख रहे हैं?
बाजार में बिकने वाले वाहन ज्यादा कनेक्टेड होते जा रहे हैं और तेजी से इलेक्ट्रिक होते जा रहे हैं, इस तथ्य ने बाजार में दो बदलाव किए हैं – व्यक्तिगत मालिक और बेड़ा मालिक। इनमें से प्रत्येक बेड़ा मालिक के पास करीब 10,000 वाहन हैं। हम चार्जिंग समाधान के लिए भागीदारों के साथ भी काम करते हैं।
देश भर में बेड़ों के लिए कई टचपॉइंट बनाने की योजना है। आज मेरे पास अखिल भारतीय स्तर पर 10 से ज्यादा बेड़े जुड़ चुके हैं, जिनमें मोइविंग और लीथियम अर्बन टेक्नॉलोजिज जैसी साझेदार भी हैं। हम फाइन मोबिलिटी जैसी कंपनियों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं।