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ONGC की गैस चोरी मामले में रिलायंस को राहत, 14 हजार करोड़ के फ्रॉड का था आरोप

Last Updated- May 09, 2023 | 8:53 PM IST
Reliance Mcap

दिल्ली हाई कोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके साझेदारों के खिलाफ केंद्र की याचिका खारिज कर दी है। द इकॉनमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक याचिका में उन पर एक “धोखाधड़ी” और “1.729 अरब डॉलर से अधिक का अनुचित लाभ” उठाने का आरोप लगाया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने उस भंडार गृह से गैस निकाली जिससे निकालने का उन्हें अधिकार नहीं था।

इसी मामले में सिंगापुर में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए एक ट्रिब्यूनल ने 24 जुलाई, 2018 को रिलायंस के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम के पक्ष में ही फैसला सुनाया था। हाल ही में, न्यायाधीश अनूप जयराम भंभानी ने इस फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि मामले में आगे की कार्रवाई की कोई आवश्यकता नहीं है।

सिंगापुर ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया था कि कंसोर्टियम को उत्पादन साझाकरण अनुबंध (PSC) द्वारा किसी भी स्रोत से गैस का उत्पादन करने से प्रतिबंधित नहीं किया गया था, जब तक कि यह अनुबंध क्षेत्र के बाहर था। इसलिए, कंसोर्टियम किसी भी बकाया राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है, और केंद्र को उन्हें मध्यस्थता लागत के रूप में $8.3 मिलियन का भुगतान करने का आदेश दिया गया था। कंसोर्टियम में यूके से बीपी पीएलसी और कनाडा से निको रिसोर्सेज शामिल हैं।

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2014 में, केंद्र ने मांग की कि RIL ने ब्लॉक से सटे दो ओएनजीसी ब्लॉकों से गैस निकाली और बेची जिसकी भरपाई करने के लिए RIL $1.47 बिलियन का भुगतान करे। केंद्र का तर्क था कि RIL के पास उन ब्लॉकों से गैस उत्पादन की अनुमति नहीं है। उसी वर्ष, ONGC ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक शिकायत दायर की जिसमें आरोप लगाया गया कि RIL उसके ब्लॉकों से गैस निकाल रही है।

First Published - May 9, 2023 | 8:53 PM IST

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