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RIL ने अधिग्रहणों पर 13 अरब डॉलर खर्च किए

नवीकरणीय ऊर्जा, दूरसंचार, खुदरा और स्वास्थ्य सेवा में अधिग्रहण के जरिए उपभोक्ता-केंद्रित खंड पर फोकस

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भाषा   
Last Updated- December 31, 2024 | 9:57 PM IST

मुकेश अंबानी की अगुआई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पिछले पांच वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा, दूरसंचार, खुदरा और मीडिया कारोबार में किए गए अधिग्रहणों पर करीब 13 अरब डॉलर खर्च किए हैं। मॉर्गन स्टेनली ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्रीज की इन अधिग्रहण योजनाओं के पीछे मकसद तेल और पेट्रोकेमिकल कारोबार से ध्यान को नवीकरणीय ऊर्जा और उपभोक्ता केंद्रित खंड पर देने का रहा है। पिछले हफ्ते भी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने 375 करोड़ रुपये में कार्किनोस हेल्थकेयर खरीदा, जो उसके डायग्नोस्टिक एवं डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल ढांचे में एक और हिस्सा है।

अमेरिकी वित्तीय सेवा कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, पिछले पांच वर्षों में आरआईएल ने 13 अरब डॉलर के अधिग्रहण की घोषणाएं की हैं। इनमें से 14 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा, 48 फीसदी प्रौद्योगिकी, मीडिया एवं दूरसंचार (टीएमटी), 9 फीसदी खुदरा और इससे भी अधिक अधिग्रहण स्वास्थ्य सेवा में रहे हैं। इसमें से छह अरब डॉलर मीडिया और शिक्षा व्यवसाय में कंपनियों और परिसंपत्तियों के अधिग्रहण में और 2.6 अरब डॉलर दूरसंचार और इंटरनेट खंड में लगाए गए।

मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, आरआईएल ने नवीकरणीय ऊर्जा में अधिग्रहण पर 1.7 अरब डॉलर और खुदरा क्षेत्र में 1.14 अरब डॉलर खर्च किए। पिछले पांच वर्षों में आरआईएल का सबसे बड़ा अधिग्रहण स्थानीय केबल टीवी और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं हैथवे केबल और डेटाकॉम लिमिटेड का 98.1 करोड़ डॉलर में खरीदना रहा है। रिपोर्ट कहती है कि रिलायंस ने नॉर्वे स्थित सौर पैनल विनिर्माता आरईसी सोलर होल्डिंग्स को खरीदने पर 77.1 करोड़ डॉलर और ऑनलाइन डेटाबेस फर्म जस्टडायल को खरीदने के लिए 76.7 करोड़ डॉलर खर्च किए।

First Published : December 31, 2024 | 9:57 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)