रश्मि सलूजा आज से वित्तीय सेवा फर्म रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के बोर्ड में निदेशक नहीं रह गई हैं। कंपनी ने एक्सचेंज को दी सूचना में बताया कि यह कदम भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से स्पष्टीकरण के बाद उठाया गया है, जिसमें इस बात की पुष्टि की गई है कि उन्हें हटाने के लिए आरबीआई की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है।
सलूजा मामले में शेयरधारकों के मतदान के बाद रेलिगेयर ने आरबीआई से इस बारे में मार्गदर्शन मांगा कि क्या नियामक की अनुमति की जरूरत है क्योंकि कंपनी एक सूचीबद्ध गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) है। कंपनी ने कहा कि उसने इस बारे में आरबीआई से स्पष्टीकरण मांगा था, विशेष रूप से यह कि इस मामले में पूर्व अनुमति की आवश्यकता है या नहीं। कंपनी ने कहा कि आरबीआई का जवाब आज मिला। नतीजतन, कंपनी की कार्यकारी अध्यक्ष रश्मि सलूजा कंपनी की निदेशक नहीं रह गई हैं।
इस बीच, रेलिगेयर के शेयरधारकों के लिए बर्मन परिवार की खुली पेशकश गुरुवार को बंद हो गई क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अमेरिकी निवेशक डैनी गायकवाड़ को 600 करोड़ रुपये जमा कराने के लिए दी गई समय सीमा आज समाप्त हो गई।
गायकवाड़ ने कहा कि उन्हें भुगतान करने के लिए नियामक से पर्याप्त समय नहीं मिला लेकिन उन्होंने नियामकों के समक्ष यह बाताने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं कि उनके पास 275 रुपये प्रति शेयर के जवाबी प्रस्ताव के लिए पर्याप्त नकदी है। बर्मन समूह ने 235 रुपए प्रति शेयर की पेशकश की थी।
रेलिगेयर का शेयर गुरुवार को 238 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ। बर्मन ने कंपनी में अतिरिक्त 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए ओपन ऑफर दिया था क्योंकि उनके फैमिली ऑफिस ने कंपनी में 25 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर ली थी। ओपन ऑफर में उनको कंपनी की 0.26 फीसदी हिस्सेदारी मिली।