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फार्मा की वृद्धि को सीडीएमओ से ताकत

7.3 अरब डॉलर मूल्य का भारतीय सीडीएमओ उद्योग 2023 और 2028 के बीच 14 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ेगा, जो लगभग दोगुना होकर 14.1 अरब डॉलर हो जाएगा।

Last Updated- March 30, 2025 | 10:31 PM IST
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भारतीय जेनेरिक एवं फॉर्मूलेशन फार्मास्युटिकल (फार्मा) कंपनियां टैरिफ संबंधित चुनौतियों और घरेलू बाजार में सुस्त बिक्री वृद्धि से जूझ रही हैं। हालांकि, फार्मा उद्योग के अंदर एक सेगमेंट ऐसा है जो अच्छी स्थिति में है, वह है कॉन्ट्रैक्ट डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग ऑर्गनाइजेशन (सीडीएमओ)।

वैश्विक फार्मा कंपनियों से मजबूत आउटसोर्सिंग मांग की मदद से सूचीबद्ध सीडीएमओ कंपनियों की वृद्धि की रफ्तार कायम रह सकती है। इसके अलावा, सीडीएमओ सेक्टर पर डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ का प्रभाव भी उनके फार्मा समकक्षों के मुकाबले कम गंभीर रहने का अनुमान है।
इसे लेकर कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सीडीएमओ कंपनियों ने पिछले साल बेहतर प्रदर्शन किया और 60 प्रतिशत का औसत रिटर्न दिया, जबकि निफ्टी फार्मा इंडेक्स ने इसका केवल पांचवां हिस्सा हासिल किया है। हालांकि यह बेहतर प्रदर्शन जारी रहने की उम्मीद है, लेकिन तेजी और मौजूदा मूल्यांकन को देखते हुए, दोनों के बीच का अंतर कम हो सकता है।

रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जवाबी शुल्क लगने का सीडीएमओ सेक्टर पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन यह प्रभाव जेनेरिक और फॉर्मूलेशन कंपनियों पर पड़ने वाले असर के मुकाबले कम होगा। बिजनेस-टू-बिजनेस मॉडल पर काम करने वाली सीडीएमओ कंपनियां बिजनेस-टू-कंज्यूमर कंपनियों की तुलना में टैरिफ का मुकाबला करने के लिहाज से बेहतर स्थिति में होंगी। सीडीएमओ में, जेनेरिक पर ध्यान केंद्रित करने वालों को इनोवेटर्स की तुलना में ज्यादा दबाव का सामना करना पड़ेगा। अमेरिका में संयंत्रों का परिचालन करने वाली पीरामल फार्मा, सिंजेन और साई लाइफ साइंसेज जैसी कंपनियां इस प्रभाव को कुछ हद तक कम कर सकती हैं।

इस क्षेत्र में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए मुख्य कारक मजबूत विकास की राह है। जेफरीज रिसर्च के विश्लेषक आलोक दलाल और धवल खुट का अनुमान है कि 7.3 अरब डॉलर मूल्य का भारतीय सीडीएमओ उद्योग 2023 और 2028 के बीच 14 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ेगा, जो लगभग दोगुना होकर 14.1 अरब डॉलर हो जाएगा। इसकी तुलना में, वैश्विक सीडीएमओ बाजार में सालाना केवल 9 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।

इस वृद्धि में कई कारकों का योगदान रहेगा। बीऐंडके सिक्योरिटीज के विश्लेषक रोहित भट्ट और हृषीकेश पटोले के अनुसार भारतीय सीडीएमओ कंपनियों को नरम वैश्विक वृहद हालात से लाभ होगा, जिसमें प्रस्तावों के लिए बढ़ते अनुरोध, अनुकूल डॉलर-रुपया उतार-चढ़ाव, ‘बिग फार्मा’ द्वारा निरंतर आउटसोर्सिंग और वैश्विक फार्मा हितधारकों द्वारा अपनाई गई चाइना+1 विविधीकरण नीति शामिल है।
कोटक रिसर्च भी इस क्षेत्र में सुधार के बारे में अनुमान जताया है। शोध फर्म के विश्लेषक अलंकार गरुडे ने आपूर्ति श्रृंखला के पुनर्गठन से प्रेरित भारतीय कंपनियों के लिए व्यापक अवसरों पर प्रकाश डाला है। कुशल प्रतिभाओं की उपलब्धता, लागत लाभ और तकनीकी दक्षता ( विशेष रूप से छोटे मोलीक्यूल में) जैसे कारक वृद्धि की रफ्तार और ज्यादा मजबूत बनाएंगे।

बेस केस में, अमेरिकी बायोसिक्योर ऐक्ट से कोई लाभ न मिलने के बावजूद, यह मानते हुए कि चीन महत्वपूर्ण बना हुआ है तथा आपूर्ति श्रृंखला जोखिम-मुक्त बनाने के विलंबित असर को ध्यान में रखते हुए विश्लेषकों का मानना है कि अगले दशक के अंदर भारतीय अनुबंध शोध एवं विकास और निर्माण बाजार लगभग चार गुना बढ़कर 12 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा।
ज्यादा बाजार भागीदारी हासिल करने के लिए भारतीय कंपनियां अपनी क्षमता बढ़ा रही हैं और कॉम्पलेक्स केमिस्ट्री तथा उभरती प्रौद्योगिकियों में नई क्षमताएं शुरू कर रही हैं। इसमें कैंसर उपचार में नए अवसर, जैसे एंटीबॉडी-ड्रग कंज्युगेट्स (एडीसी) और ग्लूकाजन-लाइक पेप्टाइड (जीएलपी-1) शामिल हैं, जो ब्लड शुगर और भूख को नियंत्रित करने के साथ-साथ सेल और जीन थेरेपी तथा चिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी-सेल थेरेपी के लिए आवश्यक हैं। इन बदलावों से सीडीएमओ को अपनी वैश्विक बाजार भागीदारी बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जो मौजूदा समय में महज 2 प्रतिशत है।

बीऐंडके सिक्योरिटीज ने अरविंदो फार्मा और सुवेन फार्मा पर अपनी ‘खरीदें’ रेटिंग बनाए रखी है, जबकि मौजूदा पूंजीगत खर्च पर मजबूत क्रियान्वयन की वजह से लॉरुस लैब्स का प्रदर्शन बेहतर रहने का अनुमान जताया है। बीओबी कैपिटल मार्केट्स ने भी सुवेन को ‘खरीदें’ रेटिंग दी है, जिसके लिए उसने कंपनी के मजबूत क्रियान्वयन, एडीसी सेगमेंट में केंद्रित दृष्टिकोण, मजबूत बैलेंस शीट, दमदार रिटर्न अनुपात और मजबूत प्रमोटरों का हवाला दिया है। कोटक रिसर्च ने पीरामल और सिंजेन को पसंद किया है। विशिष्ट क्षमताओं के साथ पीरामल की विविध उपस्थिति उसे आगामी वृद्धि के लिहाज से अच्छी स्थिति में रखती है।

First Published - March 30, 2025 | 10:31 PM IST

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