सर्वोच्च न्यायालय ने आज कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को ‘विशेष सुविधा नहीं दी जा सकती’। न्यायालय ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर रिट याचिकाओं को कर्नाटक उच्च न्यायालय के खंडपीठ को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया। ये याचिकाएं सीसीआई जांच के खिलाफ एमेजॉन और फ्लिपकार्ट से जुड़े विक्रेताओं ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर कर रखी हैं।
सीसीआई कथित प्रतिस्पर्धा रोधी व्यवहार की जांच कर रहा है। कोई सहमति न बनने से मामले की सुनवाई सोमवार को होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, ‘केवल इसलिए कि कुछ वादियों को विशेष सुविधा दी जानी है, नियमों को दरकिनार किया जाना है, हम इसे सीधे खंडपीठ के समक्ष नहीं रख सकते।’
न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिठल के पीठ ने सीसीआई की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल (एजीआई) आर वेंकटरमणी को इस संबंध में हिदायत लेने का निर्देश दिया कि क्या सीसीआई सभी मामलों को कर्नाटक उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश वाले पीठ को स्थानांतरित करने के लिए सहमत है, जहां कुछ मामले पहले से ही लंबित हैं।
न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के नियमों के अनुसार पहले एकल न्यायाधीश द्वारा सुनवाई के बजाय सभी याचिकाओं को खंडपीठ से सुनवाई के लिए स्थानांतरित करके सीसीआई को तरजीही सुविधा नहीं दी जा सकती। एकल न्यायाधीश के फैसले से असंतुष्ट पक्ष बाद में खंडपीठ में अपील कर सकते हैं।
न्यायालय सीसीआई की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कथित प्रतिस्पर्धा रोधी कार्य प्रणाली की सीसीआई जांच को चुनौती देने वाली विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर रिट याचिकाओं को सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ओका ने पूछा कि इस मामले को एक उच्च न्यायालय में करने के बजाय सर्वोच्च न्यायालय में क्यों लाया जाना चाहिए।